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"मेरा बच्चा कौन देगा, उसे जलाकर मार दिया," UP के अस्पताल में आग लगने से 10 नवजातों की मौत

Jhansi Hospital Fire: झांसी के हॉस्पिटल में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि कम से कम 16 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं

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"अब मेरा बच्चा कौन देगा, मेरा बच्चा जलकर मरा. 9 तारीख को ही मेरा बच्चा इस दुनिया में आया था. वह केवल 6 दिन का था. हमारे बच्चे को आग लगा दिया.."

चीखते हुए यह बात वह उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi Hospital Fire) का वह दंपती कहता है जिसने अपने नवजात को हमेशा के लिए खो दिया है. झांसी के एक हॉस्पिटल में शुक्रवार, 15 नवंबर की रात आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि कम से कम 16 बच्चे अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) यानी बच्चों के ICU में रात करीब 10:45 बजे आग लगी. जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने मौतों की संख्या की पुष्टि की है.

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"मैंने 4-5 बच्चे बचाए, लेकिन पता नहीं मेरा बच्चा कहां है"

कुलदीप का बच्चा भी झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के NICU में भर्ती था लेकिन आगजनी की घटना के बाद उन्हें अपना बच्चा नहीं मिल रहा. वो अपना झुलसी हुई हथेली दिखाते हुए कहते हैं कि आग लगने के बाद वो खुद NICU के अंदर गए और 4-5 बच्चों को बचाकर बाहर लाए.

"मेरा अपना बच्चा अभी तक नहीं मिला है. न कोई कुछ बता ही रहा है. कोई उम्मीद भी नहीं दे रहा है कि वो मिलेगा भी या नहीं. रात से मैं परेशान हूं. मेरी मम्मी और बीबी का हाल रात से बेहाल है. दोनों बार-बार बेहोश हो जा रही हैं. जो अपना बेटा खोता है उसे पता चलता है न.
कुलदीप, परिजन

कुलदीप ने आरोप लगाया किया कि उन्हें हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने गाली भी दी और कथित तौर पर यह कहा कि मरने दो. उन्होंने दावा किया, "बताओ अगर उनका बच्चा मरता तो वो बोलते कि मरने दो? रात में मुझे वो अंदर नहीं जाने दे रहे थे लेकिन फिर भी मैं गया. मैंने वहां 4-5 बच्चे बचाए. मुझे वहां अंदर कुछ नजर नहीं आ रहा था. लेकिन मैंने कहा कि भले मुझे मर जाने दो लेकिन बच्चों को बचाने दो. मैंने ताला तोड़कर बच्चे निकाले हैं."

माया भी हॉस्पिटल की ओर लगातार उम्मीद के साथ देख रही हैं. उन्हें अपना नाती यानी बेटी का बेटा अभी तक नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि किसी परिजन को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है.

कैसे हुआ हादसा, कौन जिम्मेदार?

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए झांसी मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर ने बताया कि हादसे के समय कम से कम 49 बच्चे NICU में भर्ती थे. उन्होंने कहा, "शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी, उस समय 49 बच्चे वहां दाखिल थे. 39 बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया. सभी बच्चों की हालत स्थिर है. घटना में 10 बच्चों की मौत हुई है, जिनमें से 3 बच्चों की पहचान अभी नहीं हो पाई है."

हालांकि झांसी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक(CMS) सचिन माहोर ने कहा है कि NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे.

हादसे की वजह बताते हुए जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने मीडिया को से कहा कि "मौके पर NICU में मौजूद हॉस्पिटल स्टाफ ने बताया कि पहली नजर में लगता है कि शॉर्ट-सर्किट की वजह से आग लगी.

रात 10.30 से 10.45 के बीच NICU के अंदर वाले यूनिट, जिसमें ज्यादा गंभीर बच्चों को रखा जाता है, उसमें संभवतः शॉर्ट-सर्किट की वजह से आग लग गया. बाहर की यूनिट में रखे गए लगभग सभी बच्चों को बचा लिया गया है. अंदर की यूनिट में रखे 10 बच्चों की मौत हो गई है.

दूसरी तरफ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक(CMS) सचिन माहोर के अनुसार आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में लगी थी. आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन आग तुरंत फैल गई थी.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि "हॉस्पिटल में फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था. जून में मॉक ड्रिल भी की गई थी. यह घटना कैसे हुई और क्यों हुई, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम इस बारे में कुछ कह सकते हैं.

सरकार ने उनके परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवारों के लिए 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है. जिन बच्चों को गंभीर चोटें आईं, उनमें से प्रत्येक को ₹50,000 मिलेंगे. सीएमओ ने बताया कि मुख्यमंत्री ने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को घटना के संबंध में 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्रालय के इंचार्ज ब्रजेश पाठक ने कहा कि आगजनी की जांच तीन स्तरों पर होगी - एक स्वास्थ्य विभाग, एक पुलिस और एक मजिस्ट्रेट जांच.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अग्निकांड पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने पीड़ित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से ₹2 लाख और घायलों के लिए ₹50,000 की घोषणा की है."

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