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उन्नाव की बेटी की अंतिम इच्छा-मर गई, तो भी हत्यारों को फांसी देना

उन्नाव की बेटी को जलाने का आरोप पांच लोगों पर है. उसे 5 दिसंबर को जलाया गया था.

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“जब मैंने अस्पताल में उसका जला हुआ शरीर, काली पड़ चुकी चमड़ी देखी, तो वो फफक पड़ी. मैंने उससे पूछा कि वो ठीक तो है, तो उसने कहा, हां. फिर उसने अपनी आंखें पूरी तरह खोलीं और दर्द से बेहाल होने के बावजूद पूछा, ‘कितने लोग गिरफ्तार हुए?’

मैंने बताया कि सभी गिरफ्तार हो चुके हैं.

उसने मुझसे कहा, ‘मैं मर जाऊं, तो भी ये तय करना कि वो सभी फांसी के फंदे पर लटक जाएं.’ उसके बाद उसकी जुबान हमेशा के लिए बंद हो गई.”

कावेरी*, उन्नाव की बेटी खुशी* से एक साल बड़ी हैं. वो अपनी बहन, अपनी भरोसेमंद और सबसे अच्छी दोस्त के साथ हुई अंतिम बातचीत को याद कर रही है. मिट्टी की बनी झोपड़ी में, जिसके आंगन में तुलसी का एक पौधा है, वो हर बात द क्विंट को बताती है. वो बताती हैं कि तुलसी का वो पौधा क्यों उसे उसकी बहन की याद दिलाता है.

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“हादसे से पहले वो काफी खुश थी. दरअसल हर कोई उसे चाहता था, क्योंकि वो हर किसी के साथ गर्मजोशी से बात करने की कला जानती थी. ऐसा लगता ही नहीं था कि वो किसी से पहली बार मिल रही हो. हम घर में उसे खुशी कहकर पुकारते थे.”
कावेरी*
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कौन हैं वो पांच लोग, जिन्होंने उसे जिंदा जलाया?

उन्नाव की बेटी को जलाने का आरोप पांच लोगों पर है. उसने मरने से पहले अपने बयान में उनका नाम बताया. उसे 5 दिसंबर को जलाया गया था. 6 दिसंबर की रात दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई.
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उन पांच आरोपियों के नाम हैं, शिवम त्रिवेदी और उसके पिता राम किशोर त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी और उसके पिता हरिशंकर त्रिवेदी और उमेश वाजपेयी.

शिवम और शुभम की उम्र 20 साल के आसपास है. खुशी ने दिसंबर 2018 को उनके खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी. शिवम को गिरफ्तार कर लिया गया था और वो करीब दो महीने जेल में रहा. 30 नवंबर को उसकी जमानत हो गई. ये वाकया उसके रिहा होने के कुछ ही दिनों बाद का है. दूसरी ओर शुभम को पुलिस कभी गिरफ्तार नहीं कर पाई. उसके परिवार ने घटना के वक्त उसके अस्पताल में भर्ती होने के सुबूत पेश किये थे.

हरिशंकर का घर प्रधान के घर के नाम से मशहूर है. प्रधान का पद या तो उनकी पत्नी का होता है या उसके समर्थित व्यक्ति का. उमेश वाजपेयी पंचायत का रिकॉर्ड कीपर है.

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‘हैदराबाद मुठभेड़ दोहराया जाना चाहिए’

कावेरी कुछ ही दिनों पहले हुए हैदराबाद मुठभेड़ को याद करती है, जिसमें तेलंगाना पुलिस ने पशु डॉक्टर के रेप और हत्या के चार आरोपियों को एक मुठभेड़ में मार गिराया था. कावेरी जोर देती है कि उन्नाव में भी यही घटना दोहराई जानी चाहिए.

“हम चाहते हैं कि हैदराबाद में जो हुआ, वो इन लोगों के साथ भी होना चाहिए. उनका भी मुठभेड़ होना चाहिए या उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए. मेरी बहन की हत्या की साजिश रचने वालों को जीने का कोई अधिकार नहीं. मैं पहले ही कह चुकी हूं कि अगर इंसाफ नहीं मिला तो मैं योगी दरबार में जाकर खुदकशी कर लूंगी.”

ये कहते हुए उसकी आंखों में बेचारगी और आत्मविश्वास का मिला-जुला भाव उफान मार रहा था.

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खुशी मदद के लिए गुहार लगाती रही

कावेरी याद करती है कि जिस दिन खुशी को जलाया गया था, उसके एक शाम पहले उसने बताया था कि उसे वकील से मिलना है.

“वो एक सामान्य दिन था. पहले तो वो सुबह उठी नहीं, मुझसे कहती रही कि 10 मिनट बाद उठा देना. करीब साढ़े तीन बजे सुबह वो खाली पेट बैंसवाड़ा स्टेशन के लिए निकली, जो वहां से 4 किलोमीटर दूर है.”

