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‘बोल’ अपनी भाषा में, सोच बहुत ही अच्छी है

अंग्रेजी जो जानता नहीं, दुनिया में उसे कोई मानता नहीं

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‘बोल’ अपनी भाषा में

सोच बहुत ही अच्छी है

मगर कैसे कहूं मैं हिंदी में

इस समाज में तो बस अंग्रेजी ही

सब भाषाओं से सच्ची है

अंग्रेजी जो जानता नहीं

दुनिया में उसे कोई मानता नहीं

बच्चों को हिंदी सिखाओ तो

स्कूल कहता 'टॉक इन इंग्लिश'

होटल में हिंदी बोलो तो

बैरा समझे पैसे नहीं

किस राह पर चल पड़ा है देश हमारा

जहां प्रधानमंत्री तो बोलें हिंदी में

मगर नौकरी

नौकरी की अर्जी की योग्यता है

'बात करना जानें अंग्रेजी में!'

कैसी भाषा के कैदी बने हैं हम

जिसके नियमों के भी हैं कुछ नियम

जहां हर रिश्ते का बस एक ही नाम

मामा, चाचा, काका, फूफा और

पड़ोसी तक की भी एक ही पहचान

अंग्रेजी तो बन चुकी है

हमारे व्यक्तित्व की पहचान

इसी से मिलता जग में सम्मान

जो मातृभाषा बोले वो है तुच्छ इंसान

उसे जारी हो जाता अंग्रेजी में फरमान

मगर सच कहना ऐ दोस्तों

क्या अपनी मातृभाषा मां सी प्यारी नहीं है?

वो अपनापन, वो बेतकल्लुफी का एहसास

क्या अंग्रेजी भाषा दे पाती है?

फिर क्यों मातृभाषा इक कोने में खड़ी पाई जाती है?

फिर क्यों मातृभाषा बेइज्‍जत की जाती है?

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( द क्विंट को यह लेख वंदना भसीन ने स्वतंत्रता दिवस कैंपेन के BOL – Love your Bhasha के लिए भेजा है.)

[ क्‍या आप अपनी मातृभाषा से प्‍यार करते हैं? इस स्‍वतंत्रता दिवस पर द क्‍व‍िंट को बताएं कि आप अपनी भाषा से क्‍यों और किस तरह प्‍यार करते हैं. आप जीत सकते हैं BOL टी-शर्ट. आपको अपनी भाषा में गाने, लिखने या कविता सुनाने का मौका मिल रहा है. अपने BOL को bol@thequint.com पर भेजें या 9910181818 नंबर पर WhatsApp करें.]

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