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अशोक खेमका का फिर हुआ ट्रांसफर, बोले- ‘ईमानदारी का इनाम जलालत’

28 साल की नौकरी में 50 से ज्यादा ट्रांसफर झेल चुके हैं अशोक खेमका

Published
भारत
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हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का एक बार फिर ट्रांसफर हो गया है. अपनी 28 साल की नौकरी में अशोक खेमका 50 से ज्यादा बार ट्रांसफर हो चुके हैं. अशोक खेमका ने अपनी नयी तैनाती पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘ईमानदारी का इनाम जलालत है.’

हरियाणा सरकार ने बुधवार को अशोक खेमका समेत 14 आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया.

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भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1991 बैच के अधिकारी अशोक खेमका ने ट्विटर पर लिखा-

फिर तबादला. लौट कर फिर वहीं. कल संविधान दिवस मनाया गया. आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश और नियमों को एक बार और तोड़ा गया. कुछ प्रसन्न होंगे. अंतिम ठिकाने जो लगा. ईमानदारी का इनाम जलालत.
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अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में ट्रांसफर

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, अशोक खेमका हरियाणा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में मार्च में प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त किये गये थे. उनका अगला कार्यभार प्रधान सचिव, अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग है.

बता दें, बीजेपी-जननायक जनता पार्टी सरकार के करीब एक महीने पहले सत्ता में आने के बाद से यह पहला बड़ा प्रशासनिक फेरबदल है. ट्रांसफर तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो जाएंगे.

हरियाणा के चर्चित IAS अफसर हैं अशोक खेमका

सीनियर आईएएस अफसर अशोक खेमका साल 2012 में उस वक्त चर्चा में आये थे, जब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से संबद्ध स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदे के दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था.

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कहीं, महाराष्ट्र पर ट्वीट तो नहीं ट्रांसफर की वजह?

अशोक खेमका का ट्रांसफर वैसे तो सरकारी प्रक्रिया के तहत हुआ है. लेकिन उनके ट्रांसफर को महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम को लेकर उनके एक ट्वीट से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

अशोक खेमका ने बुधवार को ही महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने तंज कसते हुए लिखा था-

विधायकों की खरीद-फरोख्त, उन्हें बंधक बनाना सभी जनसेवा के लिए की जाती है, जनसेवा जैसा सुअवसर छोड़ा नहीं जाता, वंचित रहने से हृदय में पीड़ा जो होती है. होने दो, खूब द्वंद होने दो, साझेदारी में तो मिल-बांट कर जनसेवा की जाएगी.

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम को लेकर किया गया उनका ट्वीट ही तो उनके ट्रांसफर की वजह नहीं बना?

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