स्क्रिप्ट एंड प्रोड्यूसर: त्रिदीप के मंडल
एनिमेशन और वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
जब चुनावी बॉन्ड की सच्चाई हमने बताई
भारत में चुनावी बॉन्ड एनोनिमस यानी पहचान को गुप्त रखने के लिए लाए गए थे, ताकि आम नागरिक अपनी पसंद के राजनीतिक दलों को डोनेट कर सकें. केंद्र सरकार ने कहा था कि राजनीतिक डोनर के नामों का पता नहीं चलेगा, ताकि उनका पहचान सामने न लाया जा सकें.
लेकिन, द क्विंट आपके लिए सच्चाई लेकर आया और आपको हमने बताया कि चुनावी बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर छपे होते हैं, जो केवल अल्ट्रावॉयलेट लाइट में दिखाई देते हैं. इससे सरकार को डोनर्स के बारे में पता लग सकता है, जो स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक है.
NRC से पहले ही 'डिटेंशन कैंप' की तस्वीरें आप तक पहुंचाई
2020 में जब एनआरसी जो सिर्फ एक सरकारी प्रस्ताव था, उसका और सीएए का लाखों भारतीय विरोध कर रहे थे. डर यह था कि भारतीय नागरिकों की पहचान 'विदेशी' के रूप में की जाएगी और उन्हें उनके धर्म के आधार पर हिरासत में लिया जाएगा या यहां तक कि निर्वासित भी कर दिया जाएगा. इस डर का जल्द ही एहसास हो गया, क्योंकि द क्विंट आपके लिए सच्चाई लेकर आया - जमीन से तस्वीरें और वीडियो जो यह साबित करते थे कि 2020 में ही, एनआरसी से बहुत पहले असम में 'विदेशी डिटेंशन कैंप' बनाए जा रहे थे. जो स्पष्ट रूप से अलोकतांत्रिक है.
अपने ही नागरिकों की जासूसी- क्विंट ने किया था खुलासा
अक्टूबर 2021 में कर्नाटक सरकार ने अपने 11.5 लाख ईसाई नागरिकों की जासूसी करनी शुरू की थी. स्टेट इंटेलिजेंस विंग ने सभी जिलों में पुलिस को राज्य में चल रहे कानूनी और 'अवैध' चर्चों, उनके स्थानों, उनके पादरियों और पैरिश सदस्यों की डिटेल इकट्ठा करने के निर्देश जारी किए. द क्विंट इसे भी उजागर किया था.
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