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TRAI के नए आदेश के खिलाफ एक जुट हुए टीवी प्रसारक

ट्राई ने स्थापना के 15 साल में 36 शुल्क आदेश दिये हैं.

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भारत
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भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाल ही में सब्सक्राइबर शुल्क कम करने का आदेश जारी किया था. लेकिन टेलीविजन प्रसारक अब अपनी प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए ट्राई के आदेश के खिलाफ एक जुट खड़े हो गए हैं. कारोबारियों का कहना है कि चैनलों की अधिकतम दर तय करने से प्रसारण सामग्रियों को क्रिएशन और रोजगार प्रभावित होगा.

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आईबीएफ के अध्यक्ष एवं सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के प्रमुख एन.पी.सिंह ने कहा,

‘‘हम स्थिर और टिकाउ नियमन व्यवस्था चाहते हैं ताकि बेहतर रणनीति बना सकें. ट्राई ने स्थापना के 15 साल में 36 शुल्क आदेश दिये हैं.

'ट्राई का कदम एक तरह का सूक्ष्म नियमन'

प्रसारण उद्योग के संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन (आईबीएफ) ने कहा कि सब्सक्राइबर के लिये शुल्क कम करने का ट्राई का कदम एक तरह का सूक्ष्म नियमन है और यह उद्योग जगत का भविष्य जटिल बनाने वाला है. उन्होंने कुछ हालिया निर्णयों को एकपक्षीय बताते हुए कहा कि बिना किसी आंकड़े या उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया जाने ही ये निर्णय लिये गये.

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टेलीविजन प्रसारण उद्योग के शीर्ष कारोबारियों ने दी प्रतिक्रिया

  • डिस्कवरी एशिया-पैसिफिक की मेघा टाटा ने कहा, ‘‘ऐसे बहुत ही सूक्ष्म स्तर के नियमन क्षेत्र के भविष्य को जटिल बनाते हैं.’’
  • टीवी टूडे के अरुण पुरी ने कहा कि प्रसारण अनाज और दाल की तरह आवश्यक जिंस नहीं है, अत: बाजार में उपस्थित निकायों के पास मूल्य तय करने के अधिकार होने चाहिये.
  • स्टार इंडिया के चेयरमैन उदय शंकर ने कहा कि इस तरह के कदम से सामग्रियों में निवेश कम होगा तथा छोटे चैनल बंद हो जाएंगे.
  • जी एंटरटेनमेंट के मुख्य कार्यकारी पुनीत गोयनका ने सवाल उठाया कि ट्राई का यह कदम क्या नरेंद्र मोदी सरकार के कारोबार सुगमता के एजेंडे के अनुकूल है.

बता दें, ट्राई ने नए साल के शुरुआत में केबल और प्रसारण सेवाओं के लिए नयी नियामकीय रूपरेखा पेश की. इसके तहत केबल टीवी के ग्राहक कम कीमत पर अधिक चैनल देख सकेंगे. खास बात यह है कि नियामक ने उपभोक्ताओं द्वारा सभी ‘फ्री टू एयर’ चैनलों के लिए दिए जाने वाले मासिक शुल्क की सीमा 160 रुपये तय कर दी है.

ट्राई ने 200 चैनलों के लिए अधिकतम एनसीएफ शुल्क (कर रहित) को घटाकर 130 रुपये कर दिया है. इसके अलावा नियामक ने फैसला किया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जिन चैनलों को अनिवार्य घोषित किया है, उन्हें एनसीएफ चैनलों की संख्या में नहीं गिना जाएगा.

इनपुट भाषा से भी

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