स्टीम बाथ से इंसान की त्वचा निखरती है और खूबसूरती बढ़ती है. अब यही तकनीक दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल की भी खूबसूरती बढ़ाने वाली है. ताज की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए उसे स्टीम बाथ थैरेपी देने पर विचार किया जा रहा है. इस टेक्निक के इस्तेमाल के बाबत ‘आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया’ (ASI) की साइंस यूनिट ने बाकायदा एक योजना तैयार की है.
इस यूनिट के असिस्टेंट केमिकल इंजीनियर एम के भटनागर ने बताया कि अभी इस पर शोध चल रहा है और सभी नतीजों के विश्लेषण के बाद ही तय होगा कि स्टीम बाथ में किन-किन रसायनों का इस्तेमाल किया जाएगा.
ताज की चमक फीकी पड़ रही है!
ताजमहल देखने हर साल लाखों देसी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. उनमें से बहुतेरे संगमरमर की दीवारों को हाथ से छू कर महसूस करते हैं. पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी को छूने से पर्यटकों को तो खुशी मिलती है, लेकिन यह ताज की सेहत के लिए ठीक नहीं. हाथ में लगे तेल, पसीने और मैल से ताजमहल के पत्थरों का रंग पीला पड़ गया है.
ताज की चमक फीकी पड़ गई है. ताज के पीलेपन को दूर करने के लिए सबसे पहले एएसआई ने मुल्तानी मिट्टी के मडपैक का इस्तेमाल किया. एम के भटनागर के मुताबिक, स्टीम बाथ थैरेपी इसी प्रक्रिया की अगली कड़ी है और इसका इस्तेमाल ताजमहल में परिक्रमा क्षेत्र में ही होना है जहां सैलानियों की आवाजाही सबसे ज्यादा होती है.
कई ऐतिहासिक इमारतों पर आजमाई जा चुकी है तकनीक
अतीत में रोम के ऐतिहासिक कैथोलिक चर्च को भी इसी तरीके से निखारा गया. और भारत में भी कुछ खास इमारतों पर इसका इस्तेमाल हो चुका है. एम के भटनागर के मुताबिक संसद भवन में और लाल किले में कुछ जगहों पर स्टीम बाथ तकनीक के जरिए गहराई तक बैठ चुकी गंदगी बाहर निकाली गई.
कैसे होता है स्टीम बाथ?
इसमें खास किस्म के फव्वारों का इस्तेमाल होता है. इन फव्वारों से गर्म भाप उठती है और उसमें कुछ खास किस्म के रसायन मिले होते हैं. यह गर्म भाप पत्थरों की सारी मैल सोख लेती है.
लेजर थेरेपी कारगर नहीं
ताज के संगमरमर की पुरानी चमक वापस लाने के लिए एएसआई ने कई तरीकों पर विचार किया. उसमें लेजर तकनीक भी शामिल है. लेकिन इस तकनीक में खतरा बहुत था. डर है कि लेजर तकनीक से पत्थर भीतर से कमजोर हो सकते हैं. और लंबे समय बाद पत्थर दरक भी सकते हैं. यही वजह है कि लेजर तकनीक खारिज कर दी गई.
ताज को बचाने के लिए अबतक हुई कोशिशें
ताजमहल ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ-साथ राजस्व का एक बड़ा जरिया भी है. आगरा के हजारों घरों की रोजी-रोटी ताजमहल की वजह से चलती है. बड़ी संख्या में सैलानियों के आने के कारण ताज के रख-रखाव पर एएसआई और प्रशासन को बड़ा ध्यान देना पड़ता है. बीते समय में भी प्रदूषण और सैलानियों की वजह से ताज पर पड़ने वाले खराब असर को रोकने के लिए कई फैसले लिए गए हैं.
- ताजमहल के पांच सौ मीटर के क्षेत्र में वाहनों को प्रतिबंधित किया जा चुका है.
- ढलाई जैसे कारखानों को भी बंद किया जा चुका है
- शहर को 24 घंटे बिजली की सप्लाई दी जा रही है ताकि जेनरेटरों के धुएं से ताज को कम से कम नुकसान हो.
- ताज और उसके आसपास के क्षेत्र को ताज ट्रिपोजियम जोन यानी टीटीजेड घोषित किया जा चुका है.
- यमुना नदी में पानी रहे इसके लिए तमाम प्रयास किये गये हैं.
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