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सोशल मीडिया पर शुरू हुआ तनिष्क विवाद अब जमीन पर,स्टोर को मिली धमकी

गुजरात के कच्छ जिले के गांधीधाम इलाके में तनिष्क स्टोर को धमकी भरे कॉल आए हैं

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पिछले दो दिनों से टाटा ग्रुप के मशहूर ज्वेलरी ब्रॉन्ड तनिष्क के एक वीडियो विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल चल रहा था और अब ये बवाल सोशल मीडिया से निकलकर जमीन पर आ गया है. गुजरात के कच्छ जिले के गांधीधाम इलाके में तनिष्क स्टोर को धमकी भरे कॉल आए हैं, जिसके बाद स्टोर वालों ने सफाई देते हुए एक शोरूम के बाहर नोटिस चिपकाया है. हालांकि पहले मीडिया के कुछ हिस्सों में खबर चलाई गई कि शोरूम पर हमला हुआ है, लेकिन इन खबरों का खंडन स्थानीय पुलिस अधिकारी और शोरूम के मैनेजर ने किया है.

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'हमें धमकी भरे कॉल मिले'

गांधीधाम में तनिष्क शो रूम के मैनेजर राहुल मनूजा ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि-

हमारे स्टोर पर हमला नहीं हुआ है. हालांक हमें धमकी भरे कॉल जरूर मिले हैं. लोगों ने हमारा समर्थन किया है
राहुल मनूजा, मैनेजर, तनिष्क शो रूम

'स्टोर पर हमला हुआ, ये खबर गलत है'

आज दोपहर में कुछ मीडिया संस्थानों ने खबर चला दी कि तनिष्क के शोरूम पर हमला हो गया. लेकिन पूर्वी कच्छ के एसपी मयूर पाटिल ने मीडिया से बात करते हुए सफाई दी है. उन्होंने बताया है कि -

12 अक्टूबर को दो लोग तनिष्क के गांधीधाम वाले स्टोर में आए थे और उन्होंने माफी मांगने की मांग की थी. शॉप के मालिक ने ये मांग मान ली लेकिन उनको लगातार धमकी भरे कॉल मिलते रहे. लेकिन स्टोर पर हमला हुआ है ये खबर गलत है.
मयूर पाटिल, एसपी

स्टोर को मिल रही धमकियों का असर ये हुआ कि शो रूम के मालिक ने माफी मांगते हुए शोरूम के बाहर नोटिस भी लगा दिया. हालांकि आधिकारिक रूप से तनिष्क ने कोई माफी नहीं मांगी है.

'कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन हटाया': तनिष्क

सोशल मीडिया पर बरपे विवाद के बीच तनिष्क ने भी ट्विटर पर एक मैसेज शेयर किया है. तनिष्क ने लिखा है कि-

'एकत्वम' अभियान के पीछे हमारा विचार ये था कि अलग-अलग जीवन जीने वाले लोग, स्थानीय समुदाय और परिवार साथ आएं और हमारी एकता का जश्न मनाएं. लेकिन फिल्म से काफी गंभीर प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, जो कि इसके लक्ष्य के विपरीत हैं. हमें दुख है कि इससे लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची है और हम अपने कर्मचारियों, सहयोगियों और स्टोर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये विज्ञापन हटा रहे हैं.
तनिष्क

एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ने कहा- किसी नियम का उल्लंघन नहीं

इसके पहले विज्ञापनों की देखरेख करने वाली स्वनियंत्रित संस्था ASCI में भी तनिष्क के विज्ञापन को लेकर शिकायत की गई. एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) में तनिष्क के विज्ञापन के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई कि ये विज्ञापन 'सांप्रदायिकता मिलावट को बढ़ावा देता' है. लेकिन ASCI ने कहा है कि ये किसी कोड का उल्लंघन नहीं है.

#तनिष्क_माफी_मांग जैसे हैशटैग्स ट्रेंड में

ट्विटर पर #BoycottTanishq और #तनिष्क_माफी_मांग जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं. हंगामा बढ़ने के बाद कंपनी ने अपने सारे प्लेटफॉर्म्स से ये विज्ञापन हटा भी लिया. लेकिन सोशल मीडिया पर फिर भी हंगामा शांत नहीं हुआ है, और एक तबका अभी भी कंपनी से माफी मांगने की मांग पर अड़ा हुआ है. हालांकि कंपनी ने अभी तक माफी नहीं मांगी है और अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का हवाला देते हुए विज्ञापन हटाया है.

सोशल मीडिया पर एक धड़ा इस विज्ञापन का जमकर विरोध कर रहा है और इसे ‘लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला’ बता रहा है तो वहीं एक धड़ा इन बहिष्कार करने वालों की आलोचना कर रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि ये विज्ञापन सांप्रदायिक एकता की मिसाल पेश करता है.

विज्ञापन के वीडियो में ऐसा क्या है?

एक घर में साड़ी पहनी हुई महिला की गोद भराई के उत्सव की तैयारी हो रही है, घर में खुशी का माहौल है. इस महिला के साथ उसकी सास दिख रही हैं जो कि सलवार दुपट्टा पहने हुए हैं. घर के माहौल से ऐसा लगता है कि ये एक मुस्लिम परिवार है. विज्ञापन के आखिर में युवती कहती है- 'ये रस्म तो आपके घर में होती भी नहीं है' तो सास जवाब देती हैं कि- 'बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है.' इसी मोड़ पर विज्ञापन खत्म हो जाता है. इसी गोद भराई की रस्म के दौरान ज्वेलरी का विज्ञापन होता है.

तनिष्क का बहिष्कार करने वालों की भी हो रही आलोचना

तनिष्क के इस विज्ञापन पर बवाल मचने के बाद कई लोग तनिष्क के समर्थन में खड़े दिख रहे हैं. भले ही तनिष्क ने ये विज्ञापन हटा लिया हो, लेकिन कई लोग अपने पर्सनल सोशल मीडिया अकाउंटस से ये वीडियो विज्ञापन शेयर करते हुए इसकी तारीफ कर रहे हैं और इस सांप्रदायिक एकता की मिसाल बता रहे हैं.

जाहिर है कि एक त्योहारी सीजन में हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के साथ एक ब्रांड को प्रचारित करता हुआ विज्ञापन विवादों में आ गया.

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