अर्बन कंपनी(Urban Company) की महिला कर्मचारी हड़ताल पर बैठी हैं. वर्कर्स का कहना है कि कंपनी द्वारा जारी की गई नई एडवाइजरी से उनकी कमाई और वर्किंग पर बुरा असर पड़ेगा.
महिला पार्टनर्स ने किया प्रोटेस्ट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार, 20 दिसंबर की सुबह से कंपनी के ब्यूटी विंग की 50 से अधिक महिला पार्टनर्स, कंपनी के ऑफिस, मुख्य एंट्री गेट और गुरुग्राम (Gurugram) में पार्किंग स्थल के बाहर प्रोटेस्ट कर रही हैं.
उन लोगों ने ठंड के मौसम में प्रदर्शन करते हुए रात गुजार दिया. कथित तौर पर कंपनी के द्वारा उनके लिए ट्वायलेट्स की सेवा बंद कर दी गई और उन्हें कंपनी के परिसर में नहीं आने दिया गया.
मंगलवार को कंपनी ने प्रोटेस्ट करने वालों के खिलाफ मुकदमा दायर कर स्ट्राइक को खत्म करने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप करने की सिफारिश की.
कर्मचारियों का कहना है कि सोमवार को मैनेजमेंट के द्वारा उनकी बातें नहीं सुनी की गईं, जिसके बाद उन लोगों ने प्रोटेस्ट करने का फैसला लिया.
UrbanClap Technologies द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कर्मचारियों को किसी भी प्रदर्शन, धरना, रैली, घेराव, शांति मार्च, नारे लगाने, कार्यालय परिसर में या उसके पास प्रवेश करने या इकट्ठा होने से रोकने के लिए एक परमानेंट आदेश की मांग की गई है.
पार्टनर्स क्या कहते हैं?
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों से फर्म के साथ काम करने वाली सीमा सिंह ने कहा कि कंपनी एक नया सब्सक्रिप्शन मॉडल लागू कर रही है, जिसके तहत हर महीने न्यूनतम गारंटी योजना के अंतर्गत कर्मचारियों को 3 हजार रूपए प्राइम के लिए और 2 हजार रुपए क्लासिक के लिए भुगतान करना होगा.
हम कंपनी को काम दिलाने के लिए क्यों पैसे दें. सही ढंग से काम करने के लिए हमने अपने सैलून और दुकानों को बंद कर दिया और अब हमें वही काम पाने के लिए भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है.सीमा सिंह
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य ब्यूटीशियन ने कहा कि इस योजना के लिए हमें अपने मंथली वर्क कैलेंडर की योजना बनाने और न्यूनतम संख्या में नौकरियां लेने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि कंपनी गिग वर्कर्स को प्रॉफिट देने से इनकार करती है और उन्हें फ्रीलांसर के रूप में देखती है.
इस साल जनवरी महीने में भी कंपनी विवादों का हिस्सा बनी थी, जब 100 से अधिक पार्टनर्स ने शोषण का आरोप लगाया था और सेफ्टी के साथ काम करने का माहौल, अच्छी सैलरी और सोशल सिक्योरिटी की मांग की गई थी.
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