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यूथ यूं ही नहीं खफा, समझिए देश में बेरोजगारी की पूरी बैड पिक्चर

वित्त वर्ष 2020 में देश का जॉब ग्रोथ रेट पिछले साल की तुलना में 3.8 से घटकर 3.5% पर आ गया है

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भारत
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#9Bje9minuteindia, #5bje5minutes, #StopPrivatisation_SaveGovtJob. आजकल ये हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. देश का यूथ नौकरी नहीं मिलने खफा है. यहां तक कि पीएम मोदी के जन्मदिन को #राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस के तौर पर मनाने का अभियान भी शुरू हो गया है. तो इस गुस्से की वजह क्या है? ऐसी क्या आफत आई है? और आगे क्या दिख रहा है ये कुछ डेटा के जरिए समझने की कोशिश करते हैं.

केयर रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट हमें बताती है कि वित्त वर्ष 2020 में देश का जॉब ग्रोथ रेट पिछले साल की तुलना में 3.8 से घटकर 3.5% पर आ गया है.

देश में जॉब क्रिएशन की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष महज 1.70 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं. कोई ताज्जुब नहीं कि हर साल 2 करोड़ नौकरियों के आने का सपना देखने वाले देश के पढ़-लिखे युवा आए दिन कभी घंटी, कभी थाली बजाकर तो कभी दीये और मशाल जलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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बेरोजगारी के डरावने आंकड़े

• CMIE यानि कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक मार्च में कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बाद लगभग 2.1 करोड़ कर्मचारियों की नौकरी छूट गई है.

• जुलाई के मुकाबले अगस्त में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 8.35% हो गई है.

• जुलाई में लगभग 48 लाख और अगस्त में 33 लाख नौकरियां गईं हैं.

• देश के शहरों में हर 10वें व्यक्ति के पास नौकरी नहीं है.

• अप्रैल में 12.1 करोड़ में से 9.1 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियां चली गईं थी.

और ये सब तब हुआ जब देश में पहले से बेइंतेहा बेरोजगारी थी. सैम्पल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1% के स्तर पर पहुंच गई थी.

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बेरोजगारी की वजह समझिए

ये एकदम ताजा रिपोर्ट है. वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक यानि कि Economic Freedom Index में भारत ने गिरावट दर्ज की है. इस सूचकांक की रैंक देखकर देश में कारोबार के वातावरण के खुलेपन का अंदाजा लगाया जा सकता है. हाल ही में जारी फ्रेजर इंस्टीट्यूट की इस रिपोर्ट में भारत 105वें स्थान पर पहुंच गया है, 2020 की रैंकिंग में भारत को 26 पायदान का नुकसान हुआ है. तो सरकारी नौकरियां कम आ रही हैं और प्राइवेट सेक्टर में जॉब है नहीं. तो युवा आखिर जाए तो कहां जाएं, बोलें तो क्या बोलें. पूरी तस्वीर देखिए...

• जून तिमाही में देश की GDP में दर्ज की गई 23.9 की बड़ी गिरावट है.

• फिच रेटिंग #Fitch Ratings एजेंसी ने इस वित्त वर्ष भारत की जीडीपी में 10.5% की गिरावट का अनुमान लगाया है. इससे पहले फिच ने 5 फीसदी कमी आने का अनुमान जताया था, जिसे अब बढ़ा दिया है.

• घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भी मौजूदा वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 11.8 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया है. यह ऐतिहासिक गिरावट 1950-51 से उपलब्ध देश के जीडीपी के आंकड़ों का सबसे कमजोर आंकड़ा होगा.

• गोल्डमैन सैक्श ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की #GDP में 14.8 फीसदी गिरावट की आशंका व्यक्त की है.

• रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भी भारत की जीडीपी में गिरावट के अनुमान को बढ़ा दिया है. एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 9 फीसदी की कमी आएगी.

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Loan पैकेज नहीं चाहिए असली आर्थिक पैकेज

IMF यानि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से हाल ही में कहा गया है कि भारत को एक और राहत पैकेज की जरूरत है. स्वास्थ्य, भोजन, लोगों की आय बढ़ाने के लिए उनके हाथ में पैसे देने होंगे और कारोबार की मदद के लिए बाजार में सरकार को पैसा डालना होगा. दरअसल सरकार ने जो 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया है, दरअसल वह एक तरह का लोन पैकेज है. हाथ में पैसा होगा तो लोग खरीदारी करेंगे. लोग खरीदेंगे तो कंपनियां सामान बनाएंगी. और जब सामान बनाएंगी तो उन्हें बनाने वाले हाथ चाहिए होंगे यानी लोगों को नौकरी मिलेगी.

PM मोदी के जन्मदिन पर युवा मनाएंगे राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस

लेकिन फिलहाल ये होता नहीं दिख रहा. अगली तिमाही में भी जीडीपी कुछ खास सुधरने वाली नहीं. जाहिर है युवा सड़कों के साथ-साथ ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यूथ के गुस्से का एक नमूना तब दिखा जब पीएम के मन की बात वीडियो पर लाइक से ज्यादा डिस्लाइक दिखने लगे. हालांकि तब जेईई परीक्षा का विरोध कर रहे छात्रों ने भी जमकर डिस्लाइक किए थे. हाल ही में #राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस और #17Sept17Hrs17Minutes जैसे हैशटैग सोशल मीडिया में काफी ट्रेंड कर रहे हैं. बता दें कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी #PM_Modi का जन्मदिन है. इससे पहले #StopPrivatisation_SaveGovtJob, #9Bje9minuteindia और #5bje5minutes जैसे कैंपेन भी चलाए गए हैं.

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