UP Bahraich Communal Clashes: उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से अफवाहों का बाजार गर्म है. दावा किया जा रहा है कि हिंसा में जान गंवाने वाले राम गोपाल मिश्रा को समुदाय विशेष के आरोपियों ने करंट लगाया, उसपर तलवार से हमला किया और उसके नाखून उखाड़े. इन झूठी खबरों का सच सामने रखते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से बहराइच पुलिस ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ. मौत की वजह गोली लगनी थी.
सवाल बहराइच प्रशासन पर उठ रहे हैं. सवाल यह कि दुर्गा मुर्ति विसर्जन के पहले और बाद हुई हिंसा को रोका जा सकता था? आखिर ग्राउंड पर ऐसा क्या हो रहा था जिससे भड़की हिंसा ने आखिरकार पूरे शहर को अपनी जद में ले लिया? पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या पता चला है जो अफवाहों की सच्चाई सामने लाती है?
खुद पुलिस की केस डायरी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
अपडेट- बहराइच जिले में हुई हिंसा के 2 आरोपियों का एनकाउंटर हो गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को पकड़ने के क्रम में नेपाल बॉर्डर के पास पैर में गोली मारी है. क्विंट हिंदी से बातचीत में बहराइच की एसपी वृंदा शुक्ला ने कहा है कि आरोपी भागने की कोशिश कर रहे थे जब उन्हें गोली लगी है. उनमें से किसी की मौत नहीं हुई है.
क्या कहती है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट? 10 मुकदमे दर्ज
बहराइच के महराजगंज में 13 अक्टूबर की शाम को हिंसा शुरू हुई. दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हुई और राम गोपाल मिश्रा नाम के एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
इसके बाद हिंसा बढ़ती ही गई. सड़कों पर एक के बाद एक गाड़ियां फूंकी गई. कई घरों और दुकानों को भी आग लगा दी गई है, जिसमें एक हॉस्पिटल भी शामिल था. कई घरों मे तोड़-फोड़ और लूट-पात भी हुई है.
पुलिस ने बहराइच हिंसा में 10 FIR दर्ज की गई हैं. एक FIR मृतक परिवार के परिवार ने दर्ज कराया है, वहीं 6 FIR इलाके में आगजनी-दंगा करने वालों के खिलाफ पुलिस की तरफ से दर्ज किया गया है. इसके अलाला 3 FIR मुस्लिम समुदाय की तरफ से दर्ज है.
पुलिस ने 6 नामजद आरोपियों के अलावा 1304 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया है. अबतक मामले में 52 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. लापरवाही के आरोप में थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज को निलंबित किया गया है.
इस बीच बुधवार, 16 अक्टूबर को बहराइच पुलिस ने कहा है बहराइच की सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े भ्रामक और झूठे तथ्य कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स पर गलत तरीके से फैलाए जा रहे हैं.
"सोशल मीडिया में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के उद्देश्य से भ्रामक सूचना जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना एवं नाखून उखाड़ना आदि बातें फैलाई जा रही हैं जिसमें कोई सच्चाई नहीं है. पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण गोली लगने से होना पाया गया है."पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से पुलिस
एक अफवाह फैली और...... हिंसा की चिंगारी कैसे भड़की?
बहराइच के महाराजगंज में सन्नाटा पसरा है. कई घरों में ताले लगे हुए हैं. 13 अक्टूबर को राम गोपाल मिश्रा की मौत के बाद हिंसा और भी भड़क उठी, कस्बे में तनाव हो गया. इसके अगले दिन 14 अक्टूबर को भीड़ ने कई जगह आगजनी और तोड़फोड़ की गई, जिसमें अधिकतर मुसलमानों के घरों और उनकी दुकानों को निशाना बनाया गया. इसकी गवाही खुद पुलिस की मामले में जनरल डायरी देती है.
16 अक्टूबर यानी बुधवार को घटनास्थल का दौरा करने के बाद थाना प्रभारी कमल शंकर चतुर्वेदी जब वापस लौटे तो उन्होंने जनरल डायरी में वो सब लिखा जो उन्होंने सड़कों पर देखा था. इसके अनुसार उन्हें दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान अज्ञात लोगों के हमले से 10 बाइक क्षतिग्रस्त हालत में और 1 ई-रिक्शा जली हुई हालत में मिली.
साथ ही
हाजी हसनू के घर के सामने जली हुई रिनाल्ट कार मिली
जुबेर के घर के सामने जली हुई कार मिली
दिलशाद के घर के सामने जली हुई पिकअप मिली
हीरो एजेन्सी के अंदर खड़ी बाइक जली हुई मिली
साहिबे आलम का ई रिक्शा जला हुआ मिला
सोनू और मोनू की जली हुई बाइकें
रफीउज्जमा का नया ई रिक्शा जला मिला
सरोज तिवारी की बाइक
अब्दुल हमीद की एक कार, एक अपाची टीवीएस
एक अपाची स्पोर्ट, एक ओला स्कूटी जली मिली
सलाउद्दीन की मोटर साइकिल जली मिली
महाराजगंज के सलमान की कार जली मिली
जनरल डायरी में ऐसी सिर्फ 12 प्वाइंटर्स में एन्ट्री नहीं हैं बल्कि कुल 22 प्वाइंट में बताया गया है कि कैसे इलाके में हिंसक भीड़ ने गाड़ियों और बाइकों को निशाना बनाया और उन्हें फूंक डाला. इसमें साफ लिखा गया है कि भीड़ ने गांववालों के घरों में घुसकर तोड़-फोड़ और लूटपाट की, जिससे लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है. लोगों ने अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर ली हैं. खुद को घर के अंदर कर लिया है. स्कूल-कॉलेज, सरकारी दफ्तर और मार्केट में दुकानें तक बंद हैं.
13 अक्टूबर को कैसे हिंसा शुरू हुई? जनरल डायरी में लिखा है कि जब पुलिस ने 13 अक्टूबर की घटना के संबंंध में जानकारी जुटाई तो पता चला, "13 अक्टूबर को महराजगंज कस्बे में दुर्गा पूजा विसर्जन का जुलुस चल रहा था.. विसर्जन के दौरान विधायक सुरेश्वर सिंह के बेटे अखण्ड प्रताप सिंह उर्फ गोलू भैया आए थे. हिंदू समाज के लोगों ने उन्हें सम्मानित किया. उनके जाने के कुछ देर बाद अफवाह उठाया गया कि प्रतिमा के उपर पत्थर मारा गया है जिससे मूर्ति टूट गई है. जिस ट्रैक्टर पर प्रतिमा थी उसका ड्राइवर गाड़ी बंद करके भाग गया जिसकी वजह से जुलूस वहीं स्थिर हो गया. जुलूस रुकने पर भीड़ द्वारा आमजन पर पथराव किया जाने लगा और तोड़-फोड़ की गई. भीड़ को काबू में करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया."
(इनपुट- धर्मेंद्र राजपूत)
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