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तमिलनाडु:CM स्टालिन की 33 मंत्रियों की कैबिनेट में सिर्फ 2 महिलाएं

चुने हुए प्रतिनिधियों में सिर्फ 5 फीसदी महिलाएं

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने के पहले दिन ही एमके स्टालिन ने ऐलान किया कि राज्य और शहरों की बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त होगी. हालांकि, इस फैसले की राज्य में तारीफ हुई है, लेकिन फिर भी एक सवाल रहेगा ही: प्रिय सीएम स्टालिन, आपकी कैबिनेट में महिलाएं कहां हैं?

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7 मई को DMK प्रमुख एमके स्टालिन ने अपने 33 मंत्रियों के साथ चेन्नई स्थित राजभवन में शपथ ली. मंत्रियों की लिस्ट में सिर्फ दो महिलाएं हैं: गीता जीवन और कायलविझी सेल्वाराज.

“कैबिनेट एक बॉयज क्लब लगता है. दुखद सच्चाई है कि हम हैरान नहीं हैं क्योंकि हमने द्रविड़ियन पार्टी से महिलाओं के निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की उम्मीद नहीं की थी.” 
शैलीन लॉरेंस, दलित लेखक  

चुने हुए प्रतिनिधियों में सिर्फ 5 फीसदी महिलाएं

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 जीतने वालों में से सिर्फ 5 फीसदी महिलाएं हैं. 2016 चुनाव में राज्य में 21 महिलाएं चुनी गई थीं, लगभग 9 फीसदी.

इस बार सिर्फ 12 महिला उम्मीदवार चुनाव जीती हैं, 7 DMK और 5 AIADMK से. इनमें से ज्यादातर अपने क्षेत्र में विधायक रह चुकी हैं या दोबारा विधायक बनी हैं.

ये जानना भी जरूरी है कि सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के इस चुनाव में कुल उम्मीदवारों में से सिर्फ एक-दहाई हिस्सा महिला उम्मीदवारों का था.

कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मायम लगातार दूसरी पार्टियों की महिलाओं के खराब प्रतिनिधित्व पर आलोचना करती रही है. इस पार्टी की महिला उम्मीदवारों की संख्या 8 फीसदी से भी कम थी.  

इस चुनाव में तीसरा सबसे ज्यादा वोट शेयर पाने वाली नाम तमिलार कत्छी (NTK) ही अकेली ऐसी पार्टी है जिसने 50 फीसदी सीटें महिलाओं को दी थीं, लेकिन कोई भी चुनाव नहीं जीत पाई.

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चेन्नई के लिए कोई महिला नेता नहीं

DMK ने चेन्नई में बड़ी जीत हासिल की है, लेकिन राज्य की राजधानी की किसी भी सीट पर पार्टी ने महिला उम्मीदवार को खड़ा नहीं किया था.

चेन्नई की किसी भी विधानसभा सीट से कोई महिला विधायक नहीं चुनी गई है. AIADMK की गोकुल इंद्रा, बीजेपी की खुशबु सुंदर और AIADMK की बी वलरमथी चुनाव हार गई हैं.

दिलचस्प बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता 2016 में चेन्नई से विधानसभा चुनाव जीतने वालीं आखिरी महिला उम्मीदवार थीं. 
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AIADMK नहीं जयललिता थीं महिला-समर्थक

2016 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं के वोट पुरुषों की तुलना में 3.6 लाख ज्यादा पड़े थे. इसका नतीजा ये रहा था कि जयललिता की अध्यक्षता में AIADMK ने एक बार फिर वापसी की थी. ऐसा तमिलनाडु में 30 सालों के बाद हुआ था.

हालांकि, AIADMK के महिलाओं को अच्छा प्रतिनिधित्व देने के मामले में राजनीतिक विश्लेषक सुमंत रमन कहते हैं कि वो जयललिता थीं जिन्होंने महिला-समर्थक नीतियां बनाई, न कि पूरी पार्टी ऐसी थी. रमन कहते हैं कि इसलिए आज तक AIADMK में कोई मजबूत महिला नेता नहीं है.  

रमन ने कहा, "AIADMK के साथ जयललिता फैक्टर था और इसलिए वो महिला उम्मीदवारों और योजनाओं को प्रमोट कर रही थी. पिछली सरकार में सिर्फ चार महिला मंत्री थीं लेकिन जयललिता का ऐसी महिलाओं को चुनने का तरीका था जिन्हें लोग कम जानते हों लेकिन वो पोर्टफोलियो संभाल सकती हों. हम ये DMK या AIADMK से उम्मीद नहीं कर सकते."

वरिष्ठ पत्रकार संध्या रविशंकर ने कहा कि जयललिता की गोल्ड स्कीम ने लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा दिया और मौजूदा सरकार को महिलाओं के लिए रोजगार के मौके और सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.

संध्या ने कहा, "जवान महिलाओं को समर्थन देना होगा जो अपने गृह जिलों से बाहर काम कर रही हैं, स्कूटर स्कीम को भी दोबारा लाया जा सकता है, इससे उन्हें बाहर जाकर काम करने की प्रेरणा मिलेगी."

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