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तीन तलाक बिल :जेडी (यू) और बीजेडी ने इस तरह किया सरकार का काम आसान

देश में तीन बार तलाक-तलाक बोल कर तलाक देना अब गैर कानूनी हो गया है.

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देश में तीन बार तलाक-तलाक बोल कर तलाक देना अब गैर कानूनी हो गया है. मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक को गैरकानूनी करार देने वाला बिल राज्यसभा में मंगलवार को पास हो गया. अब तीन तलाक देना आपराधिक कृत्य होगा और इसके लिए तीन साल की जेल हो सकती है. लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है.

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बीजेडी के समर्थन और जेडी (यू) के वॉकआउट से बिल का रास्ता आसान

पिछले सप्ताह लोकसभा ने मुस्लिम महिला (अधिकार संरक्षण और विवाह) बिल पास किया था अब राज्यसभा में यह पास हो गया. एक साथ तीन तलाक बोल कर तलाक देने पर अब तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. बीजेपी के पास राज्यसभा में 78, जबकि इसके घटक दलों यानी एनडीए को मिलाकर 107 सीटें हैं.

बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े जबकि विरोध में 84. बीजू जनता दल ने बिल का समर्थन किया. जेडी (यू) और अन्नाद्रमुक ने वॉकआउट किया था.इससे बिल पास कराने के लिए जरूरी वोटों की संख्या 121 से घट गई. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस की सदन में गैर मौजूदगी ने भी एनडीए को बिल पास कराना आसान बना दिया.

लोकसभा में 303 के मुकाबले 82 वोटों से पास हुआ था बिल

लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पिछले सप्ताह 303 के मुकाबले 82 वोटों से पास हो गया था. इस बिल पर बहस के दौरान समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान ने बीजेपी की रमा देवी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस पर काफी हंगामे के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी.

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मोदी ने कहा, ऐतिहासिक दिन

बिल पास होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है. आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है. सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है. इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं.

उन्होंने कहा, तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया. मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है.

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बिल को पेश करते वक्त कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस प्रथा को कई इस्लामिक देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद अब-तक ऐसा नहीं किया है. बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसे राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक के नजरिये से नहीं देखना चाहिए. यह मानवता का सवाल है, जबकि कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार मुस्लिम परिवारों को तोड़ देना चाहती है.

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