हमारे देश में बेरोजगारी के एक बहुत बड़ा मुद्दा है और इसे लेकर अब एक ऐसा सर्वे आया है जो बहुत ही चिंताजनक है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी नाम की संस्था ने अक्टूबर महीने में बेरोजगारी को लेकर एक सर्वे किया, सर्वे में आए रिजल्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी पिछले दो साल में सबसे ज्यादा हो चुकी है. अक्टूबर के महीने में बेरोजगारी का स्तर 6.9% रहा जो पिछले दो साल में सबसे ज्यादा है.
बात अगर लेबर पार्टिसिपेशन रेट की करें तो यहां भी हालात बहुत ज्यादा खराब है. लेबर पार्टिसिपेशन रेट का मतलब होता है कि कितने लोग नौकरी की तलाश में हैं या नौकरी करने के इच्छुक हैं. जनवरी 2016 के बाद से ये आंकड़ा भी सबसे निचले स्तर पर है. इस वक्त देश में लेबर पार्टिसिपेशन रेट सिर्फ 42.4 % यानी सिर्फ इतने ही लोग नौकरी करने की इच्छा रखते हैं.
CMIE की स्टडी कहती है कि, “लेबर पार्टिसिपेशन रेट नोटबंदी के बाद से काफी तेजी से नीचे गिरा है. ये आंकड़ा पहले 47-48% के आस पास था लेकिन अब लोगों में नौकरी को लेकर भारी निराशा है”
हालांकि सितंबर के महीने में ये आंकड़े थोड़े से सुधरे थे लेकिन अक्टूबर में फिर से बेरोजगारी का वही बुरा हाल है.
लगातार कम हो रही हैं नौकरियां
देश में अक्टूबर 2017 में कुल 407(40.7 करोड़) मिलियन लोग नौकरियां कर रहे थे लेकिन अक्टूबर 2018 में ये आंकड़ा 397(39.7 करोड़) मिलियन गिर गया. यानी एक साल के भीतर 1 करोड़ लोगों की नौकरी छूट गई. CMIE के सर्वे के मुताबिक अक्टूबर 2018 में 29.5 मिलियन(2.95 करोड़) लोग लगातार नौकरियां ढूंढ़ रहे हैं लेकिन जुलाई 2017 में ये आंकड़ा 14 मिलियन (1.4 करोड़) था.
बेरोजगारी पर हुए CMIE के इस सर्वे को देखकर सरकार के पसीने छूट सकते हैं क्योंकि पारंपरिक तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था में अक्टूबर से लेकर दिसंबर के महीनों में ही सबसे ज्यादा नौकरियां पैदा होती हैं. लेकिन, डिमांड और सप्लाई के बीच बढ़ते फासले को देखकर तो यही लगता है कि बेरोजगारी अभी बहुत परेशान करने वाली है. हर साल करीब 1 करोड़ 20 लाख नए लोग भारत के लेबर मार्केट में नौकरी के लिए उतरते हैं लेकिन आंकड़े साफ बता रहे हैं कि देश में नौकरियां उस स्तर पर पैदा नहीं हो पा रही हैं.
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