ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP:181 हेल्पलाइन चलाने वाली महिलाएं मांग रही मदद, मिली जेल की धमकी

181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली महिलाओं को 13 महीने से नहीं मिली सैलरी

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

उत्तर प्रदेश में एक तरफ अपराधियों के एनकाउंटर हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस से बेखौफ अपराधी शिकायत करने पर गोली मार देते हैं. राज्य में महिलाओं के खिलाफ भी अपराध लगातार जारी हैं, लेकिन इसी बीच यूपी की महिलाओं को तुरंत मदद पहुंचाने वालीं 181 हेल्पलाइन सेवा में काम कर रहीं सैकड़ों महिलाएं अब खुद मदद की गुहार लगा रही हैं. उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं, इन महिलाओं को पिछले 13 महीने से सैलरी भी नहीं मिली है.

जिसके बाद अब हेल्पलाइन में काम करने वाली ये महिलाएं लखनऊ में प्रदर्शन कर रही हैं. उनका कहना है कि कोरोना से पहले उन्हें भुखमरी मार डालेगी. ये हालत 361 महिला कर्मियों की है. वहीं इस मामले पर लखनऊ सेंट्रल के डीसीपी का कहना है कि अगर धरना जारी रहा तो वो उन्हें जेल भेज देंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

181 हेल्पलाइन में काम करने वाली कुछ महिलाओं से हमने बात की. जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी माली हालत काफी खराब है. पिछले 13 महीने से वो लगातार सरकार से अपना वेतन मांग रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें एक पैसा नहीं मिला. वहीं सरकार की उदासीनता के हाल ये हैं कि उनसे मिलने अब तक कोई भी नेता नहीं पहुंचा है और न ही उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है.

181 हेल्पलाइन में काम करने वालीं महिला दीपशिखा ने क्विंट से बातचीत में बताया कि 20 जुलाई से वो अपनी नौकरी बचाने और 13 महीने की सैलरी के लिए धरना दे रही हैं. उन्होंने पुलिस को लेटर देकर ये धरना शुरू किया था. दीपशिखा ने बताया,

“सोमवार को पुलिस अधिकारियों ने आकर हमारा धरना ये बोलकर खत्म करा दिया था कि आप जिससे कहेंगे उनसे हम आपको मिलवा देंगे. जिसके बाद फिर 23 जुलाई को हम लोग यहां ईको गार्डन में धरना देने पहुंचे. यहां उप निदेशक पुनीत मिश्रा को भेजा गया. जिन्होंने घुमा फिराकर जवाब दिए और कुछ दिन और इंतजार करने को कहा. लेकिन ये वही हैं, जिन्होंने दो महीने पहले हमें कहा था कि जल्द से जल्द आपकी सैलरी आ जाएगी. इसलिए हमने लिखित रूप से मांगा, लेकिन उन्होंने कहा कि वो इसके लिए ऑथराइज नहीं हैं.”
दीपशिखा, 181 हेल्पलाइन में काम करने वालीं महिला

दीपशिखा ने आरोप लगाया कि वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी उन्हें ये कहकर कहीं नहीं जाने दे रही हैं कि तुम्हारे धरने की वजह से रात को हमारी ड्यूटी लग गई है.

खाना नहीं खाने दे रही है पुलिस

धरने पर बैठीं एक अन्य 181 हेल्पलाइन कर्मी रेखा सिंह ने बताया कि उन्होंने सुबह से कुछ खाया नहीं है. रेखा ने बताया कि बाहर खड़ी उनकी गाड़ी में खाने-पीने का कुछ सामान रखा है, लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें वहां तक भी नहीं जाने दे रहे हैं. उन्होंने बताया, "ये लोग चाहते हैं कि हम यहां से उठकर अभी चले जाएं. इसीलिए खाना नहीं दिया जा रहा है. लेकिन चाहे हम भूख से यहीं मर जाएं, हम उठने वाले नहीं हैं. बिना सैलरी के हम 13 महीने से मर रहे हैं. सुबह से सिर्फ पानी की व्यवस्था हुई है."

इस धरने को आगे बढ़ा महिलाकर्मी रहीं पूजा पांडे से बात करने पर उन्होंने बताया कि,

“हमें नौकरी से निकाला जा रहा है और 13 महीने से एक पैसा नहीं दिया गया है. दो दिन बाद इन लोगों ने अधिकारी से मिलाने की बात कही थी, लेकिन आज पुनीत मिश्रा से मिलाया जो हमसे 4 बार मिल चुके हैं और हमेशा टाइम लेकर कुछ नहीं करते हैं. हमारे लिए ये परेशानी है कि हम कोरोना से मरें या फिर भूख से मरें. इसीलिए हम अब यहीं बैठे हैं, जो होगा देखा जाएगा. ये बोल रहे हैं कि जेल भेज देंगे. तो हमें भी वही मंजूर है, कम से कम वहां रोटी तो मिलेगी.”
पूजा पांडे, 181 हेल्पलाइन में काम करने वालीं महिला
ADVERTISEMENTREMOVE AD

धरने पर बैठी महिलाओं का ये भी कहना है कि जब वो आउटसोर्स वाली कंपनी जीवीके से अपनी सैलरी मांगने जाते हैं तो उनका कहना होता है कि सरकार से पैसा नहीं आया. वहीं जब सरकारी अधिकारियों से पूछा जाता है तो कहा जाता है कि आप आउटसोर्स पर रखी गईं थीं, इसीलिए अपनी कंपनी से बात कीजिए.

डीएसपी बोले- "क्या मैं उन्हें खाना खिलाऊं"

इस पूरे मामले को हमने लखनऊ प्रशासन से बात करने की कोशिश की, लेकिन डीएम फोन पर उपलब्ध नहीं थे. इसके बाद पुलिस कमिश्नर से भी बात नहीं हो पाई तो हमने लखनऊ सेंट्रल के डीसीपी को फोन लगाया. जिन्होंने फोन उठाते ही सीधे कहा कि हम तो उन्हें अरेस्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. लखनऊ सेंट्रल के डीसीपी दिनेश सिंह ने कहा,

“हमने उनकी अधिकारी से बातचीत करा दी है. वो लोग पहले ही धारा 144 का उल्लंघन करके बैठे हैं, अब वो अगर जबरदस्ती बैठेंगे तो क्या मैं उन्हें खाना खिलाऊंगा? जब उनको सोशल डिस्टेंसिंग के साथ धरने की इजाजत दे दी थी और उनके अधिकारी से बात करा दी गई तो उन्हें अब बैठने की इजाजत नहीं है. अब या तो उन्हें हम अरेस्ट करके जेल भेजेंगे या तो वो अपने घर जाएं. ”
दिनेश सिंह, डीसीपी, लखनऊ सेंट्रल

फिलहाल, खबर लिखे जाने तक पुलिस धरनास्थल पर पहुंच गई है और इन महिलाओं को वहां से उठाने की तैयारी है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में जब साल 2016 में वुमन हेल्पलाइन 181 को शुरू किया गया थो इसे महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ा कदम बताकर पेश किया गया. कहा गया था कि प्रदेश की महिलाओं को जो भी मदद चाहिए वो 181 पर कॉल करके ले सकती हैं. लेकिन हाल ये है कि अब इसी महिला हेल्पलाइन में महिलाओं की मदद करने वाली महिलाएं मदद की गुहार लगा रही हैं. लेकिन मदद की जगह उन्हें गिरफ्तार करने की बात हो रही है. पिछले कई महीनों से विभाग में हर मुमकिन कोशिश के बाद उन्हें आखिरकार धरने पर बैठना पड़ा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×