गोरखपुर के शेरगढ़ गांव निवासी विजय बताते हैं कि बाढ़ से गांव के लोगों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है.
जब बाढ़ आई, तो जिससे जो बन पाया, वो सामान लेकर घर से भागा. जिन लोगों के पक्के मकान थे, उन्होंने किसी तरह घर की छत पर रहने का इंतजाम किया. कई कच्चे मकान तो ढह गए, अब बाढ़ का पानी घटने के साथ लोग अपने घरों को लौट रहे हैं. ये लोग नाव के सहारे आते-जाते हैं.
प्रशासन से क्या मदद मिली?
गांव वालों के मुताबिक बाढ़ के दौरान नाव की व्यवस्था कर दी गई थी. राशन, मिट्टी का तेल और दवाई वगैरह बांटी गई है. स्थानीय महिलाओं ने बताया कि 10 दिन का राशन मिला है और बुखार की दवा बांटी गई है.
वहीं कई ग्रामीणों की शिकायत है कि एक बार राशन बांटने के बाद कोई भी उनकी खोज-खबर लेने नहीं आया कि वे लोग कैसे रह रहे हैं.
गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद ने क्विंट से बातचीत में जानकारी दी कि, 300 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ प्रभावित गांव के लिए 520 से ज्यादा नाव की व्यवस्था की गई. राशन किट बांटा गया है, जिसमें 10 से 15 दिन का राशन है. बाढ़ प्रभावितों के लिए राहत कार्य जारी हैं. बीमारियों से बचाव के उपाय किए जा रहे हैं.
बाढ़ का स्थाई समाधान चाहते हैं लोग
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ आती है और कहर बरपाती है. बाढ़ में डूबने का खतरा बना रहता है, सांप-बिच्छू के काटने का खतरा रहता है. बाढ़ से मुक्ति के लिए या तो बांध का निर्माण कराया जाए या फिर उन्हें दूसरी ऊंची जगह बसा दिया जाए.
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