देश में कोरोना संकट के बीच सबसे ज्यादा गरीब मजदूर पिस रहा है. घंटों भूखे पेट पैदल चलकर पैरों में छाले पड़ चुके हैं, कहीं सुनाई देता है कि बस वहां से मिलेगी तो भीड़ उधर दौड़ पड़ती है. लेकिन पहले ही बेबस मजदूर अब राजनीति की चक्की में भी पिस रहे हैं. कांग्रेस और योगी सरकार के बीच बसों को लेकर मचा घमासान मजदूरों के लिए फजीहत साबित हो रहा है. कई घंटों से मजदूर इंतजार में हैं कि उनके लिए बसों का इंतजाम हो रहा है, लेकिन बस चलाने वाले तो चिट्ठी और ट्विटर के जरिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
कांग्रेस की तरफ से दिए गए 1 हजार बसों के प्रस्ताव के बाद यूपी की योगी सरकार ने भले ही इन्हें इजाजत देने की बात कही हो, लेकिन 24 घंटे बाद भी बसों के पहिए मजदूरों की तरफ से नहीं बढ़ रहे हैं. इसकी जगह अब प्रदर्शन, एफआईआर और गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो चुका है.
क्या है बसों के रुकने का कारण?
दरअसल यूपी कांग्रेस की तरफ से नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर एक हजार बसें भेजी जा रही थीं. लेकिन इसी बीच खबर सामने आई कि यूपी सरकार को दी गई बसों की लिस्ट में गड़बड़ है. इनमें से कई नंबर ऑटो और एंबुलेंस के भी बताए गए. इसे लेकर बीजेपी नेताओं की तरफ से सोशल मीडिया पर खूब प्रचार किया गया कि कांग्रेस ने बसों का बोलकर बाइक और ऑटो के नंबर दे दिए.
लेकिन जिन बसों को लाइन में खड़ा किया गया था, उन्हें यूपी के बॉर्डर ऊंचा नागला पर रोक दिया गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आगरा प्रशासन ने अंदर घुसने की इजाजत नहीं दी है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इसे लेकर ट्वीट किया.
लेकिन इसी बीच आगरा वेस्ट के एसपी (रूरल) मीडिया के सामने आए और बसों को रोके जाने का कारण बताया. उन्होंने बताया कि इंटर-स्टेट मूवमेंट के लिए बसों को पास लेने की जरूरत है. लेकिन इन बसों के पास कोई भी आधिकारिक मूवमेंट पास नहीं था. इसके अलावा ये भी कहा गया कि कांग्रेस ने जो बसें भेजी हैं, उनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है.
फिटनेस सर्टिफिकेट वाले तर्क को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर पर कहा कि बीजेपी पहले अपना फिटनेस सर्टिफिकेट दे, कि क्या वो प्रदेश में चलने के लायक है? उन्होंने ट्विटर पर लिखा,
“उप्र की सरकार बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट के बहाने प्रवासी मजदूरों को सड़कों पर उत्पीड़ित कर रही है. भाजपा सरकार ख़ुद अपने फिटनेस का सर्टिफिकेट दे कि इस बदहाली में क्या वो देश-प्रदेश चलाने के लायक है. अब कहां हैं पूरी दुनिया में भारत की उज्ज्वल होती छवि का ढिंढोरा पीटने वाले.”अखिलेश यादव
प्रियंका के निजी सचिव के खिलाफ FIR
इसी बीच यूपी से एक और खबर सामने आई. जिसमें कहा गया कि प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. ये एफआईआर धोखाधड़ी और गलत जानकारी देने को लेकर हुई. इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे अजय कुमार लल्लू और उनके समर्थकों को पुलिस ने उठाकर हिरासत में ले लिया.
इस मामले को लेकर मंगलवार को पूरे यूपी में घमासान मचा रहा. लोकतांत्रिक जनता दल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सरकार मजदूरों तक बसें पहुंचने में टांग अड़ा रही है. उन्होंने लिखा,
“मैं भी हैरान हूं कि ऐसे समय में तो राजनीति से हट कर इन लाचार और बेबस श्रमिकों की जो भी मदद करना चाहा रहें उनको इस सरकार द्वारा उत्साहित करना चाहिए ना कि उसमे भी टांग अड़ानी चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार को बिना कोई और बाधा डाले इन बसों को तुरंत जाने दिया जाना चाहिए.”शरद यादव
फिलहाल ये सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं कई दिनों से आस लगाए बैठे मजदूरों का भी सब्र का बांध टूट रहा है. मजदूरों को ये आस थी कि उनके लिए 1 हजार बसों का इंतजाम हो रहा है, इसीलिए बेबस मजदूर कई घंटों से उन बसों का इंतजार कर रहे हैं, जो अभी तक सियासी स्पीड ब्रेकर्स को पार नहीं कर पाईं हैं.
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