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UP:10 साल करता रहा PM आवास योजना से मदद का इंतजार,बारिश में टूटा घर तो मिले 3200

पक्की छत के लिए बैंक से कर्जा लेने की कोशिश की, लेकिन ना ही बैंक से कर्ज मिला और ना ही PM आवासीय योजना का लाभ.

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उत्तर प्रदेश (UTtar Pradesh) के मुजफ्फरनगर में बारिश की वजह से एक दलित परिवार का अशियाना बिखर गया. भारी बरसात के चलते कच्चा मकान भर भराकर गिर गया. पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. ऐसे में जहां सरकार और प्रशासन से मदद मिलनी चाहिए थी, वहां गरीबी का मजाक बनाया गया है. दैवीय आपदा के नाम पर पीड़ित परिवार को मिलने वाली सहायता राशि के नाम पर जिला प्रशासन ने सिर्फ 3200 रुपए देने की बात कही है.

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पक्की छत के लिए बैंक से कर्जा लेने की कोशिश की, लेकिन ना ही बैंक से कर्ज मिला और ना ही PM आवासीय योजना का लाभ.

बरसात के चलते कच्चा मकान भर भरा कर गिर गया

(फोटो: क्विंट हिंदी)

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ये मामला मुजफ्फरनगर के सदर तहसील क्षेत्र के गांव बागोवाली का है, जंहा पिछले कई दिनों से हो रही बरसात के चलते बागोवाली निवासी दलित मजदूर राकेश मेडियन का कच्चा मकान भरभरा कर गिर गया. अच्छी बात ये रही कि राकेश ने समय रहते अपने पिता और जरूरी सामान मकान से बाहर निकाल लिए थे. पीड़ित राकेश मेडियन मजदूरी करते हैं और उनके परिवार में 8 सदस्य हैं.

अब जब राकेश का मकान बरसात की वजह से खंडहर में तब्दील हो गया तो जिला प्रशासन ने पीड़ित के हाथ पर 3200 रुपए देने के लिए एक चिट्ठी थमाई है. राकेश का कहना है,

मैं मजदूरी करता हूं. बीते शनिवार की रात भारी बरसात के चलते हमारा कच्चा मकान दीवार बैठने की वजह से गिर गया. समय रहते हमने कच्चे मकान से जरूरत का सामान निकाल लिया था जो अभी खुले आसमान के नीचे और पड़ोसी के घर में रखा हुआ है. हमने तहसीलदार को मकान गिरने की सूचना दी थी. तहसीलदार ने लेखपाल को भेजा था, लेखपाल ने हमें मुआवजे के तौर पर 3200 रुपए का एक पत्र दिया है. सभी जानते है कि आज के महंगाई के दौर में 3200 रुपए में मकान की छत पर छप्पड़ भी नहीं पड़ सकता. हम आज खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.
पक्की छत के लिए बैंक से कर्जा लेने की कोशिश की, लेकिन ना ही बैंक से कर्ज मिला और ना ही PM आवासीय योजना का लाभ.

3200 रुपए मुआवजे की चिट्ठी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

पीएम आवास योजना के तहत भी नहीं मिला मकान

पीएम आवास योजना के तहत गरीब परिवार के लोगों को मकान देने की बात कही जाती है, लेकिन राकेश का कहना है कि पिछले 10 साल से लगातार जिला प्रशासन से प्रधानमंत्री आवासीय योजना के लिए आवेदन किया. यही नहीं पक्की छत के लिए बैंक से कर्जा लेने की भी कोशिश की, लेकिन ना ही उन्हें बैंक से कर्ज मिला और ना ही प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ मिला. राकेश कहते हैं,

मेरे परिवार में 8 सदस्य हैं, बेटा है, पुत्र वधु है छोटे बच्चे हैं. हम पिछले 10 साल से सरकारी आवास के लिए आवेदन करते रहे हैं. लेकिन हमरे कच्चे मकान पर छत नहीं बनी. क्योंकि हमारे पास अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं थे. हम तो यही चाहते हैं कि जो भी मुआवजा बनता है वो मिले या फिर प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत हमें पक्का मकान मिल जाये.

मामले में मुजफ्फरनगर के अपर जिलाधिकारी, वित्त ओर राजस्व का कहना है, "बारिश की वजह से घर गिरने की सूचना कुछ दिन पहले मिली थी. उस दौरान जो तहसील की रिपोर्ट थी उसमें आंशिक क्षति थी, उसमें आंशिक क्षति का शासन की तरफ से जो भी मुआवजा राशि तय है वो उनको दी गई थी. अब इधर दो दिन पहले सूचना मिली है कि दोबारा उनके मकान में बारिश से नुकसान हुआ है उसके लिए तहसीलदार को भेजा गया है, जैसे ही तहसीलदार की रिपोर्ट आती है,जो भी नियमानुसार मुआवजा होगा उनको दे दिया जाएगा."

सिर्फ 3200 रुपए मुआवजे की राशि पर सवाल पूछे जाने पर अधिकारी ने अपर जिलाधिकारी, वित्त ओर राजस्व ने कहा, "जो 3200 रूपए उनको दिया गया है वो आंशिक क्षति पर शासनादेश के नियमावली के अनुसार है."

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