उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से दम तोड़ती जिंदगियां अब आम सी बात हो चुकी हैं, इसके बावजूद शराब माफिया धड़ल्ले से अवैध शराब की तस्करी करते हैं और पुलिस प्रशासन का मुंह चिढ़ाते हैं. ऐसे में जब पुलिस कार्रवाई करने की सोचती है तो बेखौफ शराब माफिया जानलेवा हमला करने से भी पीछे नहीं रहते. ठीक ऐसे ही मंगलवार की शाम जिला कासगंज के थाना सिढ़पुरा क्षेत्र में शराब माफिया मोती सिंह ने अपनी पुलिस टीम को ही अपनी दबंगई का शिकार बना लिया. हम आपको इस पूरी घटना के पीछे की कहानी बताते हैं.
कासगंज में पुलिसकर्मियों के साथ क्या हुआ?
पहले कासगंज में हुई घटना की बात करते हैं और जानते हैं कि आखिर उस दिन पुलिसकर्मियों के साथ क्या हुआ था. इसे लेकर कासगंज के एक सामाजिक कार्यकर्ता अमित तिवारी हमें घटना की जानकारी दी और बताया कि ये गैंग कितने सालों से आतंक मचा रहा है. कासगंज घटना को लेकर उन्होंने कहा,
"थाना सिढ़पुरा से दोपहर तीन बजे के बाद दरोगा अशोक, सिपाही देवेंद्र के साथ आरोपी मोती सिंह की तलाश में नगला धीमर गांव गए. दरअसल वो कोर्ट से वांछित था जिसकी कुर्की के वारंट की तामील कराने दरोगा गांव में पहुंचे थे. पहले तो मोती सिंह के गैंग ने इन दोनों लोगों को पीटा, फिर बल्लम से मारा. जब मार रहे थे तो चिल्लाने की भी आवाज आ रही थी. ये आवाज सुनकर किसी ने पुलिस को खबर की. पुलिस अपने साथियों को जब बचाने आई तो ये आवाजें सुनकर डर गई और वापस चली गई. उसके बाद पुलिस दोबारा ज्यादा लोगों की टीम के साथ पहुंची. सर्च के दौरान पाया गया कि दरोगा के फेफड़े में बल्लम से वार किया गया था. जब उनके मुंह पर ऑक्सीजन लगाई गई तो वो उनकी छाती से बाहर निकल रही थी. सिपाही देवेंद्र गेहूं के खेत में मृत मिले. दोनों बिना वर्दी के मिले, दोनों के कपड़े मोटरसाइकल पर रखे थे."
पिछले तीन महीने में जहरीली शराब से कई मौतें
हालिया 3 महीने की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश के तीन अलग छोर में 3 बार जहरीली शराब से मौत की घटनाएं घटीं. 8 जनवरी 2021, बुलंदशहर (Bulandshahr) जिले के गांव जीतगढ़ी में जहरीली शराब ने पीने से 5 लोगों की मौत और 7 लोगों की हालत नाजुक हो गई थी. 21 नवम्बर 2020, प्रयागराज के फूलपुर थाना क्षेत्र में देशी शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई और 3 लोगों की हालत गंभीर थी. 13 नवंबर 2020, राजधानी लखनऊ के बंथरा इलाके में धनतेरस त्योहार के दिन 6 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई, जबकि 7 लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे.
सवाल ये उठता है कि इन मौतों के पीछे आखिर है कौन? आबकारी विभाग के अधिकारियों की सुस्ती या फिर प्रशासन से बेखौफ होकर सिर उठाते कासगंज के मोती सिंह जैसे शराब माफिया?
दरअसल कच्ची शराब बनाने का धंधा नदियों के किनारे बड़े पैमाने पर होता है. इसका कारण है नदियों के किनारे बीहड़ का होना और नदियों के दोनों छोर पर अलग-अलग जिले का होना. ये इलाके जिला हेड क्वार्टर से काफी दूर दराज क्षेत्र होते हैं. जहां पुलिस की चहलकदमी भी बहुत कम होती है. कासगंज से दो नदियां बहती हैं एक काली नदी तो दूसरी गंगा. कासगंज घटना के मुख्य आरोपी मोती सिंह का गांव नगला भीमर काली नदी के तट के करीब है.
धीमर जाति के लोग बड़े पैमाने पर कच्ची शराब बनाने का काम करते थे. रिकॉर्ड के मुताबिक, मोती सिंह के खिलाफ 11 आपराधिक मामले पहले से ही दर्ज हैं. सूत्रों की मानें, तो एक साल पहले भी इसने पुलिस पर हमला किया था. उस पर हत्या से लेकर लड़की भगाने के मामले दर्ज हैं.
कासगंज के सामाजिक कार्यकर्ता अमित तिवारी कहते हैं कि, 2017 में BJP सरकार आने के बाद नगला भीमर गांव के पास नदी पर एक पुल बना, जिसकी सड़क गांव के नजदीक से निकली. जहां से गाड़ियों की आवाजाही बढ़ी. इसी कारण धीमर जाति ने कच्ची शराब बनाने का काम बंद कर दिया. लेकिन यहीं से मोती सिंह ने ये काम शुरू कर दिया. जो धीरे-धीरे बढ़ता चला गया.
क्या शराब माफिया को मिल रहा था सत्ता का संरक्षण?
सवाल ये उठता है कि जब दूसरे गैंग ने 2017 में BJP की सरकार आने के बाद कच्ची शराब का धंधा बंद किया तो, उसी क्षेत्र में मोती सिंह जैसे शराब माफिया कैसे सक्रिय हो गए? क्विंट के इस सवाल पर तिवारी कहने लगे कि देखिए इस समय यहां के विधायक और सांसद सभी मोती सिंह की जाति के ही हैं. इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन्हें सत्ता का संरक्षण प्राप्त नहीं था. लेकिन किसका क्या सहयोग मोती सिंह को मिलता रहा इसका कोई प्रमाण नहीं है.
कासगंज के सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि पुलिस मोती सिंह से खौफ खाती थी. हाल ही में एक दरोगा मोती सिंह की तलाश में गए थे, तो उनकी कनपटी पर मोती ने तमंचा रख दिया था. दरअसल काली नदी के किनारे बीहड़ के गांवों में मोती सींह की तूती बोलती है.
मोती सिंह पुलिस को मानता था सबसे बड़ा दुश्मन
कासगंज जिले के एक पुलिस अधिकारी मोती सिंह के गृह थाना क्षेत्र में लंबे समय तक कार्यरत थे. उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि "मोती सिंह ने जब शुरुआत में कच्ची शराब बनाने के लिए भट्टियां बनाई, तब पुलिस ने उनको तोड़ दिया. वहीं से मोती ने पुलिस का विरोध शुरु किया. जैसे-जैसे उसका धंधा बढ़ा वैसे-वैसे वो पुलिस का दुश्मन बनता गया. अगर उसने शराब पी ली तो वो सिर्फ पुलिस को गालियां बकता है. जब भी पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश की वो काली नदी में कूद जाता और उस पार एटा जिला पहुंच जाता था. इसलिए पकड़ा नहीं जाा सका. उसके पकड़े नहीं जाने का एक कारण ये भी है कि वो गांव में नहीं रहता था. कभी-कभार ही आता था. नदी किनारे बीहड़ में ही रहता था. वो गुंडा या बाहुबली की तरह नहीं बल्कि बीहड़ के डाकुओं की तरह सक्रिय रहता था."
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)