सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर (Twitter) और भारत सरकार के बीच तकरार जारी है. भारत सरकार ने ट्विटर के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि नए IT नियमों का पालन नहीं करने की वजह से ट्विटर ने भारत में इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का दर्जा खो दिया है.
एएनआई ने लिखा है,
नए IT नियमों का पालन नहीं करने की वजह से ट्विटर ने भारत में इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का दर्जा खो दिया है. विभिन्न उपयोगकर्ताओं से सामग्री की होस्टिंग करने वाला केवल एक प्लेटफॉर्म माना जाने की बजाय, ट्विटर अपने प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित पोस्ट के लिए सीधे संपादकीय रूप से जिम्मेदार होगा. इसका मतलब यह है कि अगर कथित गैरकानूनी सामग्री के लिए ट्विटर के खिलाफ कोई आरोप है तो इसे एक प्रकाशक के रूप में माना जाएगा, इंटरमीडरी नहीं और आईटी अधिनियम, साथ ही देश के दंड कानूनों सहित किसी भी कानून के तहत दंड के लिए उत्तरदायी होगा.
इससे पहले सरकारी सूत्रों ने कहा था कि यह मेनस्ट्रीम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में ऐसा अकेला प्लेटफॉर्म है जिसने नए कानूनों का पालन नहीं किया है.
बता दें कि ट्विटर ने मंगलवार को भारत सरकार के नए आईटी नियमों को देखते हुए अंतरिम चीफ कंप्लायंस ऑफिसर (Interim Chief Compliance Officer) नियुक्त किया है. हालांकि सरकार ने 5 जून को ट्विटर को आखरी पत्र लिख कर तुरंत नए नियमों के पालन की सलाह दी थी. जिसके बाद ट्विटर ने एक हफ्ते का वक्त मांगा था. इससे पहले ट्विटर ने अंतरिम अफसर नियुक्त किया था.
अब देखना होगा कि चूंकि ट्विटर ने अफसर की नियुक्ति कर दी है तो सरकार का क्या रुख होता है.
ट्विटर को भारतीय आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिली सुरक्षा का अधिकार अब छिन गया है और अब इसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. अगर ट्विटर पर कोई यूजर भड़काऊ आपत्तिजनक या गैरकानूनी पोस्ट करता है तो अब लेकर भारत में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर समेत टॉप अधिकारियों से पुलिस पूछताछ कर सकेगी.
ट्विटर के खिलाफ FIR
इसी सुरक्षा का अधिकार हटने के साथ ही यूपी के गाजियाबाद में ट्विटर के खिलाफ एक वायरल वीडियो को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.
दरअसल, गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ मारपीट के मामले में ट्वीट को लेकर ट्विटर, कांग्रेस नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज की है. बुजुर्ग व्यक्ति ने दावा किया था कि उनकी पिटाई करने वालों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था. हालांकि पुलिस ने इस मामले में साम्प्रदायिक पहलू होने से इनकार किया है.
पुलिस का कहना है कि ट्विटर ने मामले से जुड़े वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया है.
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