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यूपी का एक मेधावी छात्र बन गया देश का सबसे बड़ा नकल माफिया, जानिए कौन है रवि अत्री?

Ravi Atri: 2012 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सहायक ग्रेड परीक्षा के पेपर लीक करने की कोशिश में रवि अत्री समेत तीन लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

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भारत
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राजस्थान के कोटा शहर से प्रतियोगी परीक्षा के छात्र के रूप में अपने करियर की उड़ान भरने वाला यूपी का एक युवक राह से भटक गया और वह इन्हीं प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक करने वाले मास्टरमाइंड के रूप में उभर कर सामने आया. नाम है रवि अत्री.

देश की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले का निवासी रवि अत्री को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की. 17 और 18 फरवरी 2024 को हुए उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में जिस गिरोह की संलिप्तता सामने आई थी, उसका सरगना रवि अत्री था.

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रवि ने सुनियोजित तरीके से ट्रांसपोर्ट कंपनी के वेयरहाउस में सेंध मारकर फिल्मी तरीके से यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराया. यूपी एसटीएफ ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती चली गईं और आखिर में इसके सरगना रवि अत्री की गिरफ्तारी हुई.

तीन अलग-अलग राज्यों से हो चुकी है गिरफ्तारी

रवि अत्री गौतमबुद्धनगर से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद 2007 में ऐलन कोचिंग सेंटर, कोटा, राजस्थान में मेडिकल की तैयारी करने गया. कोचिंग के दौरान ही वह परीक्षा माफियाओं के संपर्क में आ गया और अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में 'सॉल्वर' बनकर बैठने लगा.

सॉल्वर वह व्यक्ति होता है जो असली परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देता है. इसके एवज में सॉल्वर को एक मोटी रकम दी जाती है.

साल 2012 में हरियाणा प्री मेडिकल टेस्ट (एचपीएमटी) की परीक्षा पास करने के बाद इसका पीजीआईएमएस, रोहतक, हरियाणा में एडमिशन हो गया और 2018 में तृतीय वर्ष पास किया लेकिन चौथे वर्ष की परीक्षा नहीं दी. वहीं, साल 2012 में NEET पीजी परीक्षा का पेपर लीक मामले में दिल्ली की दरियागंज क्राइम ब्रांच ने रवि को जेल भेजा था. इसके बाद 2012 में ही SBI की स्टेनो परीक्षा का पेपर आउट कराने के मामले में थाना शाहबाद डेरी, दिल्ली ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था.

रवि अत्री 2015 में AIPMT का पेपर आउट कराने के आरोप में थाना पीजीआईएमएस, रोहतक, हरियाणा ने गिरफ्तार किया था और रवि को अपने साथियों के साथ जेल जाना पड़ा था. इन सभी मामलों में गिरफ्तारी और जेल में कुछ समय बिताने के बाद वो बाहर आ जाता था और प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने को लेकर फिर सक्रिय हो जाता था.

9 साल बाद रवि अत्री एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में है. कभी हाईटेक गैजेट्स के सहारे प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंध लगाने वाले रवि अत्री और उसके गिरोह ने इस बार उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का वह पेपर लीक कराया जिसमें तकरीबन 48 लाख अभ्यर्थी बैठे थे.
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कहीं हाईटेक गैजेट्स तो कहीं सीधे प्रश्न पत्र तक पहुंच गया गिरोह

2012 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सहायक ग्रेड परीक्षा के पेपर लीक करने की कोशिश में रवि अत्री समेत तीन लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इनके मोडस ऑपरेंडी (काम करने की शैली) के बारे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तब बताया था कि रवि अत्री का गिरोह अभ्यर्थियों को एक हाई-एंड मोबाइल फोन मुहैया कराता है, जिसका इस्तेमाल प्रश्न पत्र के स्कैनिंग के लिए किया जाता है.

स्कैनिंग के बाद ईमेल के माध्यम से प्रश्न पत्र एक कार से कंट्रोल रूम में भेजे जाते थे. कंट्रोल रूम में बैठा गिरोह का एक शख्स प्रश्न पत्र को हल कर उसका उत्तर कलाई घड़ी की तरह दिखने वाले मोबाइल फोन पर भेजा करता था.

हालांकि धीरे-धीरे प्रतियोगी परीक्षाओं में सख्ती बढ़ती गई और नकल करने के लिए माफियाओं ने नए पैंतरे अपनाने शुरू कर दिए. सरकारी नौकरी के लिए होने वाले कई प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रश्न पत्र प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस में छपता है.

2024 में फरवरी माह में होने वाले यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र छापने का जिम्मा गुजरात के अहमदाबाद की एक कंपनी को आउटसोर्स किया गया था. रवि अत्री का गिरोह जब प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक करने में असफल रहा तो फिर उन प्रश्नपत्रों को यूपी के अलग-अलग सेंटर तक पहुंचाने का जिम्मा लेने वाली कंपनी ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (टीसीआई) को टारगेट किया. अपने गिरोह के सदस्यों के माध्यम से रवि अत्री ने टीसीआई कंपनी में काम कर रहे दो कर्मचारियों को भी अपने साथ जोड़ लिया.

इन्हीं दो कर्मचारियों की मदद से रवि अत्री ने अपने गिरोह के सक्रिय सदस्य डॉक्टर शुभम मंडल की मदद से टीसीआई कंपनी के वेयरहाउस में रखे प्रश्नपत्रों के सील्ड ट्रंक बॉक्स में सेंध मार दी. ट्रंक बॉक्स में सामने ताला व सील लगा था इसलिए शुभम मंडल ने दोनों ट्रंक बॉक्स के पिछले भाग को प्लास और पेचकस से उखाड़ कर उसमें रखे पेपरों में से एक पेपर निकालकर उसकी फोटो मोबाइल से खींचकर वापस पेपर को ट्रंक बॉक्स में रखकर उसे बंद कर दिया. यहां से पेपर लीक होने के बाद रवि अत्री ने अपने संपर्क में रहने वाले अन्य नकल माफियाओं को लीक हुआ प्रश्न पत्र मुहैया कराया.

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