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Qलखनऊ: RLD विधायक BJP में शामिल, बोर्ड परीक्षा में 60 कैदी पास

पढ़िए- उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें Q लखनऊ में

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भारत
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RLD के इकलौते विधायक ने थामा बीजेपी का दामन

कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल के इकलौते विधायक सहेंद्र सिंह रमाला बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बागपत जिले की छपरौली सीट से चुने गये आरएलडी विधायक सहेंद्र सिंह रमाला अपने सैकड़ों समर्थकों समेत प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुये.

बीजेपी की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने बताया कि ''कैराना और नूरपुर का उपचुनाव घोषित हो चुका है. सहेंद्र सिंह रमाला के पार्टी में शामिल होने से इन दोनों सीटों पर पार्टी को मजबूती मिलेगी और पार्टी दोनों सीटों पर निश्चित ही विजय हासिल करेगी.''

कैराना लोकसभा सीट और नूरपूर विधानसभा सीट पर 28 मई को उपचुनाव होगा और 31 मई को मतगणना होगी. इस बीच आरएलडी नेता अनिल दुबे ने कहा,‘‘ विधायक को राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग के कारण पहले ही पार्टी से निकाला जा चुका है. उनके बीजेपी में शामिल होने से यह साबित हो गया है कि वह बीजेपी के हाथों में खेल रहे थे.

सोर्स- भाषा

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पोस्टमार्टम हाउस में शव को कुत्ते ने नोचा, दो निलंबित

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. पोस्टमार्टम हाउस में एक शव को कुत्ते नोच रहे हैं. ये सारा मामला एक वीडियो वायरल होने के बाद सामने आया है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि पोस्टमार्टम हाउस में शव को कुत्ता नोच रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की पोल खोलने वाली इस घटना से पूरा प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया. आनन-फानन में जांच कर सीएमओ ने चीफ फार्मासिस्ट रविकांत दीक्षित और फार्मासिस्ट प्रशांत बालियान को निलंबित कर दिया है.

बता दें कि अज्ञात शव को पोस्टमार्टम हाउस में 26 अप्रैल की रात अकराबाद पुलिस ने रखवाया था. पहचान के लिए वहां 72 घंटे शव को रखना जरूरी था. इसके लिए यहां डीप फ्रीजर भी हैं, लेकिन कर्मचारियों ने लापरवाही दिखाते हुए शव बाहर ही रखवा दिया. जिसके बाद पोस्टमार्टम हाउस में अंदर घुस आए कुत्ते ने शव को नोच डाला. मामला सामने आने के बाद डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने विस्तृत जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी भी गठित कर दी है.

सोर्स- दैनिक जागरण

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60 कैदियों ने पास की यूपी बोर्ड की परीक्षा

यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट और हाईस्कूल के रिजल्ट में अलग अलग जिलों के जेलों में बंद 60 कैदियों ने सफलता हासिल की है. इस बार 99 कैदियों ने परीक्षा दी थी. यूपी बोर्ड के रिजल्ट के मुताबिक हाईस्कूल परीक्षा के लिए फिरोजाबाद जेल के आठ बंदियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सात ने ही परीक्षा दी. इनमें से 6 सफल हुए हैं. लखनऊ जेल के पांच बंदियों ने परीक्षा दी और पांचों कामयाब हो गये. फैजाबाद जेल के तीन बंदी परीक्षा में शामिल हुए और तीनों पास हो गये. फर्रूखाबाद जेल से भी परीक्षा देने वाले सभी छह बंदी सफल हुए हैं.

हाईस्कूल परीक्षा के लिए कुल 81 बंदियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 52 ही परीक्षा में शामिल हुए और इनमें से 32 उत्तीर्ण हो गये. सबसे ज्यादा बरेली से 16 बंदियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें से 13 बंदी परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन सभी फेल हो गये.

इंटरमीडिएट में विभिन्न जेलों में बंद 47 बंदियों ने परीक्षा दी थी और इनमें से 28 को सफलता हासिल हुई है. सबसे ज्यादा लखनऊ जेल के 11 बंदियों ने परीक्षा दी थी और इनमें से 9 उत्तीर्ण हुए हैं.

सोर्स- प्रभात खबर

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इलाज करने के बजाय डॉक्टरों को प्रशासनिक कामों में क्यों लगाया जाए- हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों को अस्पतालों में क्लीनिकल काम में लगाने के बजाय उन्हें उनकी मर्जी के बगैर प्रशासनिक कामों में लगाने पर कड़ा ऐतराज जताया है. अदालत ने प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि एक ओर तो डॉक्टरों को यह कहकर वक्त से पहले रिटायरमेंट (वीआरएस) नहीं दी जा रही है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है तो वहीं दूसरी ओर उन्हें किस आधार पर अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने की बजाय प्रशासनिक कामों में लगाया जा रहा है.

अदालत ने सरकार से जवाब तलब किया है कि चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में बतौर अपर निदेशक प्रशासन कार्यरत डा.सुनील कुमार की यह गुजारिश क्यों नहीं मानी जा रही है कि उन्हें क्लीनिकल काम में लगाया जाये. जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा एवं जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की पीठ ने डॉ.सुनील कुमार की याचिका पर यह टिप्पणी की.

याचिकाकर्ता का कहना था, वह बतौर प्रशासनिक अधिकारी तैनात है जबकि वह अस्पतालों में बतौर चिकित्सक मरीजों का इलाज करना चाहते हैं. सरकार से कई बार गुजारिश की लेकिन सरकार ड्यूटी अस्पतालों में नहीं लगा रही है.

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अस्पताल में गर्भवती महिला को नहीं किया भर्ती, रैन बसेरे में दिया बच्चे को जन्म

एक गर्भवती महिला ने रैन बसेरे में बच्चे को जन्म दिया. उसके परिवार ने आरोप लगाया कि जिला महिला अस्पताल में उसे भर्ती नहीं किया गया था. हालांकि, अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक ने इस आरोप से इनकार किया है. घटना काजल नाम की महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद उसका पति उसे जिला महिला अस्पताल लाया. अधिकारी ने बताया कि अस्पताल ने घटना की जांच का आदेश दिया है.

अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ . अमिता गर्ग ने दावा किया कि महिला को भर्ती करने से मना नहीं किया गया था बल्कि उसकी हालत को देखते हुए उसे मेडिकल कॉलेज जाने को कहा गया था. उन्होंने बताया कि महिला के परिजनों ने इस बात पर गौर नहीं किया और इसके बजाए वे महिला को रैन बसेरा ले गए. उन्होंने दावा किया कि अस्पताल के चिकित्सकों ने रैन बसेरे में बच्चे के जन्म के बाद चिकित्सा सहायता मुहैया करवाई.

सोर्स- भाषा

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