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"सनातन पर हावी पाश्चात्य परिधान": UP के 3 मंदिरों में क्यों लागू हुआ ड्रेस कोड?

Dress Code in UP Temples: यूपी के मथुरा, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर के मंदिरों में ड्रेस कोड वाले पोस्टर चस्पा किए गए हैं

Published
भारत
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एक के बाद एक 3 मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड को लेकर पोस्टर लगाए जाने का मामला चर्चा में है. अभी सबसे ताजा मामला मथुरा के श्री राधा दामोदर मंदिर का है, जहां पर प्रबंधन ने पोस्टर लगाकर श्रद्धालुओं को मर्यादित वस्त्र धारण कर आने का निवेदन किया है. मथुरा वृंदावन के सप्त देवालय में से एक यह मंदिर प्राइवेट ट्रस्ट श्री राधा दामोदर मंदिर ट्रस्ट के अधीन आता है.

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मंदिर के कर्मचारी पूर्ण चंद गोस्वामी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के कपड़े सनातन धर्म पर धीरे-धीरे हावी हो रही है और उन्होंने नोटिस के जरिए अपील की है कि श्रद्धालु पारंपरिक परिधान में ही मंदिर आए और धीरे-धीरे इस चीज को लेकर जागरूकता बढ़ाएं. "मंदिर में मर्यादित वस्त्र ही डाल कर आए" लिखा हुआ पोस्टर परिसर में कई जगह लगाए गए हैं.

Dress Code in UP Temples: यूपी के मथुरा, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर के मंदिरों में ड्रेस कोड वाले पोस्टर चस्पा किए गए हैं

मथुरा के श्री राधा दामोदर मंदिर में लगाया गया पोस्टर.

(फोटो एक्सेस बॉय क्विंट हिंदी)

मंदिर प्रशासन द्वारा जारी इन पोस्टरों को लेकर जहां कई लोगों ने अपना समर्थन व्यक्त किया है. वहीं, सोशल मीडिया पर कई यूजर्स मंदिर प्रशासन के इस कदम को तुगलकी फरमान बताया है. एक के बाद एक, उत्तर प्रदेश के मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर जारी फरमान के बाद स्थानीय प्रशासन ने इसे मंदिर का आंतरिक मसला बताते हुए चुप्पी साध ली है.

मुजफ्फरनगर के बालाजी महाराज मंदिर से हुई शुरुआत

मंदिर कमेटी की तरफ से वस्त्र को लेकर नोटिस लगाने का हाल ही में सबसे पहला मामला मुजफ्फरनगर के श्री बालाजी महाराज मंदिर में सामने आया था. परिसर के बाहर और अंदर लगे पोस्टर के माध्यम से आग्रह सभी महिलाएं एवं पुरुष मर्यादित वस्त्र पहन कर ही अंदर आए. और अगर कोई भी महिला या पुरुष छोटे वस्त्र, हाफ पेंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट और कटी फटी जींस पहन कर आता है तो बाहर से ही दर्शन करें.

Dress Code in UP Temples: यूपी के मथुरा, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर के मंदिरों में ड्रेस कोड वाले पोस्टर चस्पा किए गए हैं

बालाजी महाराज मंदिर में महिला और पुरूष को मर्यादित कपड़े पहन कर आने की अपील की गई है.

(फोटो एक्सेस बॉय क्विंट हिंदी)

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मंदिर प्रशासन के इस कदम के पीछे का तर्क समझाते हुए मंदिर के कानूनी सलाहकार आलोक शर्मा ने मीडिया को बताया कि आज-कल के युवा कोई भी कपड़ा पहन कर मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं. "जिस परिधान को कारण मंदिर में भक्तगण परेशान हो और कटाक्ष करें, ऐसा परिधान पहन कर मंदिर आना अशोभनीय है."

मुजफ्फरनगर के श्री बालाजी मंदिर के बाद ड्रेस कोड को लेकर अलीगढ़ के श्री गिलहराज जी मंदिर में भी पोस्टर टंग गए. श्री गिलहराज मंदिर नाथ संप्रदाय से संबंधित अखिल भारतीय अवधूत योगी महासभा के अधीन आता है जिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं.

अलीगढ़ जिले के करीब 100 से अधिक मंदिर व मठ अखिल भारतीय अवधूत योगी महासभा के अधीन कार्यरत हैं. इन सभी मंदिरों की पीठ गिलहराज (हनुमान) जी मंदिर है.

Dress Code in UP Temples: यूपी के मथुरा, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर के मंदिरों में ड्रेस कोड वाले पोस्टर चस्पा किए गए हैं

अलीगढ़ के श्री गिलहराज जी मंदिर में भी पोस्टर टंग गए.

(फोटो एक्सेस बॉय क्विंट हिंदी)

मंदिर के महंत के रूप में पिछले 17 वर्षों से कार्यरत योगी कौशलनाथ ने मीडिया को बताया कि मंदिर प्रशासन की तरफ से दो निर्णय लिए गए हैं. पहले निर्णय में मंदिर परिसर के अंदर मुसलमानों का प्रवेश वर्जित किया गया.

अभी हाल ही में नासिक के त्रयंबकेश्वर मंदिर में मुस्लिम युवकों द्वारा चादर चढ़ाने की कोशिश की जाने वाली घटना को लेकर सरकार ने SIT का गठन भी किया है. यहां ऐसी कोई घटना ना हो उसको लेकर यह कदम उठाया गया है.
योगी कौशलनाथ, महंत
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दूसरे निर्णय में मंदिर प्रशासन द्वारा एक ड्रेस कोड तय किया गया है, जिसमें महिलाओं और पुरुषों को "मर्यादित" वस्त्र में ही मंदिर आना होगा. मंदिर परिसर में दो अलग-अलग पोस्टर लगा दिए गए हैं. पहले में "मंदिर परिसर में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है" तो वहीं दूसरे पोस्टर में "हिंदू भक्तों से अनुरोध है कि मंदिर में ड्रेस कोड का पालन करें" लिखा है.

देश के कई मंदिरों में प्रवेश को लेकर ड्रेस कोड को निर्धारित है. उत्तर प्रदेश में हाल ही में इन तीन मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से लाया गया नोटिस हालांकि चर्चाओं में है. प्रशासन की तरफ से उठाया गया यह कदम किसी घटना की प्रतिक्रिया में है या फिर ड्रेस कोड लागू करना इन मंदिरों का आंतरिक निर्णय था, इस बात को लेकर अभी भी चर्चाएं बनी हुई है.

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