यूक्रेन पर रूस के हमले को तीन हफ्ते हो गए हैं. इसके बाद से ही सामान और तेल की वैश्विक कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. यूक्रेन ने कच्चे माल के निर्यात को रोक दिया है, वहीं अमेरिका-यूरोप समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं.
लेकिन इस युद्ध का आपकी जेब पर क्या असर पड़ रहा है? कौन सा सामान होगा महंगा? जानिए.
क्या चीजें महंगी हो जाएंगी?
खाने का तेल:
रूस और यूक्रेन, दोनों ही खाने के तेल के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स में से एक हैं. भारत का 70 फीसदी सूरजमुखी का तेल यूक्रेन से एक्सपोर्ट होता है.
खाने वाले तेलों की कीमतों में वृद्धि वैश्विक बाजारों में FMCG (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करेगी.
अनाज:
दोनों देश वैश्विक बाजार में अनाज का 29 फीसदी निर्यात करते हैं. यूक्रेन को 'यूरोप के ब्रेड-बास्केट' के रूप में भी जाना जाता है.
युद्ध ने सभी एक्सपोर्ट को रोक दिया है और युद्ध जारी रहने पर कीमतों में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है. रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में खेतों, मशीनरी और उपकरणों पर बमबारी की है और आपूर्ति की कमी को ठीक होने में कुछ समय लग सकता है.
मक्का:
यूक्रेन भी दुनियाभर में मक्का के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स में से एक है. पोर्ट, भूमि मार्गों और हवाई माल ढुलाई में परेशानी आ रही है और इसलिए, शिपमेंट प्रभावित हुआ है. इस कारण, गोल्डन सीरियल की कीमत में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है और लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरा है.
क्या युद्ध धातुओं की कीमतों को प्रभावित करेगा?
रूस, निकल, प्लेटिनम, पैलेडियम और सोने जैसी धातुओं के सबसे बड़े एक्सपोर्टर्स में से एक है.
रूस पर कई प्रतिबंधों ने धातुओं को वैश्विक बाजार में पहुंचने से रोक दिया है, जिससे कीमतों में गिरावट और धातु की कमी पर आशंकाएं बढ़ा दी हैं.
लंदन मेटल एक्सचेंज में, निकेल की कीमत 100,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है. युद्ध से स्टील की कीमतों में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है.
क्या कच्चे तेल की कीमतें हाथ से निकल जाएंगी?
कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा समय में 100 डॉलर से ज्यादा पर हैं, और युद्ध के आगे बढ़ने से पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होगी.
कीमतों में उछाल से भारत को नुकसान होना तय है, जो अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल कंज्यूमर है.
क्या युद्ध से ट्रैवल भी महंगा होगा?
भारत अपनी जरूरत का 40 फीसदी तेल आयात करता है. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के साथ, इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी वृद्धि होगी. दुनियाभर में हवाई किराये पर भी असर पड़ने की आशंका है.
कोरोना महामारी ने पिछले दो सालों से सभी उड़ानों को रोक रखा है, और वैश्विक स्तर पर एयरलाइन इंडस्ट्री को प्रभावित किया था. जैसे ही कोविड प्रतिबंधों में ढील दी गई, इंडस्ट्री को उम्मीद थी कि धीमी गति से ही सही, लेकिन हालात ठीक होंगे.
हालांकि, युद्ध और कच्चे तेल की कीमतों का ट्रैवल पर भी असर पड़ने की उम्मीद है, और हवाई किराया महंगा हो सकता है.
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