कांग्रेस नेता और पंजाब में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के लिए बैचेनी भरा वक्त है. सुप्रीम कोर्ट में 30 साल पुराने रोड रेज का मामले पर सुनवाई चल रही है. आज बुधवार इस केस में फैसला आ सकता है. अगर फैसला सिद्धू के पक्ष में नहीं आता है तो उनके लिए आगे की राह काफी मुश्किल भरी होगी.
क्या था पूरा मामला
30 साल पहले दिसंबर 1988 को सिद्धू की कार पार्किंग को लेकर एक बुजुर्ग शख्स गुरनाम सिंह से सहासुनी हो गई थी. धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई मामला हाथापायी तक पहुंच गया. बुजुर्ग शख्स के साथ उसका एक रिश्तेदार भी था. जिसने आरोप लगाया था कि झड़प के दौरान सिद्धू ने उसके अंकल को धक्का दिया, जिसके बाद वो बेहोश गए. बेहोश गुरनाम को अस्तपाल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इसके बाद सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. सिद्धू के साथ उनके साथ मौजूद उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ.
1999 को सेशन कोर्ट ने केस खत्म कर दिया था.
उस रात को हुए हादसे ने सिद्धू के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दीं और एक पल में उनकी जिंदगी बदल गई. कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने के बाद 1999 में सिद्धू को राहत मिली, जब सेशन कोर्ट ने केस को खत्म कर दिया. सबूतों के आभाव में इस केस को खत्म कर दिया गया था.
हालांकि 2002 में एक बार फिर सिद्धू के खिलाफ पंजाब और हरियाणा कोर्ट में अपील की गई. इस बीच 2004 में सिद्धू ने राजनीति में एंट्री मारी और अमृतसर से बीजेपी के सांसद चुने गए. 2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई.
जनवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर रोक लगा दी.
गुरमान सिंह के बेटे और उनके साथ घटना पर मौजूद चश्मदीद सिद्धू की सजा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
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