केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 12 अक्टूबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 14वें स्थापना दिवस पर कहा कि देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोगों को आरटीआई दाखिल करने की जरूरत ही ना पड़े, बल्कि सरकार खुद सामने आकर सूचनाएं दे.
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में हम इसी तरह का प्रशासन देना चाहते हैं कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) के आवेदन कम से कम आएं और लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही ना पड़े.
शाह ने कहा कि आजादी से पहले प्रशासन का मकसद अपने आकाओं की इच्छा पूरी करना था, इसके चलते जनता और प्रशासन के बीच बड़ी खाई बन गई थी, मगर आरटीआई ने इस खाई को पाटने का काम किया है.
इसके अलावा अमित शाह ने कहा, "2016 में जब मैंने इस कानून का अध्ययन किया तो मुझे भी लगा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा हुआ है."
आरटीआई को लेकर शाह ने कहा कि बिना वजह के इस अधिकार का इस्तेमाल ना करें, इसका इस्तेमाल पारदर्शिता और गतिशीलता लाने के लिए ही करें, सूचना के अधिकार के साथ-साथ लोगों में दायित्व की भावना को भी जगाना जरूरी है.
शाह ने सरकारी कामों में पारदर्शिता का उदाहरण देते हुए कहा कि सौभाग्य योजना के तहत लोग डेशबोर्ड में ये देख सकते हैं कि उनके घर में बिजली कब लगने वाली है. उन्होंने कहा, "केदारनाथ धाम के नए स्वरूप का निर्माण हो रहा है, वहां घाटी में ऑल वेदर रोड बन रहे हैं. आपको आश्चर्य होगा, लेकिन वहां की पूरी निगरानी ड्रोन के माध्यम से ऑनलाइन हो रही है."
गृह मंत्री ने कहा कि आरटीआई एक्ट अन्याय रहित सुशासन देने की दिशा में अच्छी कोशिश है, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासनिक व्यवस्था देने और अधिकारों के अतिक्रमण को नियंत्रित करने में भी आरटीआई ने अपनी पूरी भूमिका निभाई है.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग से लेकर हर राज्य में सूचना आयोग की स्थापना की गई है, लगभग 5 लाख से ज्यादा सूचना अधिकारी इस कानून के तहत काम कर रहे हैं.
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