ADVERTISEMENTREMOVE AD

अयोध्या विवाद: वक्फ बोर्ड दावा वापस लेने को तैयार, बस 3 शर्तें हैं

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या केस में समझौते का जो प्रस्ताव रखा है उसमें तीन शर्तें हैं

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गुरुवार, 17 अक्टूबर को यह कन्फर्म कर दिया कि अयोध्या टाइटल सूट में मध्यस्थता पैनल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में समझौता प्रस्ताव सौंपा गया था. उसके इस प्रस्ताव में कहा गया है तीन शर्तों पर वक्फ बोर्ड अयोध्या जमीन विवाद में अपना दावा छोड़ देगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

समझौता प्रस्ताव में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह 1992 में कार सेवकों की ओर से तोड़े जाने से पहले मौजूद मस्जिद की जमीन पर अपना दावा छोड़ देगा अगर

  • अलग-अलग वक्त पर जिन मस्जिदों पर दावे किए गए हैं और जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि ये मंदिर की जमीन पर बनाई गई हैं, उनकी सुरक्षा की गारंटी दी जाए. यह 15 अगस्त 1947 को मौजूद सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बरकरार रखने के वादे के मुताबिक होगा. पूजास्थल (विशेष प्रावधान) एक्ट, 1991 में इसका प्रावधान है.
  • सरकार अयोध्या की मस्जिदों का पुनरुद्धार कराए
  • पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के नियंत्रण वाली मस्जिदों को नमाज के लिए खुलवाया जाए.
अयोध्या में टाइटल सूट पर सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों की सुनवाई के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव की बात सामने आई है. मध्यस्थता पैनल में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एफ एम कलिफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता एक्सपर्ट श्रीराम पंचू शामिल हैं. बुधवार को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का समझौता प्रस्ताव सौंपा था. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने माना, समझौता प्रस्ताव सौंपा गया

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी ने मीडिया में समझौते के प्रस्ताव की खबरें आने के बाद इसकी पुष्टि कर दी . इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया, दोनों में समझौते के प्रस्ताव की खबर छपी थी. रिजवी ने कहा कि मध्यस्थता के दूसरे दौर की बदौलत समझौते का यह नया प्रस्ताव आया था. मध्यस्थता की बात कोर्ट की सुनवाई के समांतर ही चल रही थी. रिजवी से जब यह पूछा गया कि जब अयोध्या टाइटल सूट को लेकर सुनवाई पूरी हो चुकी हो और जजमेंट पांच जजों की बेंच ने सुरक्षित रख लिया हो तो समझौता प्रस्ताव के लिए देर नहीं हो चुकी है. इस पर उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता ऐसा है. अगर काम करना चाहें तो आखिरी वक्त में भी हो सकता है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि समझौते की शर्तें क्या हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इस केस में समझौता हो सकता है?

पहले इस तरह की रिपोर्ट आई थी कि अयोध्या टाइटल से जुड़े प्रमुख पक्ष रामजन्म भूमि न्यास और 'रामलला' के प्रतिनिधि समझौता प्रस्ताव का हिस्सा नहीं हैं.

अयोध्या टाइटल सूट में विवादित जमीन पर हक का फैसला होना है. इस जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के हक पर कोर्ट को फैसला देना है.

द क्विंट को सूत्रों से पता चला है कि एक संगठन के तौर पर निर्मोही अखाड़ा समझौते के प्रस्ताव पर राजी नहीं है. अखाड़े के सिर्फ एक महंत ने इसकी मंजूरी दी है.

अगर ये सभी पक्ष समझौते के लिए राजी नहीं होते हैं तो इसे लागू करना मुश्किल होगा. यह भी साफ नहीं है कि सुनवाई के लिए इतना वक्त देने और कार्यवाही के दौरान समझौता प्रस्ताव को सामने न लाने को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट इसे स्वीकार करेगा या नहीं. हालांकि यह खबर भी थी कि सुनवाई करने वाले जज गुरुवार को मध्यस्थता पैनल के प्रस्ताव पर विचार कर रहे थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×