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नवजात के इलाज का बिल ₹5.25 लाख: मेरठ SP विधायक का प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ मोर्चा

अतुल प्रधान ने 12 मांगो का ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) जिले में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक अतुल प्रधान 3 दिन से आमरण अनशन पर है. विधायक ने प्राइवेट अस्पतालों द्वारा कथित रूप से मनमाना पैसा वसूले जाने का आरोप लगाते हुए अपने समर्थकों के साथ यह भूख हड़ताल शुरू की है.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि उनका विरोध प्राइवेट अस्पतालों में कथित तौर पर व्याप्त अव्यवस्था तथा मरीज और उनके परिजनों के हो रहे उत्पीड़न को लेकर है. इससे संबंधित 12 मांगों का ज्ञापन विधायक अतुल प्रधान ने स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.

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अतुल प्रधान ने  12 मांगो का ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.

अतुल प्रधान का मांग पत्र

अतुल प्रधान ने  12 मांगो का ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.

वहीं अगर प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) मेरठ चैप्टर के एक पदाधिकारी ने विधायक अतुल प्रधान पर डॉक्टरों से अभद्रता और अस्पताल में अराजकता फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक का डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के पेशे के प्रति लगाया गया आरोप अपमानजनक है और इससे डॉक्टर और मरीज के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

कैसे हुई मामले की शुरुआत?

मेरठ के थाना दौराला निवासी जितेंद्र की बेटी का जन्म शहर के ही प्राइवेट अस्पताल में इसी साल 11 अक्टूबर को हुआ था. जन्म के बाद अस्पताल के डॉक्टरों के निर्देश पर जितेंद्र की नवजात बच्ची को उपचार के लिए 6 नवंबर तक अस्पताल में ही भर्ती रखा गया. अस्पताल प्रबंधन का आरोप है कि जितेंद्र ने अस्पताल के बिल से कम पैसे जमा किए. नवजात बच्ची के इलाज का अस्पताल ने 5 लाख रूपए से ज्यादा का बिल बना दिया.

विवाद की शुरुआत तब हुई जब बच्ची के परिजनों ने यह पैसा जमा करने में असमर्थता जताई. जितेंद्र की मानें तो दवाईयों का नाम कोड में लिखकर सीधे अस्पताल की फार्मेसी में भेजा जाता था. अस्पताल की फार्मेसी से दवा लेना जरूरी था.

जितेंद्र ने क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि

अस्पताल में एक इंजेक्शन, जो मैंने ₹17000 का लिया उसका दाम जब बाहर पता कराया तो ₹11000 का था. मेरी बच्ची बिल्कुल स्वस्थ थी लेकिन अस्पताल का बिल बढ़ाने के लिए उसे डिस्चार्ज नहीं कर रहे थे.

अस्पताल ने आरोप लगाया कि 6 नवंबर की शाम नवजात बच्ची के पिता जितेंद्र, उसके परिजन और सरधना से एसपी विधायक अतुल प्रधान अपने समर्थकों के साथ अस्पताल पहुंचे और उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टर और स्टाफ के साथ बदतमीजी और अभद्रता की. उनका यह भी आरोप था कि नवजात बच्ची के 26 दिन के इलाज का पैसा दिए बगैर परिजन अस्पताल से चले गए.

जितेंद्र के मुताबिक विधायक और डॉक्टरों के बीच बातचीत के बाद साढ़े 3 लाख रुपए देने पर डॉक्टर माने और पैसा जमा करने के बाद बच्ची को डिस्चार्ज किया गया. अस्पताल के CCTV और वायरल विडियोज में अतुल प्रधान अस्पताल के वेटिंग एरिया में डॉक्टरों से बैठकर सहजता से बात करते दिख रहे हैं.

लेकिन बाद में अस्पताल कर्मचारियों के लिखित शिकायत पर अतुल प्रधान, उनके समर्थकों समेत नवजात बच्ची के परिजनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 504, 506, 452, 269, 270, 271, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (1967) की धारा 7 और उत्तर प्रदेश चिकित्सा परिचर्चा सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्चा सेवा संस्थान (हिंसा और संपत्ति की क्षति का निवारण) अधिनियम, 2013 की धारा 3 (ए) के तहत मेरठ के मेडिकल थाना अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया.

