बाढ़ से जूझ रहे बिहार में नवजात बच्चों के नाम अब गंगा के जुड़े शब्दों पर रखे जा रहे हैं.
अभिभावक गंगा के अलावा एनडीआएफ के नाम पर भी शिशुओं का नाम रखने लगे हैं. संकट के समय एनडीआरएफ की टीम ने ही बाढ़ ग्रस्त लोगों को बचाया था.
पिछले कुछ दिनों में कई बच्चे राहत शिविरों और एनडीआरएफ की बचाव नौकाओं पर भी पैदा हुए हैं.
नकटा दियारा की रहने वाली सरिता देवी ने पटना के दीघा स्थित राहत शिविर में एक लड़के को जन्म दिया. उन्होंने बच्चे का नाम गंगेश रखा है.
मैंने उसका नाम गंगेश रखा है, क्योंकि हम गंगा नदी द्वारा विस्थापित हुए हैं. यह नाम मुझको हमेशा याद दिलाएगा कि मेरा पहला बच्चा राहत शिविर में पैदा हुआ था.सरिता देवी, राहत शिविर
गुड्डी देवी ने भी बचाव नौका पर एक बेटे को जन्म दिया और उसका नाम गंगापुत्र भीष्म रखा है. गुड्डी के एक परिजन ने कहा, “हमने अभार व्यक्त करने के लिए गंगा नदी के नाम पर बच्चा का नामकरण किया है.”
एनडीआरएफ के अधिकारी के अनुसार, परिजन चाहते थे कि बच्चे का नाम उन्हें यह याद दिलाए कि वह गंगा नदी में नाव पर पैदा हुआ था.
एक अन्य बच्चे को वैशाली जिले के बीरपुर की रहने वाली रोशनी कुमारी ने जन्म दिया और बच्चे का नाम नमामि गंगे रखा गया है.
बचाव नौका पर बच्चे को सुरक्षित जन्म देने में एनडीआरएफ की टीम ने रोशनी कर मदद की. आभार व्यक्त करने के रूप में हमने अपने बच्चे का नाम नमामि गंगे रखा है.सरोज पटेल, रोशनी कुमारी के पति, राहत शिविर
एनडीआरएफ के विजय सिन्हा ने कहा कि राहत और बचाव अभियानों के दौरान दर्जनों गर्भवती महिलाओं को नाव से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. उन्होंने कहा, “संकट की घड़ी में गर्भवती महिलाओं की मदद करना हमारा कर्तव्य है.”
चौंकाने वाली बात है कि भोजपुर जिले में एक बच्चे का नाम एनडीआरएफ सिंह रखा गया है, क्योंकि एनडीआरएफ की टीम ने मदद की थी.
3 लाख लोग राहत शिविरों में
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 12 जिलों के 2037 गांवों में 37 लाख लोग बाढ़ प्रभावित हैं. करीब 5 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें 3.03 लाख लोग सरकारी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.
बाढ़ से राज्य में 58 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन अब बाढ़ में फंसे लोगों के बुरे दिन अब बीतने वाले हैं, क्योकि गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर तेजी से घट रहा है.
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