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AIADMK की BJP को दो टूक- ‘मनमानी नहीं चलेगी या फिर विकल्प देख लें’

उठ सकते हैं पावर शेयरिंग के मुद्दे

Published
भारत
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तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी AIADMK ने बीजेपी पर 'निशाना साधते हुए' कहा है कि 'उसे राष्ट्रीय पार्टी सहयोगी के तौर पर नहीं चाहिए अगर वो अपनी मनमानी चलाएगी.'

27 दिसंबर को 2021 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के कैंपेन के पहले चरण के दौरान AIADMK सांसद केपी मुनुसामी ने संकेत दिए कि 'बीजेपी को मानना चाहिए कि AIADMK वरिष्ठ सहयोगी है, पलानीस्वामी की सीएम पद की उम्मीदवारी को समर्थन दे या फिर वो अपने विकल्पों पर दोबारा सोच ले.' मुनुसामी राज्य में चुनाव के डिप्टी कोऑर्डिनेटर भी हैं.

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केपी मुनुसामी ने कहा, "चाहे राष्ट्रीय पार्टी आए या क्षेत्रीय, सरकार की अध्यक्षता AIADMK ही करेगी."

गठबंधन की सरकार का कोई स्कोप नहीं है और कोई जरूरत भी नहीं है. अगर कोई पार्टी हमारे पास इस इरादे से आती है, तो मैं आपसे दोबारा सोचने की अपील करूंगा.

उन्होंने साफ किया कि तमिलनाडु में बीजेपी अकेले सफलता नहीं पा सकती और वो काफी हद तक AIADMK पर निर्भर है.

राज्य में बीजेपी का कोई विधायक या सांसद नहीं है और सत्ता में नौ साल रहने के बाद AIADMK सरकार एंटी-इंकम्बेंसी का सामना कर रही है.

इसका AIADMK-बीजेपी गठबंधन के लिए क्या मतलब है और क्या ये पार्टी में दरार का संकेत देता है?

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कोई राष्ट्रीय पार्टी राज्य में असर नहीं डाल सकती: AIADMK

मुनुसामी ने कहा, "1967 से जब अन्ना (DMK के फाउंडर अन्नादुरई) ने सरकार बनाई थी, तब से द्रविड़ियन सत्ता ने ये सुनिश्चित किया है कि कोई राष्ट्रीय पार्टी तमिलनाडु में एंट्री न कर सके."

ये जयललिता की मौत के बाद AIADMK का पहला विधानसभा चुनाव है.

मुनुसामी ने कहा, "कुछ राष्ट्रीय पार्टियां और मौकापरस्त लोग कह रहे हैं कि द्रविड़ियन सत्ता ने राज्य को बिगाड़ दिया."

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को द्रविड़ियन आंदोलन ने सींचा है और ये आंदोलन तमिल संस्कृति और भाषा की प्रकृति पर बना है. मुनुसामी ने कहा कि इसलिए राज्य बाकी देश से अलग था.

पलानीस्वामी और डिप्टी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम ने गठबंधन पर कोई टिप्पणी नहीं की और इसकी बजाय DMK नेता एमके स्टालिन पर हमला बोला. 
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उठ सकते हैं पावर शेयरिंग के मुद्दे

राजनीतिक विश्लेषकों ने क्विंट को बताया है कि हालांकि बीजेपी बिग बॉस है लेकिन उसे राज्य में एंट्री के लिए AIADMK की जरूरत है.

नाम न बताने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा, "पिछले कुछ सालों से बीजेपी AIADMK की मदद कर रही है और EPS और OPS के पार्टी को संभालने से पहले लिए कुछ मुख्य फैसलों के पीछे उसका हाथ था. बीजेपी अच्छी स्थिति में थी लेकिन ये राजनीति का खेल है. बीजेपी को AIADMK की मांगों को देखना पड़ेगा क्योंकि वो विपक्ष के पास नहीं जा सकती. AIADMK उनका अकेला विकल्प है."

बीजेपी गठबंधन के खिलाफ नहीं है. ये EPS और OPS थे, जिन्होंने बीजेपी का खुल कर स्वागत किया था लेकिन जब बात सीट और पावर शेयरिंग की आती है, तो मुद्दे और विवाद उठ सकते हैं. ये अब अम्मा या एमजीआर की पार्टी नहीं है, ये EPS-OPS पार्टी है और बीजेपी को अच्छे से समझौता करना पड़ेगा. 
रवींद्रन, राजनीतिक विश्लेषक

रवींद्रन ने कहा कि बीजेपी-AIADMK गठबंधन पक्का हो चुका है, लेकिन कुछ दिक्कत आ सकती हैं और रजनीकांत आने वाले दिनों में कुछ सरप्राइज दे सकते हैं.

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कोई विवाद नहीं: बीजेपी

बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव के समय AIADMK के साथ पार्टनरशिप की थी और तब से ही उनका गठबंधन पक्का हो गया.

बीजेपी की राज्य यूनिट ने हमेशा कहा है कि तमिलनाडु में NDA का सीएम उम्मीदवार पार्टी की नेशनल लीडरशिप तय करेगी. पार्टी ने पहले द्रविड़ियन राजनीति का विरोध किया है लेकिन कुछ समय से बीजेपी द्रविड़ियन विचारधारा के मुद्दे पर AIADMK पर हमला नहीं बोल रही है.

बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एच राजा ने कन्याकुमारी में मीडिया से बात करते हुए 27 दिसंबर को कहा कि दोनों पार्टियों के बीच कोई दिक्कत नहीं है. राजा ने का, "ये एक प्रक्रियात्मक मुद्दा है. बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी है और इसलिए संसदीय बोर्ड फैसले लेगा और ऐलान करेगा. कोई विवाद नहीं है."

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