क्या चुनाव से पहले सरकार देश के हर नागरिक के खाते में पैसे डालने जा रही है. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है भारत में जल्द ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम हकीकत बनने जा रही है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम के तहत सरकार देश के हर नागरिक को हर महीने एक निश्चित रकम देती है.
अरविंद सुब्रमण्यम ने ब्लूमबर्गक्विंट से एक बातचीत में कहा कि चुनाव से पहले यूनिवर्सल बेसिक इनकम का कॉन्सेप्ट हर राजनीतिक पार्टी के मेनिफेस्टो में दिख सकता है. उन्होंने कहा कि दिलचस्प यह है कि केंद्र सरकार को इसमें कुछ नहीं करना है. राज्य सरकारें ही केंद्र से कहेंगी कि उन्हेॆ उससे नया फंड नहीं चाहिए. वो बस इसका कुछ हिस्सा केंद्र सरकार से चाहती हैं ताकि इसे फंड किया जा सके.
यूनिवर्सल बेसिक इनकम के समर्थन में कई मुख्यमंत्री
सरकारी अधिकारियों से अपनी बातचीत का हवाला देते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम का आइडिया का अच्छा स्वागत हुआ है. अच्छी समझ रखने वाले कुछ मुख्यमंत्रियों ने इसका समर्थन किया है. सुब्रमण्यम ने इसका सबूत अपनी किताब Of Counsel: The Challenges of the Modi-Jaitley Economy',.में दिया है. इस किताब में एक मुख्यमंत्री कहते हैं कि एक बार यह स्कीम लागू होगी वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस की सारी स्कीमें बंद कर देंगे. अगले पांच साल में यह स्कीम लागू हो सकती है.
यूनिवर्सल बेसिक इनकम देश के हर नागरिक को दी जाने वाली एक न्यूनतम रकम है. 2016-17 के आर्थिक सर्वे में सरकार से देश के हर नागरिक को हर महीने एक तयशुदा रकम देने की सिफारिश की गई है. सर्वे में कहा गया है कि इससे देश में मांग बढ़ेगी और यह गरीबी हटाने में मददगार होगी.
कई विश्लेषकों का मानना है कि मोदी सरकार अपनी लोकप्रियता में गिरावट को थामने के लिए चुनाव से पहले यूनिवर्सल बेसिक इनकम का ऐलान कर सकती है.
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