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सुशांत केस: मुंबई पुलिस को बदनाम करने वालों पर एक्शन, 2 FIR दर्ज

फोर्स को बदनाम करने वाले लोगों के खिलाफ अब मुंबई पुलिस एक्शन में आ गई है.

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सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले (Sushant Case) में अब साफ हो गया है कि सुशांत ने आत्महत्या ही की थी. एम्स के डॉक्टरों के एक पैनल की टीम ने सीबीआई को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें मर्डर की थ्योरी से इनकार किया गया है. लेकिन जब से सुशांत सिंह राजपूत की मौत में जब से हत्या का एंगल निकला तब से मुंबई पुलिस पर लगातार सवाल उठे, कटघरे में खड़ा किया. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर मुंबई पुलिस को भला-बुरा तक कहा. लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ अब मुंबई पुलिस (Mumbai Police) एक्शन में आ गई है.

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न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक मुंबई पुलिस ने ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट्स चलाने वालों के खिलाफ IT एक्ट के तहत दो एफआईआर दर्ज की हैं, जिन्होंने ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मुंबई पुलिस को बदनाम किया था. ये जानकारी मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम की डीसीपी रश्मि करंदीकर ने दी है.

FIR 1: मुंबई पुलिस को बदनाम करने के मामले में

एक एफआईआर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मुंबई पुलिस को बदनाम करने और फोर्स को गाली देने के मामले में दर्ज की गई है.

FIR 2: मॉर्फ्ड इमेज शेयर करने के मामले में

दूसरी एफआईआर मुंबई पुलिस कमिश्नर के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट की मॉर्फ्ड इमेज शेयर करने को लेकर की गई है. डीसीपी रश्मि करंदीकर ने कहा है कि वो दोनों मामलों में जांच शुरू कर चुकी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मुंबई पुलिस का अपमान करते हुए करीब 80,000 सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए. मुंबई पुलिस चीफ परमबीर सिंह ने कहा कि- 'मुंबई पुलिस के खिलाफ ये अभियान तब चलाया गया जब करीब 84 पुलिसवालों ने कोरोना संकट की वजह से जान गंवाई है और करीब 6000 हजार पुलिस कर्मी संक्रमित हुए हैं. सोशल मीडिया पर फोर्स के अपमान से जो भी पोस्ट हुए हैं उन पर आईटी एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी'.

सुशांत की मौत 14 जून को मुंबई में उनके घर में हुई थी, उनकी मौत के बाद उनके परिवारवालों ने आरोप गया था कि सुशांत का मर्डर किया गया है.

28 सितंबर को, यह बताया गया कि एम्स के डॉक्टरों के एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट (CBI) को सौंप दी थी. जिसमें मर्डर के होने की संभावना से साफ इनकार किया गया है. ये निष्कर्ष सुशांत सिंह राजपूत के पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट के पुनर्मूल्यांकन पर आधारित थे, जो उनके साथ उपलब्ध 20% विस्सेरा नमूने पर आधारित थे.

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