घर से दूर पैसे कमाने आया था, अब इतने पैसे नहीं मिलते कि खुद सही से रह पाऊं, परिवार की कैसे मदद कर पाऊंगा?
यह कहना है योगेश कुमार का, जो ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस उबर में कैब चलाते हैं. योगेश यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. फिलहाल नोएडा में किराए के मकान में रहते हैं. जब योगेश उबर से जुड़ने की सोच रहे थे, तो उन्हें बताया गया कि कैब से 1 से 1.5 लाख रुपये महीने में कमाया जा सकेगा. हालांकि इसका 20 फीसदी ही योगेश को मिलता, क्योंकि उनके पास खुद की कैब नहीं है.
योगेश के मुताबिक शुरुआत में उन्हें हर महीने 50-60 हजार की कमाई होती थी. अब ये कमाई घटकर 20 से 30 हजार पर पहुंच गई है. कैब के मालिक को पैसे देने के बाद बमुश्किल 5-6 हजार ही उन्हें मिल पाते हैं. ऐसे में उन्हें नोएडा में कमरे का किराया देना भी मंहगा पड़ रहा है.
योगेश ने क्विंट हिंदी से बातचीत में अपना दर्द बताते हुए कहा:
शुरू-शुरू में अच्छा लगा था, सोचा था कि अब जिंदगी बेहतर हो जाएगी
योगेश का दावा है कि 18-20 घंटे सड़कों पर गाड़ियां दौड़ाने के बाद भी सवारी नहीं मिलती. कंपनी ने इंसेंटिव देना भी बंद कर दिया है. पहले दूसरे कैब को कंपनी से जोड़ने पर 5 हजार का अतिरिक्त बोनस मिलता था, जिसे भी बंद कर दिया गया है. 6 रुपये/लीटर के हिसाब से कैब चलाने को मजबूर हैं, जो कि ऑटो के किराए से भी कम है.
आपको बता दें कि सरकार की तरफ से निर्धारित किराया 14 रुपये प्रति किलोमीटर का है.
ये हाल सिर्फ योगेश का ही नहीं उबर,ओला के ज्यादातर ड्राइवरों का यही कहना है. शुरुआत में इन ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस कंपनियों ने भारी-भरकम इंसेटिव दिया, जिसे अब बंद कर दिया गया है.
हाल ही में जुड़ने वालों की हालत खराब
उबर, ओला से सबसे ज्यादा परेशान वो हैं, जिन्होंने कुछ महीने पहले ही कैब इन कंपनियों में लगवाई है. नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले अभिषेक कुमार उनमें से एक हैं. अभिषेक ने पिछले साल अगस्त में करीब 6 लाख की कार खरीदी. दावा है कि शुरुआती महीनों में कार से 70-80 हजार रुपये मिल जाते थे, लेकिन अब ये कमाई घटकर 25-30 हजार पर आ गई है. ऐसे में ड्राइवर की सैलरी और कार की ईएमआई देने में भी अभिषेक को मुश्किल हो रही है.
जारी है गतिरोध
आपको बता दें कि पिछले 6 दिनों से ओला-उबर के कई ड्राइवर हड़ताल पर हैं. किराया बढ़ाने, बेहतर इंसेंटिव और कंपनियों को दिए जाने वाले कमीशन को कम करने की मांग को लेकर वो प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस बीच 10 फरवरी को सैकड़ों ड्राइवरों ने दिल्ली में रामलीला मैदान से जंतर-मंतर तक विरोध मार्च भी निकाला था और धमकी दी थी कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो हड़ताल जारी रहेगी. हालांकि योगेश, सुशील जैसे कई ड्राइवर हड़ताल पर नहीं हैं. उनका कहना है कि एनसीआर जैसी खर्चीली जगह पर किराया देना और घर का खर्च निकालना होता है, ऐसे में वो काम बंद नहीं कर सकते हैं.
क्या है ओला-उबर की मुसीबत
शुरुआत में मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए ओला-उबर ने खूब खर्च किया. प्रमोशन, इंसेंटिव और भारी छूट पर इन कंपनियों ने करोड़ों खर्च किए, जिससे पिछले 1-2 सालों में भारी संख्या में कैब ड्राइवर ओला-उबर से जुड़ गए.
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ दिल्ली में ही 1.5 लाख ओला-उबर से जुड़े कैब हैं. ऐसे में अब ये कंपनियां अपने पीक पर हैं और घाटे को दूर करने के लिए इंसेटिव कम करने जैसे कड़े कदम उठा रही हैं.
गतिरोध से लोग परेशान
ओला, उबर ड्राइवरों की हड़ताल से लोगों को कैब की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में दिल्ली में कई जगहों से मनमाना किराया वसूलने की भी खबरें आ रही हैं. अगर गतिरोध कुछ और दिन जारी रहा, तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.
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