प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) का जिक्र करने के बाद से पूरे देश में इसको लेकर बहस छिड़ गयी है. विधि आयोग ने इसको लेकर राय मांगी है, और अब चर्चा है कि मोदी सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में UCC को लेकर बिल ला सकती है. इस बीच, तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी AIADMK ने ही यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है.
AIADMK ने UCC को लेकर क्या कहा?
अन्नाद्रमुक ने बुधवार (5 जुलाई) को यूसीसी लागू करने के केंद्र के कदम पर अपना विरोध दोहराया. पत्रकारों से बात करते हुए, AIADMK के महासचिव एडप्पादी. के. पलानीस्वामी ने कहा कि हमारा बीजेपी के साथ गठबंधन बरकरार है. पलानीस्वामी ने यूसीसी पर पार्टी के रुख को मजबूत करने के लिए 2019 में अन्नाद्रमुक के चुनाव घोषणापत्र को वापस लेने की मांग की.
दरअसल, घोषणापत्र में, अन्नाद्रमुक ने वादा किया था कि वह केंद्र से यूसीसी के लिए संविधान में कोई भी संशोधन नहीं लाने का आग्रह करेगी जो "अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों को प्रभावित करेगा."
हालांकि, अन्नाद्रमुक ने 2019 में अपना रुख बदल दिया था क्योंकि दिवंगत जयललिता ने 2003 में पार्टी की कार्यकारी समिति को यूसीसी का समर्थन करने वाला एक प्रस्ताव अपनाने के लिए कहा था.
आइये आपको बताते हैं UCC पर किसका क्या रूख है?
कौन दल समर्थन में?
BJP
आम आदमी पार्टी
शिवसेना (UBT)
शिवसेना (शिंदे गुट)
TDP
कौन दल विरोध में?
कांग्रेस
नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
नेशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (NDPP)
शिरोमणि अकाली दल (SAD)
समाजवादी पार्टी (SP)
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)
CPM
CPI
IUML
तृणमूल कांग्रेस (TMC)
नेशनल कांफ्रेंस (NC)
RJD
JDS
NCP (शरद गुट)
DMK
किन दलों की स्थिति साफ नहीं?
JDU
BRS
TDP
BSP
NCP(अजित पवार गुट)
JJP
BJD
YSRCP
वंचित बहुजन अघाड़ी
कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल लगभग सभी पार्टियां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के समर्थन में हैं. एनडीए में से केवल मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी और तमिलनाडु की एआईएडीएमके ने यूसीसी का विरोध किया है.
क्या कहता है संख्या बल?
बिल को दोनों सदनों में पास कराना होगा. लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है, ऐसे में बिल वहां आसानी से पास हो जाएगा. क्योंकि लोकसभा की कुल 543 सीटों में से बीजेपी के पास 301 सीटें हैं. पर राज्यसभा में उसके सामने दिक्कतें आ सकती हैं.
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, सीटों की संख्या को देखें तो राज्यसभा में 245 में से आठ सीटें फिलहाल खाली हैं. सदन में इस वक्त 237 सदस्य हैं तो बहुमत के लिए 119 वोट चाहिए होंगे.
बीजेपी के सदन में कुल 92 सदस्य हैं, सहयोगी पार्टियों को जोड़ दें तो एनडीए के पास 109 सदस्य हैं. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जिन्होंने अभी तक इस बिल पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, उनके पास 9-9 सदस्य हैं.
अगर ये दोनों दल समर्थन में आ जाते हैं तो बीजेपी को दिक्कत नहीं होगी. अगर इनमें से एक भी विरोध में रहती हैं तो बीजेपी के लिए एक वोट कम पड़ जाएगा. यहां आम आदमी पार्टी की भूमिका अहम हो सकती है.
हालांकि, उसका रूख समर्थन की तरफ है, लेकिन दिल्ली अध्यादेश को लेकर दोनों दल आमने-सामने हैं.
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