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अतुल प्रधान ने  12 मांगो का ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.

मुकदमा दर्ज होते ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया. विधायक अतुल प्रधान के तेवर जब तल्ख हुए तो इस मामले में हावी हो रहे अस्पताल प्रशासन ने रुख नरम किया और नतीजतन इस मुकदमे में जांच कर रही मेरठ की मेडिकल थाने की पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट यानी केस को खत्म करने के लिए कोर्ट में अर्जी दे दी.

सूत्रों की मानें तो इसके बाद कुछ स्थानीय बीजेपी नेता एक्टिव हुए और फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ जिले के आला अधिकारियों तक पहुंच गए. लगातार बदल रहे घटनाक्रम के तहत फाइनल रिपोर्ट को वापस लिया गया और पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी.

इसको लेकर क्विंट हिंदी ने जब मेरठ के एसएसपी रोहित सिंह सजवान से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जल्दबाजी में साक्ष्य संकलन और बयान के बिना ही जांच अधिकारी ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. अब इस मामले में दोबारा विवेचना कर चार्जशीट लगा दी गई है.

प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ खोला मोर्चा

बीजेपी के कद्दावर नेता संगीत सोम को उनके ही गढ़ सरधना में हराकर 2022 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले समाजवादी पार्टी नेता अतुल प्रधान, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं. प्राइवेट अस्पतालों में कथित तौर पर व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर आमरण अनशन का ऐलान करते हुए अतुल प्रधान 4 दिसंबर से जिला कलेक्ट्रेट पर अपने समर्थकों के साथ विरोध में बैठ गए है.

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अतुल प्रधान ने  12 मांगो का ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है.
हमारी मांग तो यह है कि सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए कि जो गरीब, किसान लोग और कमजोर तबके के लोग हैं, उनको फ्री में इलाज मिल सके. इलाज के अभाव में बहुत सारे लोग दम तोड़ देते हैं. हम लोग उनकी लड़ाई के लिए यहां आए हैं.
अतुल प्रधान ने मीडिया से बातचीत करते हुए बोला

प्राइवेट अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में कथित तौर पर व्याप्त गड़बड़ियों के बारे में बातचीत करते हुए प्रधान ने कहा कि "फर्जी लैब चल रही है. फर्जी तरीके से अस्पताल चल रहे हैं, MRI सेंटर चल रहे हैं. कई जगह आप देखेंगे मेडिकल कॉलेज से लोगों को उठाकर ले जाते हैं. मरीजों को एंबुलेंस छीन कर ले जाती है. जांच के नाम पर और बाकी चीजों के नाम पर मेडिकल स्टोरों पर यह सब जो गड़बड़ी चल रही है, हम उसके खिलाफ हैं."

सूत्रों की माने तो मेरठ जिले में 300 प्राइवेट अस्पताल हैं और उनमें से 180 ऐसे हैं, जो मानक पर खरे नहीं उतरते हैं.

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वहीं अगर जिले के अस्पताल मालिकों और प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की बात करें तो अतुल प्रधान के आरोपों से नाराजगी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मेरठ चैप्टर के सचिव डॉ तरुण गोयल ने क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान कहा

मैं मानता हूं कि खराब लोग हर पेशे में होते हैं लेकिन उन 5 से 10% लोगों के लिए अगर आप पूरे पेशे को गाली देंगे तो IMA उसके खिलाफ स्टैंड लेगा. विधायक खुद अराजकता फैला रहे हैं. अगर किसी अस्पताल में कुछ गलत काम हो रहा है, तो वह जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) से शिकायत कर सकते हैं. अगर आरोप सही पाया गया तो लाइसेंस तुरंत निरस्त हो जाएगा.

तरुण गोयल ने आगे बताया कि अतुल प्रधान खुद विधायक हैं. उन्हें सड़क पर उतरने की क्या जरूरत है. वह लॉ मेकर लॉबी में बैठे हुए हैं. अगर उन्हें दवाइयां या अस्पताल में उपचार के दाम को लेकर आपत्ति है, तो वह इसको लेकर कानून बनाने की बात क्यों नहीं करते?

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