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दिल्ली में बढ़ा स्वाइन फ्लू का खतरा, कैसे रखें खुद को सुरक्षित?

दिल्ली में 88 मामले दर्ज किए गए, जो राज्य में दूसरे सबसे अधिक मामले हैं. पश्चिम बंगाल में 96 मामले सामने आए हैं.

Published
भारत
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मौसम में बदलाव के साथ, दिल्ली के अस्पतालों में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) के मामलों में तेजी देखी जा रही है. NCDC की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 सितंबर तक दिल्ली में स्वाइन फ्लू के 88 केस दर्ज किए गए, जो राज्य में दूसरे सबसे अधिक मामले हैं. इस बीच, पश्चिम बंगाल में 96 मामले सामने आए हैं.

31 अगस्त तक दिल्ली में 79 मामले थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अब तक 373 मामले सामने आए हैं और आठ की मौत हुई है.

अब खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें और क्या न करें ये समझ लीजिए...

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क्या है कोरोना, स्वाइन फ्लू और सीजनल फ्लू?

तीनों बीमारियां स्वाइन फ्लू, मौसमी (सीजनल) फ्लू और कोरोना अलग-अलग वायरस के कारण होती हैं. ये वायरस मुख्य रूप से आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम यानि फेफड़े पर हमला करता है.

मेयो क्लिनिक के मुताबिक, H1N1 फ्लू, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है, मुख्य रूप से फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस के H1N1 स्ट्रेन के कारण होता है.

H1N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा A वायरस है और H1N1 कई फ्लू वायरस में से एक है जो मौसमी फ्लू का कारण बन सकता है. स्वाइन फ्लू पहली बार अमेरिका में 2009 में फैला था, जहां वायरल संक्रमण सुअरों से लोगों में फैल गया था.

स्वाइन फ्लू पहली बार अमेरिका में 2009 में फैला था.

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क्या करें, क्या ना करें

स्वाइन फ्लू का कारण बनने वाला H1N1 वायरस ज्यादा संक्रामक होता है और अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है. अब सुरक्षित रहने के लिए क्या करें और क्या ना करें ये जान लीजिए-

  • वैक्सीनेशन जरूरी

स्वाइन फ्लू से बचने का सबसे सही तरीका ठंड के मौसम से पहले ही वैक्सीन्शन करवाना है. याद रखें, मौसमी फ्लू की वैक्सीन स्वाइन फ्लू से बचाव नहीं कर सकती, H1N1 की वैक्सीन अलग है.

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  • बीमार लोगों के साथ संपर्क में आने से बचें

ऐसे लोग जिन्हें खांसी, बहती नाक या फ्लू के अन्य लक्षण हैं उनसे संपर्क में आने से बचें.

  • हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करें

सैनिटाइजर का प्रयोग सबसे ज्यादा कारगर है, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर इसका इस्तेमाल होना ही चाहिए.

  • हाथ धोते रहें

साबुन से हाथ धोना अपनी आदतों में डाल लें.

  • किसी से हाथ न मिलाएं

किसी से मिलने पर उससे हाथ मिलाने से बचें, इससे सामने वाले व्यक्ति वायरस आप तक पहुंच सकता है.

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  • बार-बार मुंह पर हाथ न लगाएं

मुंह पर हाथ लगाने से आपके शरीर में वायरस सबसे आसानी से प्रवेश कर सकता है.

  • खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रुमाल से ढकें

आप इसके बजाय अपनी कोहनी में छींकने की कोशिश भी कर सकते हैं.

  • आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें

अपने आस-पास साफ-सफाई रखना न भूलें. फ्लू के वायरस सामान पर लंबे समय तक रह सकते हैं.

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  • अगर लक्षण हैं तो घर पर ही रहें

फ्लू जैसे लक्षण होने पर घर से बाहर न निकलें. अगर बाहर निकलेंगे तो आप दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.

  • केवल मास्क पर भरोसा न करें

इस बात की पुष्टी नहीं हुई है कि इन्फ्लूएंजा न फैले इसमें मास्क मदद कर सकता है. यदि आप मास्क पहनते हैं, तो उसे दोबारा न पहनें.

  • पैनिक न हो

यदि आपको लगता है कि आप में लक्षण हैं तो सावधानी बरतें तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं.

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