सुबह साढ़े सात बजे परिवार को बताया गया कि खुशी जल गई है और उसे अस्पताल ले जाया गया है. अस्पताल में खुशी के भर्ती होने के बाद कावेरी ने आसपास के लोगों से बातचीत की, जिन्होंने खुशी को जाते हुए देखा था.

“जब उसको आग लगाया गया, तो उसने सबसे मदद मांगी कि बचा लो, बचा लो. तो किसी ने नहीं सुनी. कुछ लोग पास भी नहीं गए क्योंकि वो चुड़ैल की तरह लग रही थी.” नम आखों से कावेरी ने ब्योरा दिया. पूरे इंटरव्यू के दौरान पहली बार कावेरी की आंखें भर आई थीं.

फिर उसने बताना जारी रखा, “वो लोगों को बताने की कोशिश करती रही कि वो कौन है, ताकि लोग उसे पहचानें और उसकी मदद करें. फिर उसने किसी का फोन लेकर खुद एम्बुलेंस के लिए कॉल किया. जब स्थानीय लोगों ने कहा तो उसने एक कंबल ओढ़ लिया.”

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‘बार-बार धमकी भरे फोन आना आम बात हो गई थी’

उसने बताया कि रेप के आरोपी ने जमानत मिलने के बाद दो दिसम्बर को खुशी को फोन किया था. “रेप का आरोपी जमानत पर रिहा हो गया था. उसने घटना के दो दिन पहले फोन करके उसे धमकाया. उसने धमकी दी कि खुशी ने तो उसे जेल भिजवा दिया था, अब वो नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहे.”

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लेकिन आरोपी की जमानत से काफी पहले ही धमकी मिलने शुरू हो गए थे. तब से, जब दोनों आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी. दोनों दबंग ब्राह्मण परिवार से थे. आरोप है कि दोनों रेप आरोपी, परिवार को लगातार धमकाते रहे, जो निचली विश्वकर्मा जाति के थे.

कावेरी ने पुरानी यादें बताईं कि सबकुछ शुरू हुआ उसके चाचा का घर जलाने के साथ, जो कुछ ही दूर है. फिर वो हमारे घर आए और मेरे पिताजी को पीटा और गालियां दीं. चाचा के साथ भी यही हुआ. “उन्होंने हमारे खिलाफ फर्जी शिकायतें दर्ज करानी शुरूकीं. इनमें एक शिकायत तो मुख्य आरोपी के घर से 30 लाख चुराने का भी है. उन्होंने मेरे पिता और एक छोटे भाई के खिलाफ IPC की धारा 376 (रेप और सामुहिक बलात्कार) का भी केस दर्ज कराया.”

खुशी और कावेरी के पिता का कहना है कि उनपर जिस महिला के साथ रेप का आरोप है, उसे उन्होंने देखा तक नहीं है. लेकिन उनका दावा है कि इस शिकायत के पीछे इसी आरोपी का हाथ है.

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आग का डर, जिसने उसकी जिंदगी ले ली

कावेरी और खुशी हमेशा साथ रहती थीं. “मैं नहीं जानती कि उसके बिना कैसे जिंदा रहूंगी. वो आग से डरती थी. अक्सर कहती थी कि मैं चूल्हा जला दूं और वो खाना पकाएगी. मुझे विश्वास नहीं होता कि उसी आग ने उसकी जान ले ली.”

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कावेरी कहती है कि खुशी के साथ उसका बेहद अपनापन था. दोनों बिना बताए एक-दूसरे के दिल की बात समझ जाती थीं. “बहनों के रूप में हम जिस प्रकार एक-दूसरे को चाहते थे, मुझे नहीं लगता कि कोई और उतना प्यार करता होगा. जैसे हम एक-दूसरे को समझते थे, वैसे कम ही लोग समझ पाते हैं. मैं उस पल की चश्मदीद हूं जब उसकी सांसें बंद हुई. उसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है.”

दिसंबर 2018 में जब से रेप का मामला दर्ज हुआ, कावेरी के कई विवाह प्रस्ताव ठुकराए जा चुके हैं. “वो खुद जाते हैं या अपने आदमियों को भेजकर मेरे, मेरी बहन और मेरे परिवार के बारे में भला-बुरा कहते हैं. तब से शादी के कई प्रस्ताव ठुकरा दिये गए हैं.” उसने बताया.

लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में जाकर आत्मदाह करने की चेतावनी और उसकी बहन के आखिरी शब्दों का अब उसके लिए कोई मायने नहीं है. उसका कहना है, “अब मैं हम दोनों के इंसाफ की लड़ाई लड़ूंगी.”

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