ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुशांत केस CBI के हाथ में जाने पर क्यों याद आया दाभोलकर मर्डर केस?

दाभोलकर के परिवार और शरद पवार ने सीबीआई जांच को लेकर उठाए सवाल

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई को सौंप दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्विटर पर कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आदर करते हुए महाराष्ट्र सरकार जांच में पूरी तरह सहयोग करेगी. साथ ही पवार ने सीबीआई पर निशाना साधते हुए कहा कि उम्मीद है, डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर के केस की तरह सुशांत सिंह राजपूत मामले का हाल नहीं होगा. बता दें कि सोशल एक्टिविस्ट नरेंद्र दाभोलकर की हत्या को हुए 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड का पता सीबीआई नहीं लगा सकी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

20 अगस्त 2013 की सुबह पुणे में अंधश्रधा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की दो अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना ने महाराष्ट्र के साथ पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

शुरुआत में इस मामले की जांच पुणे पुलिस कर रही थी, लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के मामले की तरह दाभोलकर मामले में भी पुलिस की जांच पर सवाल उठे. जिसके बाद परिवार की मांग पर महाराष्ट्र सरकार ने 2014 में जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया. 20 अगस्त 2020 को 7 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी दाभोलकर को न्याय नहीं मिल सका है.

पिछले सात सालों से अलग-अलग संगठनों ने कई बार दाभोलकर की हत्या के मुख्यसूत्रधारों को पकड़ने के लिए आंदोलन किए. जांच एजेंसी पर दबाव भी बनाया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

7 साल बाद कहां तक पहुंची दाभोलकर हत्या की जांच

दाभोलकर हत्या मामले में जांच कर रही सीबीआई ने साल 2016 में डॉक्टर विरेंद्र तावड़े, अगस्त 2018 में शरद कलसकर, सचिन अंधुरे और 2019 में संजीव पूनालेकर और विक्रम भावे को गिरफ्तार किया. इसके अलावा इस केस में चार्जशीट भी दायर की है. उधर अमोल काले और अमित डिगवेकर जैसे संदिग्ध आरोपियों के खिलाफ सीबीआई अब तक आरोपपत्र कोर्ट के सामने दायर करने में नाकाम रही है.

दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर ने कहा है कि सीबीआई अब तक ये पता लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है कि इस हत्या के पीछे का मुख्य सूत्रधार कौन है?  वहीं दाभोलकर के बेटे हामिद दाभोलकर ने भी सीबीआई जांच को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि, पिछले 6 सालों से सीबीआई दाभोलकर मर्डर केस की जांच कर रही है, कई लोग गिरफ्तार भी हुए, लेकिन अब तक मास्टरमाइंड को नहीं पकड़ा जा सका है. जो समाज में बदलाव लाने की सोच रखने वालों के लिए काफी खतरनाक है.

सीबीआई की अलग-अलग थ्योरी

दाभोलकर मामले में सीबीआई ने समय-समय पर अलग-अलग दावे किए हैं. सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि सनातन संस्था और दाभोलकर के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी/घृणा हत्या के पीछे एक बड़ी वजह है. विरेंद्र तावड़े के खिलाफ सीबीआई ने जो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी उसमें जांच एजेंसी ने सनातन संस्था से फरार सदस्य सारंग अकोलकर और विनय पवार को हमलावर बताया था, जिन्होंने दाभोलकर को गोली मार दी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन अगस्त 2018 में, सीबीआई ने हिंदुत्व कार्यकर्ताओं सचिन अंधुरे और शरद कलसकर को गिरफ्तार किया और पहले के दावे का खंडन करते हुए, सीबीआई ने अदालत को बताया कि ये दोनों शूटर थे जिन्होंने दाभोलकर पर गोलियां चलाई थीं. मई 2019 में, CBI ने मुंबई स्थित सनातन संस्था के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को गिरफ्तार किया.

सवाल ये है कि इतनी गिरफ्तारियों के बाद भी सीबीआई अब तक दाभोलकर हत्याकांड के मुख्य सूत्रधार तक क्यूं नहीं पहुंच पाई है? इसीलिए अब भले ही सुशांत केस में सीबीआई जांच को लेकर हो हल्ला मचाया जा रहा हो, लेकिन लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या सीबीआई इस केस को वक्त पर अंजाम तक पहुंचा पाएगी? या फिर कई सालों तक लोगों को पहेली में ही उलझा रहना होगा.

खत्म हुआ झगड़ा, अब जांच की उम्मीद

सुशांत की मौत हुए दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इस मामले में जांच कर रही मुंबई पुलिस को अब तक कोई फाऊल प्ले नहीं दिख रहा है. शुरुआत में ये बात सामने आई थी कि सुशांत ने आत्महत्या की है, लेकिन कुछ दिनों बाद उनके पिता ने बिहार में मामला दर्ज कराकर हत्या होने का शक जताया. जिसके बाद कई तरह के एंगल और थ्योरी सामने आने लगी. बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक जमकर राजनीति भी देखी गई. लेकिन आखिरकार अब दो राज्यों की पुलिस के झगड़े के बाद केस सीबीआई तक पहुंच चुका है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. फिलहाल सुशांत के परिवार और देशभर के लोगों को यही उम्मीद है कि सीबीआई जल्द से जल्द इस मामले की सच्चाई लोगों के सामने रखे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×