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स्कूलों में सूर्य नमस्कार:मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा-मुस्लिम छात्र न करें

पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देशभक्ति की भावना के लिए पढ़वाया जाए राष्ट्रगान

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भारत
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गणतंत्र दिवस पर स्कूलों में आयोजित होने जा रहे ‘सूर्य नमस्कार’ कार्यक्रम का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने विरोध किया है. सरकार ने फैसला लिया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में 'सूर्य नमस्कार' का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. बोर्ड ने इस पर विरोध दर्ज करते हुए कहा है कि संविधान इसकी अनुमति नहीं देता.

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‘संविधान नहीं देता इसकी अनुमति’

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किया जाए.

‘मुस्लिम छात्र-छात्राएं ऐसे कार्यक्रम में न शामिल हों’

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष, बहुधार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है और इन्हीं सिद्धांतो के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है. स्कूल की पाठ्य चर्चा और अपाठ्यचर्चा में भी इसका ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने मुस्लिम विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम से बचने की सलाह दी है.

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार संवैधानिक सिद्धांतों से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक संप्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है.
हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, महासचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का फैसला किया है, जिसमें तीस हजार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 2022 से 7 जनवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है.

‘देश-प्रेम की भावना के लिए राष्ट्रगान पढ़वाए सरकार’

उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है. इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस लें और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करें.

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अगर सरकार चाहे देश-प्रेम की भावना को उभारने हेतु राष्ट्रगान पढ़वाए, अगर सरकार देशप्रेम का हक अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे.
हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, महासचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

'मंहगाई और बेरोजगारी पर ध्यान देने की आवश्यकता है'

उन्होंने देश की मौजूदा स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी, मंहगाई पर ध्यान दे, मुद्रा का अवमूल्यन, आपसी नफरत का औपचारिक प्रचार, देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता, सरकार की ओर से सार्वजनिक संपत्ति की निरंतर बिक्री...जैसे विषय वास्तविक मुद्दे हैं जिन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है.

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