सीनियर कांग्रेस लीडर ने दो राष्ट्र के सिद्धांत के लिए वीडी सावरकर को जिम्मेदार ठहराया है. थरूर ने कहा कि दक्षिणपंथी नेता वीडी सावरकर ही ने सबसे पहले इस सिद्धांत को सामने रखा था और उसके तीन साल बाद मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया था.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में थरूर ने कहा कि दो-राष्ट्र सिद्धांत के पहले पैरोकार वास्तव में वीडी सावरकर थे. हिंदू महासभा के प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत के हिंदू-मुसलमानों को दो अलग-अलग राष्ट्रों के रूप में मान्यता देने का आह्वान किया.
थरूर ने कहा,हिंदुत्व आंदोलन ने संविधान को खारिज कर दिया था
थरूर ने कहा कि 'सावरकर की नजर में हिंदू ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए भारत पितृभूमि (पूर्वजों की जमीन), पुण्यभूमि है.' उन्होंने कहा कि देश में हिंदुत्व के आंदोलन ने संविधान को साफ तौर खारिज क दिया था.
उन्होंने मैंने अपनी किताब ‘व्हाई एम आई ए हिंदू’ में सावरकर, एम एस गोलवलकर और दीन दयाल उपाध्याय का हवाला दिया है. ये ऐसे लोग थे जो मानते थे कि राष्ट्रीयता धर्म से ही तय होती है. जबकि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का कहना था कि धर्म आपकी पहचान तय नहीं करता, यह आपकी राष्ट्रीयता तय नहीं करता, हमने सभी की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और सभी के लिए देश का निर्माण किया.
थरूर ने कहा कि बीजेपी भी गांधी जी एक प्रतीक की तरह इस्तेमाल हो रहा है. क्योंकि उनकी एक ब्रांड वैल्यू. लेकिन बीजेपी उनके नाम का इस्तेमाल कर उनके सिद्धांतों को दरकिनार कर देती है.
थरूर ने कहा कि गांधी एक समर्पित हिंदू थे जो अपनी सुबह की प्रार्थना में ईसाई भजन और कुरान की आयतें भी शामिल करते थे. गुरु ग्रंथ साहिब से भी पाठ किया जाता था. हर धर्म वहां मौजूद होता था. यह महात्मा गांधी का भारत था और हम सब जानते हैं कि उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अपनी जान दे दी.
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