यूनाइटेड नेशन (UN) के ह्यूमन राइट विंग के प्रमुख मिशेल बचलेट और अमेरिका, यूरोपियन यूनियन के मानवाधिकार अधिकारियों ने फादर स्टेन स्वामी के कस्टडी के दौरान हुए निधन पर चिंता जाहिर की है. इनमें से कुछ का कहना है कि स्टेन स्वामी को 'झूठे' आतंकवाद के आरोपों में जेल में बंद किया गया था. इसके अलावा यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भी कहा है कि स्वामी पर 'झूठे' आरोप लगाए गए थे.
यूएन के ह्यूमन राइट्स के हाई-कमीश्नर और यूनाइटेड नेशन के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बार-बार स्टेन स्वामी और मानवाधिकार पर काम करने वाले 15 दूसरे लोगों का मुद्दा उठाया था जिनको भीमा कोरेगांव केस में आरोपी बनाया गया था.
यूनाइटेड नेशन के ह्यूमन राइट्स ऑफिस के प्रवक्ता लिज थ्रोसेल 6 जुलाई को कहा-
कोरोना वायरस संकट के दौर में ये जरूरी है कि भारत और बाकी राज्यों को ऐसे कैदियों को रिहा कर देना चाहिए जो बिना मजबूत कानूनी आधार के जेल में बंद हैं. उन्हें भी रिहा किया जाना चाहिए जिन्हें सरकार की आलोचना या विरोध के चलते बंद किया गया है.लिज थ्रोसेल, यूनाइटेड नेशन के ह्यूमन राइट्स ऑफिस
देश से दुनिया तक लोगों ने स्टेन को दी श्रद्धांजलि
एल्गार परिषद केस (Elgar Parishad Case) में आरोपी फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का 5 जुलाई को निधन हो गया. आदिवासी अधिकारों पर झारखंड में काम करने वाले स्टेन स्वामी के निधन के बाद कई सारे लोग उन्हें याद कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने स्वामी के निधन पर शोक व्यक्ति किया.
पिछले 20 साल से झारखण्ड में आदिवासियों की आवाज उठाने वाली संस्था आदिवासी अधिकार मंच के खूंटी जोन के प्रभारी आलोका कुजुर बताते हैं कि-
फादर एक निर्दोष 84 साल के बुजुर्ग जो पार्किंसन बीमारी से ग्रसित थे, ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता के साथ NIA ने जो अमानवीय व्यवहार किया, वो चिंता का विषय है. फादर पर कोरेगांव के तहत जो केस हुआ वह फर्जी था. इस उम्र के व्यक्ति को जेल में रखना और NIA द्वारा आरोप सिद्ध नहीं कर पाना साबित करता है कि फादर पर झूठे आरोप लगाए गए थे. इस लिए हम सभी सामाजिक कार्यकर्ता यही मानते हैं कि केंद्र सरकार और NIA ने फादर स्टेन स्वामी की हत्या की.आलोका कुजुर
आलोका कुजुर बताते हैं कि- 'जब स्टेन स्वामी कभी कोरेगांव नहीं गए, कोरेगांव पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया फिर भी उन पर इतना बड़ा आरोप लगा कर उनको जेल भेजा गया. मुझे याद है जब दो साल पहले NIA ने मराठी भाषा में FIR की तो उसमें फादर का नाम बतौर आरोपी नहीं था, फिर भी उनकी गिरफ्तारी हुई.'
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