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UAPA बिल संसद से पास: अब सिर्फ शक पर आतंकी घोषित करना हुआ संभव

संशोधित प्रावधानों के मुताबिक किसे घोषित किया जा सकेगा आतंकी?

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जिस बिल के लिए लोकसभा में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा - सब तेरे सिवा काफिर, आखिर इसका मतलब क्या है, जिस बिल के लिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में कहा - आप मुझे ही आतंकवादी घोषित कर दीजिए, वो UAPA संशोधन बिल 2019 2 अगस्त को राज्यसभा से पास हो गया. ये लोकसभा से पहले ही पास हो चुका है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा. आखिर इस बिल में ऐसा क्या है जिसका विपक्ष इतना विरोध कर रहा था. आइए समझते हैं.

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शक हुआ तो आतंकी घोषित

Unlawful activities (prevention) act 1967 में संशोधन से संस्थाओं ही नहीं व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. इतना ही नहीं किसी पर शक होने से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. फिलहाल सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता है. खास बात ये होगी कि इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं होगा. आतंकी का टैग हटवाने के लिए भी कोर्ट के बजाय सरकारी की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है.

‘हम बिल का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम उस ताकत के खिलाफ हैं जिसके जरिए सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार मिल जाएगा. आप किसे सबसे पहले आतंकी बताने जा रहे हैं? देशद्रोह और UAPA अलग हैं. आप हाफिज सईद और गौतम नवलखा की तुलना न करें. अगर आपने किसी ऐसे व्यक्ति को आतंकी घोषित कर दिया जिसे सरकार आतंकी मानती है तो कोई चैन से सो नहीं पाएगा.’
UAPA पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम

किसे घोषित किया जा सकेगा आतंकी?

  • जो किसी आतंकी गतिविधि को अंजाम दे
  • जो आतंकवाद की तैयारी करे
  • जो आतंकवाद को बढ़ावा दे
  • जो आतंकवाद से जुड़ा हुआ हो

इस पर विपक्ष को आपत्ति ये है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने का मतलब क्या है, इसकी व्याख्या क्या है? इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि इस कानून से केंद्र के पास ये अधिकार होगा कि वो जिसे चाहे आतंकवादी घोषित कर सकता है. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि व्यक्तियों पर पाबंदी जरूरी है क्योंकि संगठन पर बैन के बाद लोग दूसरा संगठन बना लेते हैं. उन्होंने इस बिल के दुरुपयोग के डर को भी बेबुनियाद बताया.

किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के बाद उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा सकेंगे, जिनमें संपत्ति सीज करने से लेकर यात्रा पर रोक जैसे प्रतिबंध शामिल होंगे.
‘ये कानून पूरी तरह से असंवैधानिक है और कुछ लोगों को लाभ देने के लिए लाया गया है. हमें इनकी नीयत पर संदेह है. बीजेपी ने आतंकवाद के साथ समझौता किया है, कांग्रेस ने कभी नहीं किया. हमें इस बात की आपत्ति है कि जब से सरकार बनी है एनआईए के कामकाज में फर्क पड़ गया है. समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद मामले में एनआईए ने दोबारा अपील क्यों नहीं की? आपने एक धर्म के खिलाफ माहौल बनाया है.’
UAPA बिल पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह

कौन दे सकता है संपत्ति सीज करने का आदेश

NIA के डीजी भी आतंकवादी घोषित किए गए व्यक्ति या समूह की संपत्तियों की जब्ती करने की मंजूरी दे पाएंगे. अभी तक जिस राज्य में प्रॉपर्टी होती थी, वहां के डीजीपी की मंजूरी से ही संपत्तियों की जब्ती हो सकती थी

‘ऐसे कानूनों का दुरुपयोग होने का इतिहास बहुत लंबा है. टाडा के कानून की बात करें तो 76166 मामले टाडा के अंदर लिखे गए, जिसमें 4 प्रतिशत से ज्यादा आरोपी साबित नहीं हो पाए. पोटा कानून में 4349 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया, जिनमें से सिर्फ 13 लोगों पर आरोप सिद्ध हो पाए. ऐसे कानूनों का दुरुपयोग बार-बार होता रहा है. ये हमारे संघीय ढांचे के विरुद्ध है. किसी भी राज्य में वहां की सरकार की इजाजत के बगैर आप किसी की गिरफ्तारी कैसे कर सकते हैं.’
UAPA पर आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह

किसे होगा जांच का अधिकार?

NIA का इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी भी आतंकवादी गतिविधियों की जांच कर पाएगा. अभी तक सिर्फ डीएसपी और असिस्टेंट कमिश्नर या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी को ही ऐसी जांच का अधिकार था

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‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है, आतंकी इंसानियत के खिलाफ होते हैं. कई मामलों में सबूतों की कमी होती है, इसके चलते आतंकियों को छूट नहीं मिलनी चाहिए. अगर यासीन भटकल को आतंकी घोषित कर दिया गया होता तो वो बहुत पहले ही पकड़ा जाता. ये मोदी सरकार है कांग्रेस की नहीं, यहां सरकारी एजेंसियां अच्छी तरह से काम करती हैं. किसी को आतंकी घोषित कर दिया इसका मतलब ये नहीं है कि ठप्पा लग गया है. बाकी विकल्प भी दिए जाएंगे. मैं कहता हूं कि अगर कुछ नहीं करोगे तो आप पर कुछ नहीं होगा.’
UAPA संशोधन बिल पर गृह मंत्री अमित शाह

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