फिल्मों में आपने पुलिस अफसरों की जांबाजी के किस्से खूब देखे और सुने होंगे. लेकिन हम आपको रियल लाइफ के एक ऐसे पुलिस अफसर के बारे में बता रहे हैं, जो न सिर्फ जनता के लिए काम करते हैं, बल्कि जनता के बीच रहकर काम करते हैं.
साल 1992 बैच के आईपीएस अफसर डीसी सागर अपने काम करने के अंदाज को लेकर पूरे डिपार्टमेंट के लिए मिसाल बने हुए हैं. डीसी सागर मध्य प्रदेश के नक्सली इलाके बालाघाट रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पद पर तैनात हैं.
‘जिंदगी एक बार मिलती है, जान लगाकर ड्यूटी करता हूं’
इस आईपीएस अफसर की पहचान मध्य प्रदेश में एक ऐसे पुलिस अधिकारी की है, जो जनता हो या पुलिस कॉन्स्टेबल, सबके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं.
पुलिस महकमे में अपने अधीनस्थों के साथ काम करना हो या फिर जनता के बीच जाकर पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करना हो, आईजी सागर अपने काम करने के अंदाज से सबका दिल जीत लेते हैं.
साइकिल से पेट्रोलिंग करते हैं आईजी साहब
नक्सल इलाका हो, तो पुलिस को आधुनिक हथियारों के साथ-साथ पॉवरफुल वाहनों की भी जरूरत होती है. हर कदम पर जहां नक्सली हमले का खतरा हो, वहां भी सागर जान खतरे में डालकर साइकिल से गश्त करते हैं. उनका मानना है कि जिंदगी एक बार मिलती है, तो ड्यूटी मन लगाकर करनी चाहिए.
डी सी सागर, पुलिस महानिरीक्षक, बालाघाट रेंजऐसा नहीं है कि आप बंद गाड़ी या काले कांच वाली गाड़ी में ही घूमने के लिए बने हैं. ये नौकरी ऐसी है जिसमें आप जब तक जनता की समस्याओं तक नहीं पहुंचेंगे, तब तक आप उनकी समस्याओं को नहीं सुलझा सकते. साइकिल से पेट्रोलिंग लोकल एरिया में होती है. इससे जनता से पुलिस का जुड़ाव होता है. जब जनता से जुड़ाव होता है, तभी जनता पुलिस को गलत या संदिग्ध गतिविधिओं की सूचनाएं देती है. इसके साथ ही साइकिल चलाने से स्वास्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है.
सिर्फ पुलिसगीरी नहीं, समाजसेवा भी करते हैं IG
...ताकि पढ़ाई में पीछे न रह जाएं बच्चे
नक्सल प्रभावित इलाके बालाघाट में कम्यूनिटी पुलिसिंग के जरिए पुलिस जनता के दिलों में जगह बनाकर उनका विश्वास जीत रही है. विकास की दृष्टि से पिछड़े इलाकों में आईजी सागर अपने अधीनस्थों के साथ जाकर बच्चों से बात करते हैं और उन्हें शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करते हैं.
आईजी सागर ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले फंड से पिछड़े इलाकों में पुलिस लाइब्रेरी स्थापित किए गए हैं. साथ ही बच्चों को जिस स्टडी मेटेरियल की जरूरत होती है, पुलिस उन्हें उपलब्ध कराती है.
उन्होंने बताया कि बालाघाट पुलिस ने शिक्षा सुरक्षा रोजगार प्रेरणा नाम से एक कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें युवाओं और बच्चों को पढ़ने और रोजगार के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है.
डी सी सागर, पुलिस महानिरीक्षक, बालाघाट रेंजबच्चों को शिक्षा की तरफ प्रोत्साहित कर रहे हैं, रोजगार की तरफ प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि उनको पता नहीं है कि उनको क्या करना है. नक्सल इलाकों में हमने पुलिस लाइब्रेरी बनाई है. इन लाइब्रेरी में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चे पढ़ने आते हैं और उन्हें वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भी जानकारी दी जाती है. कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत हम काम कर रहे हैं. बच्चों को जो भी अध्ययन सामग्री चाहिए होती है, वो उन्हें हम उपलब्ध कराते हैं.
साफ-सफाई में भी पीछे नहीं हटते आईजी
आईजी सागर बेहद साफ-सफाई पसंद इंसान हैं. थाना हो या पुलिस लाइन, आईजी सागर जहां भी रहते हैं ,अपने अधीनस्थों के साथ-साथ पुलिस के कार्यस्थल और आवास, सभी को दुरुस्त रखते हैं. सागर कहते हैं, ‘कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता. हम सब इंसान हैं और हमें सभी के साथ मिलकर ही काम करना चाहिए.’
यही वजह है कि आईजी सागर समय-समय पर स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित कराते हैं और खुद भी इन कार्यक्रमों में अपने अधीनस्थों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं.
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