कांग्रेस नेता और तीन बार के असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई (86) का सोमवार की शाम निधन हो गया. असम के स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमंत बिसवा सरमा ने यह जानकारी दी. गोगोई की मौत की घोषणा करते हुए, सरमा ने मीडिया को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री का पार्थिव शरीर सोमवार की रात गुवाहाटी के प्रसिद्ध श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में रखा जाएगा. अंतिम संस्कार उनके परिवार के साथ परामर्श के बाद मंगलवार या बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा.
सोमवार की सुबह उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई थी. कोरोना संक्रमित 84 साल के कांग्रेस नेता का इलाज गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज (जीएमसीएच) में इलाज चल रहा था. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल तरुण गोगोई के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए डिब्रूगढ़ के सभी कार्यक्रम रद्द कर गुवाहाटी लौट आए थे. उन्होंने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.
उन्हें नाजुक हालत के बाद दो नवंबर को जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. जीएमसीएच के डॉक्टरों ने कहा कि गोगोई की स्वास्थ्य स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ रही थी और उन्हें सांस लेने में समस्या आ रही थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था.
प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने गोगोई के निधन पर शोक जताया है. पीएम मोदी ने उन्हें केंद्र और राज्य दोनों की राजनीति में दखल रखने वाला लोकप्रिया नेता बताया.
वहीं राहुल गांधी ने शोक जताते हुए लिखा कि गोगोई उनके लिए एक शिक्षक थे और वो उन्हें याद करेंगे.
गोगोई का राजनीतिक सफर
1968 में जोरहाट मुंसिपल बोर्ड से अपना राजनीतिक सफर करने वाले गोगोई तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में संसद में कदम रखने वाले गोगोई का राजनीतिक सफर कुछ ऐसा है
- 1971- 5वीं लोकसभा में सांसद चुने गए
- 1976- ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के सयुंक्त सचिव बने
- 1985- AICC के महासचिव पद पर प्रमोट हुए
- 1991-1993- गोगोई ने केंद्रीय खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पद संभाला था.
- 1993-1995- केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे
- 2001- असम विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने.
- 2001, 2006 और 2011 में गोगोई ने लगातार तीन बार अपनी पार्टी को दिलाई जीत
- 2014 लोकसभा चुनाव और 2016 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस राज्य में सत्ता से बाहर हो गई
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