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उमा भारती AIIMS में भर्ती, बाबरी फैसले के दौरान होना चाहती हैं पेश

बाबरी केस में आरोपी उमा भारती समेत लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को कोर्ट में पेश होने के हैं आदेश

Published
भारत
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बीजेपी की वरिष्ठ नेता और बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी उमा भारती की तबीयत बिगड़ी है. उमा भारती कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. जिसके बाद अब उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया है. लेकिन बाबरी विध्वंस मामले पर फैसले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी मुख्य आरोपियों को मौजूद रहने का आदेश दिया है. ऐसे में उमा भारती ने अब खुद कहा है कि वो सीबीआई कोर्ट में पेश होना चाहती हैं.

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उमा भारती ने ट्विटर पर एक ट्वीट करते हुए लिखा कि वो उत्तराखंड के ऋषिकेश में तीन कारणों से भर्ती हुई हैं. इन तीनों कारणों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा,

“मैं अभी-अभी एम्स ऋषिकेश में भर्ती हो गई हूं. इसके तीन कारण है- (1) हर्षवर्धन जी बहुत चिंता कर रहे हैं, (2) मेरे को रात में बुखार बढ़ गया, (3) मेरी एम्स में जांच-पड़ताल होने के बाद यदि मुझे सकारात्मक रिपोर्ट मिली तो मैं परसों लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में पेश होना चाहती हूं.”
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इससे पहले उमा भारती के ड्राइवर का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था, जिसके बाद उन्होंने भी टेस्ट करवाया और वो पॉजिटिव निकला. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उमा भारती ने खुद को क्वॉरंटीन कर लिया था, लेकिन इसके बाद उन्हें तेज बुखार के बाद एम्स में भर्ती कराया गया. लेकिन उमा भारती ने हॉस्पिटल से जल्द ठीक होने का जिक्र करते हुए बाबरी मस्जिद पर 30 सितंबर को आने वाले फैसले के दौरान मौजूद रहने की इच्छा जाहिर की.

सीबीआई कोर्ट का आदेश

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में अब आखिरकार सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ये फैसला सुनाया जा रहा है. इससे पहले सु्प्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई कोर्ट 30 सितंबर तक इस मामले में अपना फैसला सुनाए.

तारीख का ऐलान करने के साथ-साथ कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि इस दौरान सभी मुख्य आरोपी भी कोर्ट में मौजूद रहने चाहिए. बता दें कि इस विध्वंस मामले में आरोपियों की लिस्ट में कई बड़े नाम शामिल हैं. जिनमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया के नाम हैं.
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क्या है पूरा मामला

दरअसल 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या की तरफ बढ़े हजारों कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया और वहां एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया. जिसके बाद उसी दिन इस मामले को लेकर दो एफआईआर दर्ज की गईं. पहला अपराध संख्या 197/1992 और दूसरा 198/1992. एफआईआर नंबर 197 हजारों कारसेवकों के खिलाफ दर्ज की गई थी और उन पर डकैती, लूट-पाट, चोट पहुंचाने, सार्वजनिक इबादत की जगह को नुकसान पहुंचाने, धर्म के आधार पर दो गुटों में शत्रुता बढ़ाने जैसे आरोप लगाए गए. एफआईआर 198 बीजेपी, वीएचपी, बजरंग दल और आरएसएस से जुड़े 8 लोगों के खिलाफ राम कथा कुंज सभा मंच से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज की गई थी.

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