टीआरपी घोटाला सामने आने के बाद रेटिंग देने वाली एजेंसी BARC ने सभी न्यूज चैनलों की टीआरपी पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी. इसे लेकर अब न्यूज इंडस्ट्री के दो बड़े दिग्गज आमने-सामने नजर आ रहे हैं. एक तरफ इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा और दूसरी तरफ रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी हैं. लेकिन इन दोनों में ये टकराव सिर्फ रेटिंग को रोके जाने को लेकर नहीं है, बल्कि इससे पहले भी रजत शर्मा ने रिपब्लिक टीवी की TRAI से कई बार शिकायतें की हैं और कहा है कि रिपब्लिक ने टीवी नियमों का उल्लंघन किया है.
दरअसल रजत शर्मा और अर्नब गोस्वामी दो अलग-अलग ब्रॉडकास्टर्स बॉडी का नेतृत्व भी करते हैं. जिनमें न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को रजत शर्मा और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (NBF) को अर्णब गोस्वामी देखते हैं. अब दोनों संस्थाओं की तरफ से BARC के टीआरपी बैन को लेकर अपनी-अपनी राय दी गई है.
रजत शर्मा के नेतृत्व वाले एनबीए ने BARC के फैसले का स्वागत किया है, जबकि अर्णब गोस्वामी की अध्यक्षता वाले एनबीएफ ने बार्क के इस फैसले पर आपत्ति जताई है.
इसे लेकर रजत शर्मा ने कहा है कि जिस तरह से हाल ही में खुलासे हुए हैं, उससे रेटिंग एजेंसी और ब्रॉडकास्ट न्यूज मीडिया की बदनामी हुई है. रजत शर्मा ने ये भी कहा कि इसकी अखंडता की सुरक्षा के लिए व्यूअरशिप डेटा के कलेक्शन और प्रोसेसिंग में मानवीय हस्तक्षेप को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए.
रिपब्लिक टीवी के खिलाफ NBA की शिकायतें
अब ये तो रजत शर्मा का इस ताजा मामले को लेकर दिया गया बयान है, लेकिन इससे पहले भी उनके नेतृत्व वाले NBA ने खुलकर रिपब्लिक टीवी की शिकायतें की थीं और कहा था कि इस चैनल ने एकतरफा कब्जा जमाया हुआ है. एनबीए की तरफ से आरोप लगाया गया कि ये चैनल कई स्लॉट पर एकतरफा कब्जा जमाए हुए है. दर्शकों की संख्या बढ़ाने के मकसद से रिपब्लिक ने अन्य गंभीर नियामक उल्लंघन किए हैं.
इसे लेकर रजत शर्मा की अध्यक्षता वाले एनबीए ने कई औपचारिक शिकायतें भी की हैं. बीते 6 महीनों में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को 20 से अधिक लेटर लिखे हैं, जिनमें उसने बताया कि कैसे रिपब्लिक टीवी ने अन्य शैलियों और भाषाओं सहित कई चैनलों पर कब्जा किया हुआ है, जो कि ट्राई (TRAI) के नियमों का खुला उल्लंघन है.
एनबीए का कहना है कि ये ट्राई के नियमों का उल्लंघन नहीं है तो और क्या है कि रिपब्लिक टीवी एक से अधिक स्लॉट को इस्तेमाल में ला रहा है, जबकि केबल या डीटीएच प्लेटफॉर्म पर केवल एक ही स्लॉट की इजाजत है.
अर्णब गोस्वामी की बढ़ती मुश्किलें
इस मामले को लेकर रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. भले ही अर्णब खुद को बेकसूर बताने का दावा कर रहे हों, लेकिन हर बार उनके दावों को खारिज किया जा रहा है. हाल ही में खुद BARC ने एक बयान जारी कर कहा था कि उन्होंने इस मामले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है और रिपब्लिक टीवी ने उनके बयान को गलत तरीके से दिखाया. BARC ने इस पूरे मामले में रिपब्लिक टीवी को फटकार लगाई थी. क्योंकि वो बार्क के नाम से पिछले कई दिनों से खुद को क्लीन चिट दे रहे थे.
इसके अलावा 19 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से कहा कि अगर इस पूरे मामले में अर्णब गोस्वामी आरोपी हैं या फिर बनाए जाते हैं तो पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए समन कर सकती है. इस पर अर्णब गोस्वामी के वकील ने कहा कि वो पूरा सहयोग करेंगे. जिसके बाद अब पुलिस अर्णब को पूछताछ के लिए बुला सकती है.
मुंबई के पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर ने किया केस
मुंबई पुलिस के भूतपूर्व असिस्टेंट कमिश्नर इकबाल शेख ने भी रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. उसके तहत उन्होंने मुंबई पुलिस के खिलाफ अपमानजनक रिपोर्ट’ करने से हुई मानसिक पीड़ा के लिए मानहानि के तौर पर 5 लाख रुपए की मांग की गई है. अधिवक्ता आभा सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि रिपब्लिक टीवी और आर भारत ने मुंबई पुलिस के खिलाफ एक ‘बदनाम करने वाला अभियान’ शुरू किया है, जिससे वादी (इकबाल शेख) को पीड़ा पहुंची है, जिन्हें मुंबई की शानदार पुलिस फोर्स में अपनी सेवा देने पर गर्व है. टीआरपी स्कैम में इल्जाम झेल रहे रिपब्लिक टीवी के लिए इस तरह तो मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं. अब आगे देखना यह है कि यह मामला किस करवट सेट होता है, कितना लंबा खिंचता है!
क्या है पूरा मामला?
कुछ दिनों पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर ने दावा किया था कि उन्होंने टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ किया है. जिसमें रिपब्लिक टीवी, फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा चैनल के नाम सामने आए थे. इसके बाद मीडिया के कई बड़े चैनल्स और पत्रकारों ने रिपब्लिक टीवी की कड़ी निंदा और उसकी पत्रकारिता पर भी कई सवालिया निशान लगाए.
इसके अलावा देश के प्रमुख एडवर्टाइजर्स, जैसे : बजाज, पारले, अमूल और डॉलर जैसे प्रमुख ब्रैंड्स ने ऐसे न्यूज चैनल्स को विज्ञापन देने से अपने हाथ पीछे खींचने की बात कही है, जो समाज में भ्रामक एवं जहरीली खबरें परोसने का काम करते हों.
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