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Qलखनऊःबंगला बचाने को योगी से मिले मुलायम,उन्नाव केस में SI अरेस्ट

पढ़िए उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें Q लखनऊ में

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उन्नाव कांडः CBI ने दो उपनिरीक्षकों को किया गिरफ्तार

सीबीआई ने उन्नाव में एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के दो उपनिरीक्षकों को गिरफ्तार किया है. इस नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के आरोप में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि उपनिरीक्षक अशोक सिंह भदौरिया और उप निरीक्षक कामता प्रसाद सिंह को मामले में गिरफ्तार किया गया है. दोनों उन्नाव जिले में माखी थाने में पोस्टेड थे. दोनों फिलहाल निलंबित हैं.

अधिकारियों ने बताया कि दोनों को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि दोनों को आपराधिक साजिश और सबूतों को नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

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वाराणसीः सेतु निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज

वाराणसी में फ्लाईओवर का हिस्सा गिरने के मामले में उत्तर प्रदेश सेतु निगम के अधिकारियों, इंजीनियरों, स्टाफ और ठेकेदारों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है. वहीं डीएम ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिये हैं.

बुधवार को रोडवेज पुलिस चौकी प्रभारी धनानंद त्रिपाठी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई. निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है, जिन्हें पहले समाजवादी पार्टी सरकार के समय हटा दिया गया था, लेकिन बीजेपी के राज्य में सत्ता में आने के बाद बहाल कर दिया गया था. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आरके भारद्वाज ने कहा कि निगम के अधिकारियों के खिलाफ फरवरी में भी एक प्राथमिकी हुई थी. ये प्राथमिकी समुचित अवरोधक, सर्विस लेन का निर्माण जैसे सुरक्षा मानक नहीं अपनाने के लिए की गई थी. इस बीच जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने कहा है कि मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिये गये हैं. जांच एडीएम मनोज कुमार राय करेंगे और वह तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.

बंगला बचाने को सीएम योगी से मिलने पहुंचे मुलायम

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके पांच कालिदास मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की. समझा जाता है कि मुलायम सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनके सरकारी बंगले खाली करने के निर्देश से पैदा हालात पर चर्चा करने गये थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुलायम सिंह दोपहर में मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचे और वहां करीब 20 मिनट रहे.

सरकारी अधिकारियों ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया, जबकि मुलायम के करीबी मानते हैं कि उन्होंने अपने बंगले से जुड़े मुद्दे पर बात की. मुलायम पांच विक्रमादित्य मार्ग पर रहते हैं, जबकि उनके बेटे अखिलेश यादव बगल में ही चार विक्रमादित्य मार्ग पर रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी बंगले खाली करने का निर्देश दिया था. कोर्ट का यह आदेश एनजीओ लोक प्रहरी की जनहित याचिका पर आया. उत्तर प्रदेश विधानसभा ने एक संशोधन प्रस्ताव पारित किया था, जिसके तहत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगलों में रहने का प्रावधान था. उत्तर प्रदेश के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव के पास राजधानी के वीवीआईपी क्षेत्र में सरकारी बंगले हैं.

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गैंगरेप केस में गायत्री प्रजापति की जमानत अर्जी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के एक कथित मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. इस मामले में वह एक आरोपी हैं. न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने प्रजापति की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया.

कोर्ट ने पहले प्रजापति की उस याचिका पर उत्तर प्रदेश पुलिस से जवाब मांगा था, जिसमें पूर्व मंत्री ने मामले में अपनी जमानत अर्जी खारिज करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के पिछले साल दिसंबर के फैसले को चुनौती दी थी. प्रजापति को 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ खटपट के दौरान अपनी कैबिनेट से हटा दिया था. बाद में उन्हें फिर से मंत्री बना दिया गया था. चित्रकूट की एक महिला ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था.

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पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तेज कार्रवाई के लिए एसटीएफ का गठन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों की तेज पैरवी, कार्रवाई पर नजर रखने और समीक्षा के लिए जिलों में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है. जिन जिलों में एएसपी (क्राइम) के पद हैं, वहां उन्हें इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है. बाकी जगह अन्य राजपत्रित अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी.

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने बुधवार को इस बारे में आदेश जारी किये. इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के पारित आदेश के क्रम में बालिकाओं के साथ घटित रेप और मर्डर की घटनाओं की विवेचना और वादों की पैरवी के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाये. उन्होंने कहा कि अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) द्वारा मुख्यालय स्तर पर सभी जोन की गई कार्यवाही संबंधी सूचनायें और विवरण लेकर गहन समीक्षा की जाएगी. ऐसे मामलों में पीड़िता का बयान महिला पुलिस अधिकारी या महिला अधिकारी द्वारा अंकित किया जाएगा. आदेश में कहा गया है कि पॉक्सो कानून के अन्तर्गत यह बयान उपनिरीक्षक स्तर की महिला पुलिस अधिकारी द्वारा अंकित किया जाये.

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