हाल ही में गुजरात के ऊना में उपद्रवी गोरक्षकों द्वारा 4 दलित लड़कों की पिटाई का मामला सामने आया था. इस घटना के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर गुजरात और केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ दलितों में गुस्सा देखने को मिला.
लेकिन इन सब के बावजूद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है. ऊना के चारों पीड़ित अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय बौद्ध संघ की दलित चेतना रथयात्रा में शिरकत करने वाले हैं.
द क्विंट से बात करते हुए भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष संघप्रिय राहुल ने बताया,
हम यह यात्रा दलित और बौद्ध को एकसाथ लाने के लिए कर रहे हैं. ऊना के दलितों के साथ जो भी हुआ, उससे हम सब आहत है. हम लोगों ने यह फैसला किया था कि हम दलित चेतना रथयात्रा शुरू करेंगे. इसलिए यात्रा के लिए हमने ऊना के उन 4 दलितों को भी बुलाया है.
जब हमने पूछा कि आरएसएस या बौद्ध संघ का यह दलित प्रेम कैसा है, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, “बाबासाहब अंबेडकर दलित थे और उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था. इस हिसाब से हम यह मानते हैं कि दलित और बौद्ध में कोई फर्क नहीं है."
यह यात्रा दिल्ली में डॉ. अंबेडकर नेशनल मेमोरियल, अलीपुर रोड से शुरू होगी. 5 राज्यों से होते हुए 26 मई को जूनागढ़ में समाप्त होगी. यात्रा उत्तर प्रदेश के हर गांव से हो कर गुजरेगी.
भारतीय बौद्ध संघ के मुताबिक,
इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, आरएसएस के इंद्रेश कुमार, उज्जैन से सांसद सत्यनारायण जटिया, बीजेपी के नेता अर्जुन मेघवाल और बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी भी शामिल होने वाले हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी और आरएसएस दलितों को अपनी ओर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि दलितों और हिंदुओं के दूसरे तबकों के बीच बढ़ रही दूरियों को देखते हुए आरएसएस ने इस यात्रा का आयोजन किया है, ताकि यूपी चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिल सके.
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