भारत के पूर्वी भाग के बंगाल और पश्चिमी भाग के गुजरात में रविवार को लोगों ने जब सुबह दरवाजे से अखबार उठाया तो पाया कि कोरोना संकट के कुप्रबंधन पर शासन से सवाल अब सीधे हो रहे हैं.
'लेगेसी मीडिया' की तरह 'सिस्टम' को दोष देने की जगह गुजरात के स्थानीय अखबार 'गुजरात समाचार' ने सीधे प्रधानमंत्री को निशाना करते हुए पहले पन्ने पर छापा कि "प्रधानमंत्री 22 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं" तो आज ही 'द टेलीग्राफ' ने बंगाल में छापा कि "चुनाव खत्म. वापस आइये. देश का सामना कीजिए"
द टेलीग्राफ: "नेहरू के बनाए सिस्टम को शुक्रिया कहिए"
द टेलीग्राफ ने रविवार को अपने अखबार के पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ लिखा "चुनाव खत्म .वापस आइए. देश का सामना कीजिए".
साथ में उसने तीन स्टोरी छापी
गलती स्वीकारिये और नेतृत्व प्रदान कीजिए
नेहरू के बनाए सिस्टम को शुक्रिया कहिए
मिट्टी के पांव और खून से सने हाथों वाला भगवान"चुनाव खत्म .वापस आइए.देश का सामना कीजिए".
हालांकि इससे आहत होकर ट्विटर पर एक लेगेसी मीडिया के 'पत्रकार' ने लिखा कि "इस अखबार ने बंगाल चुनाव के बाद की हिंसा पर कोई हेडलाइन नहीं छापी थी".
द टेलीग्राफ में प्रधानमंत्री मोदी से सीधे सवाल पर कुछ लोग यह तर्क कर सकते हैं कि 'द टेलीग्राफ' बंगाल के सत्ताधारी TMC के पाले में है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के गृहराज्य गुजरात, जहां का मॉडल दिखा कर वह प्रधानमंत्री बने, के स्थानीय अखबार भी अब कोरोना संकट के कुप्रबंधन पर सीधे प्रधानमंत्री को संबोधित कर रहे हैं.
गुजरात समाचार: लोक सेवक अब तानाशाह बन गया है
रविवार के संस्करण में गुजरात समाचार ने पहले पन्ने पर हेड लाइन छापा- "प्रधानमंत्री 22 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं ".उसके ऊपर सबहेडिंग में लिखा कि "जब भारतवासी जिंदगी और कोविड से होती मौत होत के बीच झूल रहे थे तब हमारा लोकसेवक तानाशाह बन गया था".आगे एक और सबहेडिंग में छापा कि "जब रोम जल रहा था तब नीरो बांसुरी बजा रहा था .कोरोना के बीच 'फकीर' अपने लिए 1000 करोड़ का आलीशान घर बना रहा है"प्रधानमंत्री 22 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं "
गुजरात समाचार ने यह भी खबर छापा कि गुजरात के बनासकांठा में 40 बेड़ों का 'हॉस्पिटल' बनाया गया है जहां कोरोना मरीजों का पंचगव्य (दूध ,घी ,गोमूत्र ,गोबर से बना) और मंत्रों से इलाज होगा.
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