सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को ओबीसी को आरक्षण दिए बिना जनवरी तक राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार द्वारा नियुक्त पैनल को 3 महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी कोटा से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा.
पिछड़ा वर्ग आयोग ने अभी तक रिपोर्ट दाखिल नहीं की है. इस बीच, जिन स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, उन्हें कानून के अनुसार अधिकारियों द्वारा प्रशासित किया जाएगा.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्थानीय निकायों का प्रशासन बाधित न हो, राज्य सरकार कार्यकाल समाप्त होने के बाद शक्तियों को सौंपने के लिए स्वतंत्र होगी.सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में राज्य ने बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में बदलाव नहीं किया जा रहा है और केवल सूची में पहले से मौजूद समुदायों के राजनीतिक पिछड़ेपन पर विचार किया जाएगा.
CM योगी ने किया आदेश का स्वागत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यूपी में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं. कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी.
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने अपने ट्वीट में लिखा कि संविधान ने आरक्षण दिया है तो मिलेगा ही डबल इंजन सरकार का यह संकल्प है.
पिछड़ों दलितों के आरक्षण को कोई छीन नहीं सकता. मुद्दाविहीन विपक्ष सरकार के खिलाफ आरक्षण मामले में फर्जी मुद्दा बनाने की साजिश किया, जो सुप्रीम कोर्ट की रोक से विफल हो गया.
बीजेपी यूपी के उपाध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि यूपी सरकार की सशक्त पैरवी से निकाय चुनाव में सपा की साजिश हुई फेल. पिछड़ों के आरक्षण हेतु मा. सुप्रीम कोर्ट ने दिया समयबद्ध निर्देश.
इसके अलावा बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए अपने बयान दिए हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश और राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित किए बिना 31 जनवरी तक चुनाव कराने का आदेश दिया था क्योंकि राज्य ने ट्रिपल-टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया था.
राज्य ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और ट्रिपल-टेस्ट फॉर्मूले को पूरा करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया.
अब आगे क्या?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट मसजूद खान ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी कोई फाइनल जजमेंट नहीं दिया है. यूपी सरकार के द्वारा बनाया गया आयोग 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा, इसी के आधार पर कोर्ट अपना फैसला देगी, जिसके बाद ही तस्वीर साफ होती नजर आएगी.
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