डॉक्टर कफील खान के खिलाफ यूपी पुलिस ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया है. इसे लेकर अब कफील खान के परिवार ने सवाल उठाया है. कफील खान के परिवार का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनीति से प्रेरित होकर ये कार्रवाई की है.
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रवक्ता डॉक्टर कफील खान पर आरोप है कि उन्होंने 12 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में चल रहे विरोध प्रदर्शन में भड़काऊ बयान दिया था.
मुंबई में यूपी STF ने किया था गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) ने कफील खान को 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया था. जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
कफिल खान के भाई अदील ने क्विंट से बात करते हुए कहा,
कफील को 10 फरवरी 2020 को जमानत मिल गई थी, लेकिन जमानत मिलने के 72 घंटे बाद भी उन्हें जेल प्रशासन ने रिहा नहीं किया. जिसके बाद हम लोगों ने 13 फरवरी को अलीगढ़ में सीजेएम कोर्ट में कंटेंपट ऑफ कोर्ट की अपील की. सीजेएम कोर्ट ने जेल प्रशासन को फटकार लगाते हुए तुरंत रिहाई के स्पेशल ऑर्डर जारी किए. लेकिन जेल प्रशासन ने फिर भी रिहा नहीं किया. और रिहाई से पहले ही उनपर रासुका लगा दिया गया.
- 01/0210 फरवरी 2020 को कोर्ट ने दिया जमानत का आदेश
- 02/0210 फरवरी 2020 को सीजेएम कोर्ट ने जेल प्रशासन को फटकार लगाते हुए तुरंत रिहाई के स्पेशल ऑर्डर जारी किए.
“बीआरडी कॉलेज केस का बदला ले रही है सरकार”
बता दें कि कफील खान को 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में सस्पेंड कर दिया गया था. जिसके बाद उन्हें 8 महीने से ज्यादा जेल में भी रहना पड़ा था. हालांकि उनके खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत कोर्ट में नहीं दिया गया. कफील खान के भाई ने आरोप लगाया है कि साल 2019 में भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बहुत से बच्चों की मौत हुई है, और कफील खान ने इस बात को लेकर कुछ न्यूज चैनल को इंटरव्यू भी दिया था. जिस वजह से सरकार उनसे और नाराज हो गई.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कफील ने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं बोला था. इस मामले में पहले तो उन्हें गलत आरोप में हिरासत में लिया गया. अब जब उन्हें बेल मिल गई तो एनएसए लगा दिया गया. जबकि कोर्ट ने उन्हें बेल दी थी. अगर कफील ने भड़काऊ बयान दिया होता तो कोर्ट अपने बेल ऑर्डर में उनके खिलाफ लिखती. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. उन्हें जब कोर्ट ने सब कुछ समझकर बेल दिया है तो ये एनएसए क्यों लगाया गया?
14 फरवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने लगाया NSA
फिलहाल डॉक्टर कफील खान मथुरा जेल में बंद हैं. लेकिन कफील खान जेल से रिहा होते इससे पहले ही शुक्रवार को एनएससए (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई. एनएसए के तहत जो मामला दर्ज हुआ है उसमें डॉक्टर कफील पर एएमयू के छात्रों पर धार्मिक भावनाओं को भड़काना, दूसरे समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाना का आरोप है.
मुंबई से पुलिस ने कफील खान को किया था गिरफ्तार
डॉक्टर कफील के खिलाफ 13 दिसंबर को अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाने में IPC की धारा 153-ए (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के मुताबिक, डॉक्टर कफील ने अपने भाषण में कहा था,
“मोटा भाई सभी को हिंदू या मुसलमान बनाना सिखा रहे हैं, लेकिन इंसान बनाना नहीं. आरएसएस के अस्तित्व में आने के बाद से वह संविधान पर यकीन नहीं रखते हैं. नागरिकता कानून (सीएबी) मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना रहा है और इसके बाद उन्हें एनआरसी के जरिए परेशान किया जाएगा.”
कफील खान के परिवार ने अब नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगाए जाने के खिलाफ इलाहाबाद कोर्ट जाने का फैसला किया है.
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