19 साल की मशहूर बाघिन ‘मछली’ का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद रणथंभौर नेशनल पार्क में निधन हो गया. वो दुनिया की सबसे पुरानी बाघिन थी. आम बाघों से उसकी औसत उम्र 4-5 साल ज्यादा थी.
बाघिन के चेहरे पर मछली जैसा निशान होने के कारण उसे मछली का नाम दिया गया था. मछली ने बीमारी के कारण पिछले कुछ दिनों से खाना पीना भी बंद कर दिया था.
मछली एक सेलिब्रिटी की तरह रही. ना सिर्फ उसके नाम पर कई डॉक्युमेंटरी बनी बल्की डाक टिकट में भी मछली का फोटो प्रिन्ट हुआ. मजे कि बात ये है कि मछली का फेसबुक फैन पेज भी है.
मछली ने पिछले 10 सालों में नेशनल पार्क को पर्यटकों द्वारा करीब 65 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया है. उसने अपनी जिंदगी के दौरान 11 बच्चों को जन्म दिया.
उसे उसके तेज स्वभाव के लिए जाना जाता था. एक बार उसने मगरमच्छ के साथ हुई लड़ाई में अपना दात तोड़ लिया था. तब से उसे हर रोज खाने में मछली दी जाती थी.
मछली ने रणथंभौर नेशनल पार्क का गौरव बढ़ाया है. वो पार्क की गॉडमदर थी. पूरे सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सभी गाइड और वन कर्मचारी मछली को परिवार के सदस्य की तरह मानते थे. इसलिए वो सभी मछली का दाह-संस्कार अच्छे से करना चाहते हैं.हेमराज मीणा
मछली भारी भीड़ जुटाने में कामयाब रहती थी. वो भारत की प्रसिद्ध बाघिन थी इसलिए राजस्थान सरकार उसका अंतिम संस्कार अच्छे से करना चाहती है. 2014 में जब वो 26 दिनों के लिए गायब हो गई थी तो ये अनुमान लगाया जा रहा था कि मछली मर चुकी है. पर अचानक उसके वापस आने पर लोगो में खुशी की लहर दौड़ गई थी.वन अधिकारी
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(द हिंदू, डीएनए और मिड डे इनपुट्स के साथ)
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